Akhilesh Yadav Mahakumbh Snan: अखिलेश यादव ने इसलिए महाकुंभ में लगायी 11 डुबकी, बतायी ये बड़ी वजह

Akhilesh Yadav Mahakumbh Snan: अखिलेश यादव ने कहा कि महाकुंभ का सकारात्मक संदेश होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह इससे पहले मकर संक्रांति के दिन हरिद्वार पहुंचे थे।;

Update:2025-01-26 17:20 IST
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Akhilesh Yadav Mahakumbh Snan: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने महाकुंभ मेला क्षेत्र पहुंचकर संगम में डुबकी लगायी। डुबकी लगाने के बाद उन्होंने भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया। अखिलेश यादव ने त्रिवेणी संगम में स्नान करने के दौरान 11 डुबकी लगायी। 11 डुबकी लगाने के लिए उनकी कोई मनोकामना थी। इस पर सपा मुखिया ने बेहद सहज भाव से कहा कि एक बेहद प्रतिष्ठित, सम्मानित साधु-संत ने मुझे यह बताया था कि महाकुंभ के दौरान संगम में 11 डुबकी अच्छी मानी जाती है। महाकुंभ में 11 डुबकियों का पुण्य माना जाता है। इसीलिए उन्होंने संगम में स्नान के दौरान 11 डुबकी लगायी।

उन्होंने कहा कि महाकुंभ का सकारात्मक संदेश होना चाहिए। अखिलेश यादव ने कहा कि वह इससे पहले मकर संक्रांति के दिन हरिद्वार पहुंचे थे। जहां उन्होंने गंगा नदी में स्नान किया था। इसके बाद उन्हें आज गणतंत्र दिवस के अवसर पर पवित्र संगम में डुबकी लगाने का अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि हमारा संकल्प यही है कि सद्भावना और सहनशीलता बनी रहे। स्नान सहनशीलता के साथ होना चाहिए।

महाकुंभ में अव्यवस्था का लगाया आरोप 

इस दौरान उन्होंने महाकुंभ में अव्यवस्था होने का यूपी सरकार पर आरोप लगाया। अखिलेश यादव ने कहा कि मैंने खुद अपनी आंखों से देखा कि बुज़ुर्ग महिलाएं, बच्चे और पुरूष दूर-दराज से पैदल चलकर महाकुंभ मेला क्षेत्र पहुंच रहे हैं। लेकिन यदि यूपी सरकार ने महाकुंभ की व्यवस्था में हज़ारों करोड़ रुपए खर्च किये हैं तो बुज़ुर्गों के लिए ऐसी व्यवस्था ज़रूर बनायी जानी चाहिए थी जिससे उन्हें ज्यादा पैदल न चलना पड़े। महाकुंभ की व्यवस्था को लेकर सपा मुखिया ने आगे कहा कि विपक्ष की यह जिम्मेदारी होती है कि वह जो भी कमी नजर आए। उसे सरकार तक पहुंचाएं।

उन्होंने हमला बोलते हुए कहा कि महाकुंभ में कमियां गिनाने तो गिनाई ही जा सकती हैं। लेकिन यहां इन कमियों को देखने कोई भी नहीं आता है। उन्होंने कहा कि महाकुंभ सनानत की पौराणिक परंपरा है। यहां आने के लिए किसी को भी न्यौता नहीं दिया जाता है। बल्कि दूर-दूर से लोग खुद ही आस्था के चलते यहां आते हैं। स्नान करते हैं। दान देते हैं और फिर अपने गंतव्य की ओर चले जाते हैं। 

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