नोएडाः दादरी के बिसाहड़ा गांव में गोकशी के आरोप में पिछले साल 28 सितंबर को पीट-पीटकर मारे गए अखलाक के परिवार को मंगलवार को कोर्ट से झटका लगा। कोर्ट ने अग्रिम जांच की मांग और ट्रांसफॉर्मर के पास मिले मांस की पुलिस रिपोर्ट के लिए जो अर्जियां दी थीं, उन्हें कोर्ट ने खारिज कर दिया।
कोर्ट ने क्या कहा?
-बचाव पक्ष के वकील रामशरण नागर ने बताया कि सोमवार को कोर्ट ने अर्जी पर फैसला सुरक्षित रखा था।
-फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मंगलवार को अभियोजन पक्ष की दोनों अर्जियों को खारिज कर दिया।
-कोर्ट ने इसके लिए सीआरपीसी की धारा 301 को आधार माना। बचाव पक्ष ने इस धारा का उल्लेख अर्जियों में किया था।
-कोर्ट ने कहा कि सिर्फ सरकारी कर्मचारी ही धारा 301 के तहत 173-8 की अर्जी लगा सकता है।
क्या है दादरी कांड?
-दादरी के बिसाहड़ा गांव में 28 सितंबर 2015 को अखलाक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी।
-अखलाक के बेटे दानिश को भी पीटकर अधमरा कर दिया गया था। इस मामले में दो नाबालिगों समेत 18 आरोपी हैं।
-अखलाक के परिवार पर गांव के लोगों ने गोकशी (बछड़े को मार डालना) का आरोप लगाया है।
-मथुरा लैब की रिपोर्ट में मांस के सैंपल को गोवंश का बताया गया।
-अखलाक के परिवार ने इसे गलत बताया है। परिवार ने अर्जी देकर ट्रांसफॉर्मर के पास से मिले मांस की पुलिस रिपोर्ट की मांग की थी।
फाइल फोटोः अखलाक (इनसेट में) के रोते-बिलखते परिजन