हाईकोर्ट में उठा मुद्दा, क्या यूपी सरकार पानी पर टैक्स लगा सकती है?
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पानी पर टैक्स लगाने के राज्य सरकार के अधिकार पर उठे सवाल पर प्रदेश के महाधिवक्ता से सरकार का पक्ष रखने को कहा है।
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पानी पर टैक्स लगाने के राज्य सरकार के अधिकार पर उठे सवाल पर प्रदेश के महाधिवक्ता से सरकार का पक्ष रखने को कहा है। कोर्ट ने पूछा है कि क्या सरकार पानी पर टैक्स लगा सकती है। कोर्ट ने सवाल उठाया है कि संविधान में जीवन के लिए पानी को जरूरी मानते हुए मूल अधिकारों में शामिल किया गया है।
अनुच्छेद 205 में सरकार को कानून के बिना टैक्स लगाने से रोका गया है और अनुच्छेद 246 में सरकार को राज्य सूची व समवर्ती सूची पर कानून बनाने का अधिकार है। वाटर टैक्स राज्य व समवर्ती सूची में शामिल नहीं है। ऐसे में क्या राज्य सरकार वाटर टैक्स वसूली का कानून बना सकती है। इस मामले को चीफ जस्टिस को भेजा गया है।
अब इस प्रकरण की सुनवाई चीफ जस्टिस की खंडपीठ करेगी। कोर्ट के समक्ष दो मुद्दों पर बहस होगी। क्या राज्य सरकार वाटर टैक्स ले सकती है और यूपी वाटर एवं सीवेज एक्ट की धारा 52 असंवैधानिक है। यह आदेश जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस यू. सी.त्रिपाठी की खंडपीठ ने पतंजलि नर्सरी एवं ऋषिकुल स्कूल व अन्य की याचिका पर दिया है।
नगर निगम के जलकल विभाग ने स्कूल के खिलाफ चार लाख 86 हजार तीन सौ छह रूपये के वाटर टैक्स की वसूली की नोटिस दी है जिसे स्कूल ने चुनौती दी है। याची का कहना है कि सरकार को कानून बनाकर वाटर टैक्स लगाने का अधिकार नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि राज्य के वाटर टैक्स वसूली कानून बनाने की अधिकारिता का जनहित से जुड़ा मुद्दा है जिसका जवाब आना चाहिए। कोर्ट ने जल निगम से इस संबंध में जानकारी मांगी है। कई बार समय दिये जाने के बावजूद जानकारी न आने पर कोर्ट ने प्रदेश सरकार से हलफनामा मांगा।
04 जुलाई 17 को सरकार की तरफ से कहा गया कि इस मामले पर महाधिवक्ता पक्ष रखेंगे। प्रदेश सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है। इस पर कोर्ट ने कहा कि यह नही मालूम कि महाधिवक्ता को यह बताया गया है या नहीं, किन्तु वह कोर्ट में सरकार का पक्ष रखने नहीं आये। कोर्ट ने कहा कि कानून की वैधता के मुद्दे पर फैसला के लिए इस मामले को चीफ जस्टिस के समक्ष पेश किया जाए।