UP Electricity Strike: बिजली संकट पर हाईकोर्ट सख्त, सरकार से पूछा- हड़ताली कर्मचारियों को क्यों नहीं किया गिरफ्तार?
HC on UP Electricity Crisis: यूपी में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल भले ही खत्म हो गई, लेकिन हाईकोर्ट ने इससे हुए नुकसान पर सख्ती दिखाई है। अदालत ने सरकार से नुकसान का ब्यौरा मांगा है।
HC on UP Electricity Crisis: यूपी में बिजली कर्मचारियों कर्मियों की हड़ताल (Electricity Workers Strike) पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) सख्त दिखी। हाईकोर्ट ने सोमवार (20 मार्च) को कहा, 'लोगों के जीवन की कीमत पर मांगें नहीं की जा सकती।' साथ ही, अदालत ने योगी सरकार से पूछा, 'हड़ताली कर्मचारियों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया? आपको बता दें कि, कार्यवाहक चीफ जस्टिस प्रिंतिकर दिवाकर (Justice Pritinkar Diwakar) और जस्टिस. डी. सिंह (Justice. D. Singh) की दो सदस्यीय पीठ ने अपर महाधिवक्ता से दोषी बिजली कर्मियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में पूछा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट हड़ताल की वजह से प्रदेश में उत्पन्न बिजली संकट पर काफी सख्त दिखी। अदालत ने सरकार से पूछा, 'उन लोगों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया? आम आदमी के जीवन को मुश्किल में डालकर मांग नहीं की जा सकती।' दरअसल, 17 मार्च को जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा (Justice Ashwini Kumar Mishra) और जस्टिस विनोद दिवाकर (Justice Vinod Diwakar) की खंडपीठ ने विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे सहित अन्य लोगों के माध्यम से इसके पदाधिकारियों के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया था। उन्हें 20 मार्च को सुबह 10 बजे अदालत में पेश होने के लिए कहा था।
'लोगों के जीवन की कीमत पर मांगें नहीं'
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिजली हड़ताल को गंभीर बताया। अदालत ने कहा, कि 'लोगों के जीवन की कीमत पर मांगें नहीं की जा सकती हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार से इस हड़ताल से हुए राजस्व सहित अन्य नुकसान का ब्यौरा मांगा है। अदालत ने ये भी कहा, 'मामला ये नहीं है कि बिजली कर्मियों की हड़ताल खत्म हो गई, बल्कि ये बेहद बहुत गंभीर मसला है। हाईकोर्ट ने कहा, किसी को भी आम लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।'
तय समय सीमा से पहले ख़त्म किया हड़ताल
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे (Shailendra Dubey) ने बिजली कर्मियों की हड़ताल वापस लेने की घोषणा करते हुए कहा था, 'मुख्यमंत्री के निर्देशों का सम्मान करते हुए और ऊर्जा मंत्री के साथ सकारात्मक बातचीत तथा हाई कोर्ट का सम्मान करते हुए हमने जनहित में 72 घंटे की अपनी सांकेतिक हड़ताल को एक दिन पहले ही खत्म करने का फैसला किया है।'