Amethi: कांग्रेस नेत्री ने चला इमोशनल कार्ड, पिता राजीव गांधी को याद कर भावुक हुईं प्रियंका गांधी

Amethi News: कांग्रेस नेता बोलीं-प्रधानमंत्री जैसे बड़े नेता चुनावी मंच पर आकर इतनी हिम्मत नहीं कर सकते कि आपको बता दें कि 10 सालों में उन्होंने कितने रोजगार बनाए।

Update: 2024-05-10 03:52 GMT

Congress General Secretary Priyanka Gandhi   (photo: social media )

Amethi News: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने अमेठी में विशाल कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने अपने भाषण के दौरान पिता स्व. राजीव गांधी के समय की अमेठी, उनकी यात्राएं, उनकी शहादत और अमेठी के साथ सेवा व समर्पण भरे रिश्ते की यादों को साझा किया। इस दौरान सामने बैठी जनता भी भावुक हो गई। प्रियंका गांधी ने पारिवारिक रिश्ते की दुहाई देते हुए अमेठी से कांग्रेस प्रत्याशी को जिताने की अपील की।

कांग्रेस की स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी गुरुवार को अमेठी में कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए अपने पिता स्वर्गीय राजीव गांधी की यादें साझा किया। उन्होंने कहा कि जब हम छोटे थे तो अपने पिताजी के साथ अमेठी आते थे, अमेठी में उन्हें काम करते देखा है। उन्होंने कहा कि अमेठी मेरा वो परिवार है जिसके साथ भावनात्मक रिश्ता है। यह रिश्ता कभी नहीं टूटेगा। कार्यकर्ताओं से उन्होंने कहा, आपने पहले भी कठिन परिस्थितियों में चुनाव जीता है। पूरा जोर लगाइए और जीत कर दिखाइए। मैं यहां आई हूं, आपके साथ मिलकर लडूंगी और यह चुनाव जीतकर दिखाऊंगी।

जब मैं अमेठी आई तो शायद मैं 10 साल की थी

उन्होंने कहा कि अगर मैं अपने जीवन में किसी इंसान की पूजा करती हूं तो वो हैं मेरे पिताजी। उन्होंने कहा कि मैं जब छोटी सी थी तो राजीव गांधी के साथ पहली बार जब मैं अमेठी आई तो शायद मैं 10 साल की थी। मुझे याद है मैं चुपचाप से उनके पीछे बैठी थी। वह जीप चलाते थे। मैं पीछे बैठ के एक दूसरे से बात करते देखती थी। पिताजी क्या कर रहे हैं। किस तरह से लोगों से मिल रहे हैं प्यार से मिल रहे हैं लोग उनको कैसे मिल रहे हैं।

इसकी सीख मुझे अपने पिताजी से मिली

एक नेता और जनता के बीच में कैसा रिश्ता होना चाहिए इसकी सीख मुझे अपने पिताजी से मिली। आप सब जानते हैं मेरे पिताजी एक बहुत नेक इंसान थे। दिल बहुत साफ था, ईमानदार थे। जैसे-जैसे मैं बड़ी हुई। कभी-कभी उनके चुनाव के प्रचार के लिए यहां आ जाती थी। पहली बार जब मैं 20-25 दिनों के लिए यहां आई तो अपनी माता जी के साथ उनके प्रचार में आई और यहां ततारपुर का जो गेस्ट हाउस था वहां पर हम लोग रहते थे। प्रचार भी अलग तरह से होता था। गांव-गांव जाते थे मैं माता जी के पीछे-पीछे जाती थी। पिताजी चुनाव जीते प्रधानमंत्री बने। अमेठी के लिए जितने काम कर पाए उन्होंने किया। यहां पर बड़े-बड़े उद्योग खोलें। उस समय इंडिया मार्क होता था। हर जगह इंडिया मार्का लगाया। जहां रास्ता नहीं था रास्ता बनवाया।

आपके बीच मेरे परिवार के बीच राजनीतिक रिश्ता नहीं था। एक प्रेम का रिश्ता था, श्रद्धा का रिश्ता था, सत्य का रिश्ता था। फिर मेरा भाई यहां आया। सांसद बने आपके आपके लिए खूब काम किया विकास किया। लेकिन उसके बाद पूरे देश में एक नई तरह की राजनीति आई यह राजनीति शुरू में मैं समझ नहीं पाई क्योंकि हमारी सभ्यता ही अलग थी।

हमें सिखाया गया था कि जनता के सामने झूठ मत बोलो

हमें सिखाया गया था कि जनता के सामने झूठ मत बोलो, हमें सिखाया गया था कि जनता का आदर करो, हमें सिखाया गया था कि जनता सर्वोपरि है। हम अपनी आंखों के सामने देख रहे थे कि एक नई राजनीति उभर रही है जो जनता का इस्तेमाल कर रही है।

यह लोग क्या समझेंगे स्मृति जी क्या समझेंगी

यह लोग क्या समझेंगे स्मृति जी क्या समझेंगी। यह तो यहां पर आपके लिए थोड़ी आई है। इन्होंने यहां झूठ फैलाए कि हम आपकी जमीन हड़पने आए थे। प्रधानमंत्री जैसे बड़े नेता चुनावी मंच पर आकर इतनी हिम्मत नहीं कर सकते कि आपको बता दें कि 10 सालों में उन्होंने कितने रोजगार बनाए। आपके सामने आकर इतनी हिम्मत नहीं है कि आपको बताएं की कितनी संस्थाएं खोली है। कितने बड़े-बड़े उद्योग खोले हैं क्या नया किया है। इस देश के लिए 10 सालों की सत्ता को लेकर प्रधानमंत्री आपके सामने आते हैं। एक ही रट लगा रखी है कि 70 सालों में कांग्रेस ने कुछ नहीं किया। एक परिवार के खिलाफ दिन रात बोलते रहते हैं। इंदिरा गांधी जैसी शख्सियत को जो शहीद हुईं इस देश के लिए जिन्होंने पाकिस्तान को तोड़कर बांग्लादेश बनाया। उनको कहते हैं कि राजीव गांधी ने अपनी मां की विरासत को टैक्स में भरने के लिए कानून बदल डाला। वह कभी नहीं समझ पाएंगे। राजीव गांधी ने अपनी मां से धन दौलत नहीं ली विरासत में। विरासत में उनको इस देश के लिए मर मिटने का जज्बा मिला।

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