Atiq Ashraf Murder: केस की जांच कर रहे न्यायिक आयोग ने पुलिसकर्मियों को भेजा नोटिस, 15 दिन में बयान दर्ज कराने को कहा

Atiq-Ashraf Murder Case:जांच टीम इससे पहले घटनास्थल का दौरा कर चुकी है। टीम में शामिल अधिकारियों ने उस दिन मौजूद डॉक्टर्स का बयान भी लिया था।

Update:2023-05-15 18:01 IST
Atiq-Ashraf Murder Case (photo: social media)

Atiq-Ashraf Murder Case: माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग की टीम ने पुलिसकर्मियों को नोटिस भेजा है। जानकारी के मुताबिक, आयोग ने 21 पुलिसकर्मियों को नोटिस भेजकर 15 दिन में अपना बयान दर्ज कराने को कहा है। जांच टीम इससे पहले घटनास्थल का दौरा कर चुकी है। टीम में शामिल अधिकारियों ने उस दिन मौजूद डॉक्टर्स का बयान भी लिया था।

दरअसल, 15 अप्रैल की शाम कॉल्विन अस्पताल के बाहर माफिया ब्रदर्स की सरेआम हत्या को लेकर पुलिस पर कई गंभीर सवाल उठे थे। घटना के बाद सवाल उठे थे कि अतीक और अशरफ को एंबुलेंस या पुलिस जीप में अस्पताल के गेट के भीतर क्यों नहीं ले जाया गया। क्यों उन्हें पैदल सड़क से अंदर पुलिस ले जा रही थी। माफिया भाईयों की हत्या का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। जहां इसकी अदालत की निगरानी में जांच की मांग की गई है।

15 अप्रैल को हुई थी अतीक-अशरफ की हत्या

गुजरात की साबरमती जेल में बंद कुख्यात माफिया और बाहुबली राजनेता अतीक अहमद और बरेली सेंट्रल जेल में बंद उसका माफिया भाई अशरफ उमेश पाल हत्याकांड में आरोपित थे। पुलिस इनसे पूछताछ के लिए दोनों को उनकी जेल से प्रयागराज लाई थी। 15 अप्रैल की शाम दोनों का मेडिकल कराने पुलिस उन्हें कॉल्विन अस्पताल ले गई थी। जहां मीडियाकर्मियों की भीड़ दोनों का इंतजार कर रही थी। उसी भीड़ में तीन हमलावर भी मीडियाकर्मी की वेश में छिपे थे।

मौका मिलते ही तीनों हमलावरों ने अतीक अहमद और अशरफ पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर मौत के घाट उतार दिया। वारदात को अंजाम देने के बाद तीनों भागे नहीं बल्कि जय श्री राम कह कर वहां मौजूद पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। इस वारदात में तुर्किए में बनी जिगानी पिस्टल का इस्तेमाल हुआ था, जिसकी कीमत लाखों में है। ये भारत में प्रतिबंधित है। देश में सक्रिय बड़े गैंग में इसका काफी चलन है।

24 मई तक न्यायिक हिरासत में रहेंगे तीनों हमलावर

माफिया अतीक अहमद और अशरफ को मौत के घाट उतारने वाले हमलावरों की पहचान बांदा के लवलेश तिवारी, हमीरपुर के मोहित उर्फ सनी और कासगंज के अरूण मौर्य के रूप में हुई। तीनों का आपराधिक इतिहास रहा है। बीते शुक्रवार को तीनों हमलावरों को वीसी के माध्यम से प्रयागराज सीजेएम के समक्ष पेश किया गया था। जहां कोर्ट ने तीनों को फिर से 24 मई तक के लिए न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया।

तीनों हमलावरों को प्रतापगढ़ की जेल में रखा गया है। इससे पहले इनको प्रयागराज स्थित नैनी सेंट्रल जेल में रखा गया था। जहां दिवंगत माफिया अतीक का दूसरा बेटा अली भी बंद है, जो पिता की मौत के बाद हमलावरों को मारने का प्रण ले चुका है। ऐसे में इन तीनों की सुरक्षा को देखते हुए इन्हें नैनी जेल से प्रतापगढ़ जेल शिफ्ट कर दिया गया। सुरक्षा कारणों को लेकर ही इनकी पेशी भी ऑनलाइन हुई।

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