Atiq-Ashraf Murder Case: अतीक-अशरफ हत्याकांड, चार्जशीट दाखिल, इन अनसुलझे सवालों का नहीं मिला जवाब?

Atiq-Ashraf Murder Case: माफिया ब्रदर्स हत्याकांड में एसआईटी ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी, लेकिन वहीं इस हत्याकांड से जुड़े कुछ ऐसे अनसुलझे सवाल हैं, जिनका जवाब मिलना अभी बाकी है।

Update:2023-07-16 19:40 IST
अतीक-अशरफ हत्याकांड, चार्जशीट दाखिल, इन अनसुलझे सवालों का नहीं मिला जवाब?: Photo- Social Media

Atiq-Ashraf Murder Case: 15 अप्रैल 2023 को वकील उमेश पाल की हत्या के अभियुक्त माफिया अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ अहमद की प्रयागराज के कॉल्विन अस्पताल के सामने तीन युवकों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। हत्या उस समय हुई जब पुलिस माफिया ब्रदर्स को मेडिकल जांच के लिए अस्पताल लेकर आई थी। दोनों को गोली मारने वाले तीनों अभियुक्त मीडियाकर्मी बनकर अस्पताल के इमरजेंसी विभाग के बाहर पहुँचे थे। ये हमला, हत्या और तीनों हमलावरों का पकड़ा जाना केवल कुछ सेकेंड्स में हुआ। यह पूराघटनाक्रम दुनिया ने टीवी चैनलों पर लाइव देखा। अब यूपी पुलिस की एसआईटी ने माफिया ब्रदर्स की हत्या के तीन महीने बाद प्रयागराज के सीजेएम कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है। लेकिन इस चार्जशीट में कुछ ऐसे अनसुलझे सवाल हैं जिनका जवाब सामने नहीं आया।

उमेश पाल की हत्या और उसकी साजिश के अभियुक्त अतीक और अशरफ को पूछताछ के लिए पुलिस थाने लाई थी। जहां दोनों से पूछताछ की गई, लेकिन ज्यादा बात नहीं हो पाई क्योंकि दोनों भाई उमेश पाल की हत्या के मामले में वांटेड अतीक के बेटे असद के मुठभेड़ में मारे जाने की खबर को लेकर दुखी थे। इसके बाद दोनों को मेडिकल जांच के लिए प्रयागराज के कॉल्विन अस्पताल लाया गया और फिर वापस थाने ले जाया गया।

15 अप्रैल को फिर पूछताछ-

पुलिस का कहना है कि दोनों अतीक और अशरफ से मिली जानकारी के बाद पुलिस ने भारी मात्रा में असलहा की बरामदगी भी की। इसी बीच दोनों ने घबराहट महसूस होने की बात पुलिस को बताया। उनकी बिगड़ती हालत को देखते हुए 19 पुलिसकर्मी उन्हें एक बोलेरो और पुलिस जीप में लेकर कॉल्विन अस्पताल पहुंचे। इसी दौरान मीडिया कर्मी बनकर आए मौके पर मौजूद हमलावर लवलेश, अरुण मौर्य और सनी ने ऑटोमेटिक बंदूकों से अतीक और अशरफ पर फायरिंग कर हत्या कर दी।

पुलिस ने फिलहाल अभियुक्त लवलेश, सनी और अरुण मौर्य के खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास, साजिश, धोखाधड़ी की धाराओं में अदालत में चार्जशीट दाखिल की है। इस चार्जशीट में कई अनसुलझे सवाल हैं?

सबसे बड़ा सवाल यह था कि....

माफिया अतीक और अशरफ की हत्या से जुड़ा सबसे बड़ा सवाल यह था कि बांदा के लवलेश तिवारी, हमीरपुर के सनी, और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कासगंज के रहने वाले अरुण मौर्य ने कैसे सुनियोजित तरीके से माफिया ब्रदर्स पर हमला किया?

वहीं पुलिस सूत्रों की मानें तो इस हत्याकाण्ड का मास्टरमाइंड सनी है। सनी ने ही लवलेश और अरुण के साथ इस हत्याकांड की योजना बनाई। एसआईटी ने सबूत के तौर पर कोर्ट को सीसीटीवी फुटेज भी सौंपे हैं, जिसमें तीनों हमलावरों को साफ देखा जा सकता है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक तीनों अभियुक्तों ने हत्या के पांच दिन पहले से माफिया ब्रदर्स की आवाजाही लाइव मीडिया कवरेज के जरिए ट्रैक की और उनका पीछा करते हुए प्रयागराज पहुंचे। पुलिस सूत्रों का यह भी कहना है कि जिस दिन दोनों की हत्या की गई, उस दिन भी अभियुक्त मौके पर दो से तीन घंटे पहले से ही मौजूद थे। हत्या के ठीक पहले सनी ने सभी के फोन के सिम तुड़वा दिए थे। एसआईटी ने अपनी जांच में क्राइम सीन रीक्रिएट करवाया। वो एसआईटी ने घटना के ठीक बाद किया था और उसकी मीडिया ने रिपोर्टिंग भी की थी।

हत्या के मकसद के बारे में घटना की एफआईआर कहती हैं कि ‘‘तीनों अभियुक्तों ने बताया कि हम लोग अतीक और अशरफ गैंग का सफाया करके, यूपी में अपनी पहचान बनाना चाहते थे, जिसका लाभ भविष्य में निश्चित रूप से मिलता।‘‘ एफआईआर के अनुसार अभियुक्तों ने पुलिस को बताया, ‘‘जब से अतीक और अशरफ की पुलिस रिमांड की सूचना मिली थी तब से हम लोग स्थानीय मीडिया कर्मियों की भीड़ में रहकर इन दोनों को मारने की फिराक में थे। लेकिन मौका नहीं मिल पाया। आज मौका मिलते ही हमने घटना को अंजाम दिया।‘‘ हत्या के वायरल वीडियो में साफ देखा गया था कि गोलियां चलाने के बाद अभियुक्तों ने हवा में हाथ उठा लिए थे और उन्होंने घटनास्थल से भागने का कोई प्रयास भी नहीं किया था।

-हथियार लोडेड थे और अपनी जान बचाने के लिए लवलेश, सनी और अरुण पुलिस वालों पर भी फायरिंग कर सकते थे, लेकिन ऐसा न तो मौके पर मौजूद मीडिया के कवरेज में दिखा और ना ही एफआईआर में ऐसी कोई जानकारी शामिल है।

-अतीक और अशरफ पर गोलियां चलाने के बावजूद पुलिस की तरफ से जवाबी फायर में गोली चलाने की फिलहाल कोई जानकारी नहीं है और कैमरे में कैद घटनाक्रम में भी पुलिस फायरिंग करती नहीं नजर आ रही है। आज कल पुलिस सबूत इकठ्ठा करने के लिए अभियुक्तों का लाई डिटेक्टर टेस्ट या नार्को टेस्ट जैसी जांच भी कराती है, जिससे जांच को सही दिशा में ले जाने में मदद मिल सके।

-फिलहालयह पता नहीं चल पाया है कि पुलिस ने तीनों अभियुक्तों का लाई डिटेक्टर या नार्को टेस्ट करवाई है कि नहीं।

-अप्रैल में उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से जारी की गई प्रेस रिलीज में लिखा था कि तीनों हमलावरों ने अतीक और अशरफ पर ऑटोमेटिक हथियारों से हमला किया।

-अरुण, सनी और लवलेश के पास से एक 7.62 बोर की कंट्री मेड पिस्टल, एक 9 एमएम गिरसान (तुर्की में बनी) पिस्टल, एक 9 एमएम जिगाना (तुर्की में बनी) पिस्टल बरामद की गई।

-घटना के समय एक सवाल यह भी उठा था कि आखिरकार अभियुक्तों को विदेशी बंदूकें कहाँ से मिलीं।

-पुलिस सूत्रों के मुताबिक ‘मास्टरमाइंड‘ सनी को यह बंदूकें माफिया जितेंद्र गोगी गैंग से मिलीं और एसआईटी ने तीनों पिस्तौलों की बैलिस्टिक जांच रिपोर्ट भी कोर्ट को सौंपी है। लेकिन जितेन्द्र गोगी की 2021 में दिल्ली के रोहिणी कोर्ट में पेशी के दौरान हमले में हत्या कर दी गई थी। यूपी पुलिस ने फिलहाल इस बारे में भी कोई औपचारिक बयान नहीं दिया है।

-क्या पुलिसवालों पर हुई कोई कार्रवाई?-

-15 अप्रैल 2023 को हत्या की रात अतीक और अशरफ को 19 पुलिस कर्मी दो गाड़ियों में लेकर मेडिकल परीक्षण के लिए कॉल्विन अस्पताल पहुंचे थे। इसी दौरान उन पर हमला हो गया। हमले में हुई गोलीबारी में एक कांस्टेबल को भी दाहिने हाथ में गोली लगने की बात एफआईआर में लिखी है, लेकिन इतनी बड़ी घटना के बाद भी पुलिसवालों के खिलाफ कोई कार्रवाई की बात अभी तक सामने नहीं आई है।

-पुलिस के घेरे के बावजूद मीडिया को सुरक्षा घेरे को बार-बार भेद कर अतीक और अशरफ से सवाल पूछने की कोशिशें काफी दिनों तक टीवी चैनलों पर नजर आईं और हत्या की रात भी सवाल पूछने के बहाने हमलावर दोनों के बिलकुल करीब पहुँच गए थे।

ऐसे में ये सवाल अब भी कायम है कि इन सभी घटनाओं और उनके पहलुओं पर क्या कोई विभागीय जांच की जा रही है या नहीं।

-सुप्रीम कोर्ट कवर करने वाले एक न्यूज पोर्टल के पत्रकार की मानें तो अतीक और अशरफ की बहन आईशा नूरी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है जिसमें उसने अपने भाइयों की हत्या को पुलिस हिरासत में हुई ‘‘एक्स्ट्रा ज्युडिशियल स्टेट स्पॉन्सर्ड‘‘ हत्या बताया है। इसमें वो अपने भतीजे असद के एनकाउंटर की भी निष्पक्ष जांच की मांग की है।

आईशा ने याचिका में गंभीर आरोप लगाते हुए लिखा है कि अतीक-अशरफ की हत्या और असद के एनकाउंटर की निष्पक्ष जांच इसलिए जरूरी है ताकि ‘‘हाई लेवल स्टेट एजेंट्स‘‘ को पकड़ा जा सके। याचिका में दावा किया गया है कि इन्हीं एजेंट्स ने एक ‘सुनियोजित अभियान‘ के तहत उनके परिवारवालों को अभियुक्त बना कर उन्हें गिरफ्तार कर परेशान किया और उनकी हत्या कराई।

कहाँ तक पहुँची न्यायिक जांच?

उत्तर प्रदेश के गृह विभाग ने अतीक-अशरफ हत्याकांड मामले में एक जांच आयोग गठित किया था जिसे हत्या के पूरे घटनाक्रम की दो महीने में जांच करने का जिम्मा सौंपा गया था।

पहले इस आयोग की अध्यक्षता हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज अरविंद कुमार कर रहे थे। उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी सुबेष कुमार और पूर्व जज बृजेश कुमार सोनी सदस्य बनाए गए। लेकिन बाद में इस आयोग का विस्तार किया गया और दो और सदस्य बनाए गए।

इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस दिलीप बाबासाहेब भोसले को आयोग की कमान सौंपी गई। न्यायिक जांच कहाँ तक पहुँची, इस पर भी मीडिया से कोई औपचारिक जानकारी साझा नहीं की गई है। वहीं मीडिया में खबरें आई हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कुछ ही दिन पहले जांच आयोग को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए तीन महीने का एक्सटेंशन दिया है। अब कमीशन की रिपोर्ट सितम्बर तक आने की उम्मीद है। मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से छपा है कि कमीशन के सामने फिलहाल 38 गवाह पेश हुए हैं और अभी 45 और गवाहों के बयान दर्ज होना बाकी हैं।

क्या चार्जशीट सार्वजनिक दस्तावेज है?

आपको बता दें कि जो चर्चित आपराधिक मामले होते हैं, उनमें अक्सर मीडिया मुकदमे में दाखिल होने वाली चार्जशीट के आधार पर और उसमें सबूतों के बुनियाद पर घटना की और गहराई से रिपोर्टिंग करने की कोशिश करता है। यह मीडिया के काम करने का काफी आम तरीका है। अतीक और अशरफ की हत्या के मामले में दाखिल हुई चार्जशीट के बाद भी मीडिया में उसके कुछ अंश छप रहे हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी में दिए अपने एक फैसले में किसी भी आपराधिक मुकदमे में चार्जशीट को सरकारी वेबसाइट पर अपलोड कर साझा करने की अनुमति देने से इंकार कर दिया था।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि एफआईआर एक सार्वजनिक दस्तावेज होता है, लेकिन चार्जशीट को सार्वजनिक करने की बाध्यता नहीं है। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि इससे पीड़ित पक्ष और अभियुक्त, दोनों के अधिकारों का हनन होगा और यह सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट के प्रावधानों के विरुद्ध है।

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