Ram Mandir: रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का निकाला शुभ मूहुर्त...जानिए कौन हैं आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्राविड़?
Ram Mandir: आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ को संस्कृत और संस्कृति के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान देने के लिए जगदगुरु रामानंदाचार्य पुरस्कार से सम्मानित हुए। उनका जन्म यूपी के वाराणसी के रामनगर में हुआ।
Acharya Ganeshwar Shastri Dravid: रामलला के प्राठ प्रतिष्ठा का शुभ मूहुर्त 22 जनवरी, 2024 को होगा। इस का समय दोपहर 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकेंड से लेकर 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकेंड पर निर्धारित किया गया है। करीब एक हफ्ते के समय के बाद प्रति प्रतिष्ठा कार्यक्रम का शुभ मुहूर्त काशी काशी के ज्योतिषाचार्य ने गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ ने निकाला है। गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ इससे पहले रामलला भूमि पूजन के अलावा काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के लिए भी शुभ मूर्हुत निकाला था। आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ( Ganeshwar Shastri Dravid) ने संस्कृत और संस्कृति के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान किया है। इसके लिए उन्हें जगदगुरु रामानंदाचार्य पुरस्कार (Jagadguru Ramanandacharya Award) से भी सम्मानित किया जा चुका है। राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के शुभ मूहुर्त निकालने की वजह से इस वक्त सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गए हैं। आइये आपको बताते हैं कि आखिर कौन हैं आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्राविड़?
गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने संस्कृत क्षेत्र में दिया विशिष्ट योगदान
आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ को संस्कृत और संस्कृति के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान देने के लिए जगदगुरु रामानंदाचार्य पुरस्कार से सम्मानित हुए। यह पुरस्कार मध्यकालीन भक्ति आंदोलन के शीर्ष संत स्वामी रामानंद ( Swami Ramanand) की याद में दिया जाता है। इस पुरस्कार में पाने वाले व्यक्ति को एक लाख रुपये, प्रशस्ति पत्र, शॉल और श्रीफल दिया जाता है। साल 1993 से यह पुरस्कार लगातार वितरित हो रहा है। गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ का नाम से लगाता है, वे दक्षिण भारत में पैदा हुए, लेकिन ऐसा नहीं है, उनका जन्म यूपी में हुआ।
कौन हैं आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविड़
आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के रामनगर में 9 दिसंबर साल 1958 को हुआ। उनके पिता का नाम राजराजेश्वर शास्त्री द्राविड़ था, उन्हें लोग पण्डितराज के नाम में बुलाते थे। वे भारत सरकार के पदमभूषण से सम्मानित थे। गणेश्वर शास्त्री को वेद, कृष्णयजुर्वेद, तैत्तिरीय शाखा, शुक्लयजुर्वेद-शतपथ ब्राह्मण, वेदांग, न्यायादिदर्शन, पुराण, इतिहास, राज-शास्त्र, धर्म-शास्त्र काव्य-कोष, ज्योतिष, तंत्रागम एवं श्रौत का विद्वान के रूप में जाना जाता है।
साल 2021 में मिला था जगदगुरु रामानंदाचार्य पुरस्कार
गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ ने अपना पूरा जीवन वेदों के अध्ययन-अध्यापन और यज्ञों के संपादन में लगा दिया। इसके लिए उन्होंने गृहस्थ जीवन छोड़ दिया। वह नंगे पांव रहकर यम-नियम का संपादन किया और जीवन व्यतीत कर रहे। गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ को जगदगुरु रामानंदाचार्य पुरस्कार साल 2021 में दिया गया। उनके पिता राजराजेश्वर शास्त्री द्राविड़ को भी यह पुरस्कार मिला चुका है। पण्डितराज राजराजेश्वर शास्त्री द्राविड को मरणोपरांत जगदगुरु रामानंदाचार्य पुरस्कार दिया गया।
इन बड़े कार्य का निकाला शुभ मूहुर्त
गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ ने पांच अगस्त 2020 को अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि के शिलान्यास के लिए शुभ मूहुर्त निकाला था। इसके बाद 13 दिसंबर, 2021 को वाराणसी में श्री काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के लिए भी उन्होंने शुभ मुहूर्त निकाला था। इस कार्य के लिए उन्हें चुने जाने से उनका समाज गौरवान्वित हुआ।