Barabanki News : दोनों हाथ और एक पैर नहीं, दिव्यांग आकाश के जज्बे को सैल्यूट, क्या सरकार देखेगी इसे

Barabanki News :बाराबंकी के विकासखंड सिरौलीगोसपुर के पूर्व माध्यमिक विद्यालय मधवापुर में कक्षा छह के दिव्यांग छात्र आकाश के हौसले की अब मिसाल दी जाने लगी है।

Report :  Sarfaraz Warsi
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Published By :  Shraddha
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Update: 2021-10-09 06:51 GMT

Barabanki News :  लिखने वाले ने क्या शानदार लिखा है कि मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। यानी इंसान अगर चाह ले तो वो कुछ भी कर सकता है। आज हम आपको एक ऐसे ही बच्चे के बारे में बताने जा रहे हैं, जो हम सबके लिए प्रेरणा साबित हो रहा है। बच्चे का नाम आकाश है। आकाश को अपने नाम का मतलब भी बखूबी पता है और वह अपने नाम को चरितार्थ भी कर रहे हैं।

दरअसल जन्म से ही आकाश के दोनों हाथ नहीं हैं, उनका एक पैर भी न के बराबर है। यानी उनका केवल एक पैर ही काम करता है। इसके बावजूद आकाश वो सभी काम बखूबी कर लेते हैं, जो एक आम इंसान करता है। दिव्यांग होने के बावजूद वो पढ़ाई, खेलकूद और घर का काम बेहद शानदार ढंग से करता है। चाहे वो स्कूल में बैग से कापी-किताब निकालकर उसका पेज पलटना हो या उसपर लिखना हो। कोई भी खेल खेलना हो या मोबाइल चलाना।

आकाश ने शारीरिक दिव्यांगता को पढ़ाई और खेलकूद में कभी बाधा नहीं बनने दिया। विज्ञान की प्रयोगशाला हो या कक्षा में पढ़ाई, शिक्षक के हर सवाल का जवाब आकाश की जुबां पर रहता है। वहीं आकाश का परिवार काफी गरीब है। ऐसे में उसके पिता चाहते हैं कि सरकार अगर उनके बेटे की मदद करेगी तो वह काफी आगे तक जाएगा । उसकी पढ़ाई में गरीबी बाधा नहीं बनेगी।

पूर्व माध्यमिक विद्यालय मधवापुर

बाराबंकी के विकासखंड सिरौलीगोसपुर (Barabanki Vikaskhand Sirauligospur) के पूर्व माध्यमिक विद्यालय मधवापुर (pre secondary school madhwapur) में कक्षा छह के दिव्यांग छात्र आकाश के हौसले की अब मिसाल दी जाने लगी है। दरअसल जन्म से ही आकाश के दोनों हाथ नहीं हैं। आकाश का एक पैर भी न के बराबर ही है। लेकिन फिर भी आकाश केवल एक पैर से दुनिया को अपने सामने नतमस्तक करने का जज्बा रखता है। पैर से कलम पकड़कर आकाश खुद का भविष्य गढ़ रहा है।

सिरौलीगौसपुर तहसील के राजापुर गांव के निवासी हरिकेश के पुत्र आकाश का कहना है कि जैसा उनका नाम है, वह ठीक उसी आकाश की तरह बुलंदियों को छूना चाहते हैं। आकाश के अंदर दिव्यांग होने का कोई भी मलाल नहीं है। बल्कि आकाश कहते हैं कि वह सारा काम बाकी लोगों से अच्छा कर सकते हैं। बचपन से ही आकाश दोनों हाथ और एक पैर से दिव्यांग है। ऐसे में आकाश ने सभी काम अपने एक पैर से करना सीख लिया। आकाश एक पैर से मोबाइल भी चलाता है।


आकाश का कहना है कि उसे कभी अफसोस नहीं होता है कि वह दोनों हाथ और एक पैर से दिव्यांग हैं। आकाश ने बताया कि वह अपने एक पैर से भी वो सब कुछ कर लेता है, जो हाथ से किया जाता है। जैसे अपने एक पैर से लिखना-पढ़ना, खेलना और मोबाइल चलाना। आकाश का कहना है कि जब इंटरनेट पर प्रतिबंध नहीं था तो वह अपने दोस्त के साथ एक एकाउंट बनाकर पैर से ही खाना-खाने और लिखने का वीडियो टिकटॉक पर बनाता था। आकाश ने बताया कि उसके वीडियो को टिकटॉक पर करीब 23 लाख यूजर्स ने देखा था।



आकाश के पिता हरिकेश का कहना है कि दिव्यांगता के बावजूद वह आकाश को पढ़ा-लिखा रहे हैं। प्राथमिक विद्यालय राजापुर में कक्षा पांच तक की पढ़ाई के बाद अब आकाश का दाखिला पूर्व माध्यमिक विद्यालय मधवापुर में कराया है। उनका कहना है कि आकाश नित्यक्रिया के साथ ही दूसरे कामों के साथ लिखने-पढ़ने का काम भी एक पैर से करते हैं। आकाश के पिता अपने बच्चे के भविष्य को संवारने के लिये सरकार से भी मदद चाहते हैं। उनका कहना है कि वह किसी तरह मेहनत मजदूरी करके परिवार को पाल रहे हैं, ऐसे में अगर आकाश को सरकार की मदद मिल जाएगी, तो उसका भविष्य बन जाएगा।


आकाश के शिक्षकों का कहना है कि बच्चे में अनोखी प्रतिभा है। आकाश सामान्य बच्चों के साथ ही कक्षा में अध्ययन करता है। उन्होंने बताया कि आकाश का दिमाग काफी तेज है और वह सबकुछ काफी जल्दी याद कर लेता है। उसकी लेखनी भी काफी अच्छी है। शिक्षकों का कहना है कि वह पढ़-लिखकर काफी आगे तक जाएगा। आकाश अब सबके लिये प्रेरणा स्रोत बन गये हैं।


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