Barabanki News: 8 महीने से रसोइयों को नहीं मिला मानदेय, सरकार से त्योहार से पहले देने की मांग

Barabanki News in hindi: आठ महीने से मानदेय नहीं मिलने से जिले के किसी एक रसोइये की दशा दयनीय नहीं हुई है। बल्कि प्राथमिक स्कूलों में बनाने वाले अधिकांश रसोइयों की हालत लगभग ऐसी ही है। इनमें से कई रसोइये तो उधार लेकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। ऐसे में ये रसोइये दिवाली कैसे मनाएंगे।

Report :  Sarfaraz Warsi
Published By :  Deepak Kumar
Update: 2021-10-27 12:17 GMT

उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में तैनात रसोइए।

Barabanki News in hindi: सरकार की अनदेखी और अधिकारियों की मनमानी उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद (Uttar Pradesh Basic Education Council) के स्कूलों में तैनात गरीब रसोइयों पर भारी पड़ रही है। पिछले करीब आठ महीनों से इन रसोइयों को मानदेय नहीं मिला है। आखिरी बार इन्हें मानदेय फरवरी में मिला था। तब से लेकर अभी तक एक पैसा भी इन्हें नहीं मिला है। इन रसोइयों के घरों में तो अब भूखों मरने की नौबत आ गई है। कई बार इनके बच्चों को भूखे ही सोना पड़ता है। रसोइयों का कहना है कि अब तो दीपावली का त्योहार भी आ गया है। उनकी सरकार से मांग है कि त्योहार से पहले उनका मानदेय दिया जाए।

आठ महीने से मानदेय नहीं मिलने से जिले के किसी एक रसोइये की दशा दयनीय नहीं हुई है। बल्कि प्राथमिक स्कूलों में बनाने वाले अधिकांश रसोइयों की हालत लगभग ऐसी ही है। इनमें से कई रसोइये तो उधार लेकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। ऐसे में ये रसोइये दिवाली कैसे मनाएंगे।

बाराबंकी के प्राथमिक विद्यालय (Barabanki Primary Schools) आलापुर और कंपोजिट स्कूल कुरौली के रसोइयों का कहना है कि अपनी ड्यूटी हम पूरी ईमानदारी से निभाते हैं, लेकिन मेहनताना नहीं मिलता। बार-बार गुहार लगाते हैं पर कोई हमारी नहीं सुनता। आश्वासन की घुट्टी पिला दी जाती है।

जिम्मेदार कहते हैं कि शासन से बजट आने पर बकाया भुगतान कर दिया जाएगा। अब इन्हें कौन बताए कि तब तक हम और हमारे बच्चे क्या करें, वह क्या खाकर जिंदा रहें। इतना कहते ही रसोइयों का गला रुंध गया। इसके बाद किए गए किसी भी सवाल का जवाब वह नहीं दे सकीं।

वहीं, एक ओर रसोइया ने बताया कि मानदेय मिलने की उम्मीद में उधार लेकर किसी तरह घर का खर्च चलाया जा रहा है, लेकिन अब किस उम्मीद से हम उधार लें। क्षेत्र की एक अन्य रसोइये ने कहा कि घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं। अब उनकी जरुरतों को पूरा नहीं कर पाते है। अब एक मां के लिए इससे बड़ा दर्द क्या होगा कि बच्चा भूखा हो और वह उसे खाने को कुछ न दे पाए।

रसोइयों ने कहा कि उन लोगों को महज 1500 रुपये मानदेय मिलता है। इससे किसी तरह घर का खर्च चलाती हैं, लेकिन अब वह भी नहीं मिल रहा। दिन पर दिन स्थिति खराब होती जा रही है। साथ में कहा कि त्योहार का सीजन आ गया है। घर में दो वक्त के भोजन का सामान नहीं है। ऐसे में वे दिवाली कैसे मनाएंगी, यह तो भगवान ही जाने।

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