Lucknow News: बिजली उपभोक्ताओं पर बोझ डालने की हो रही तैयारी

Lucknow : उप्र उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि उपभोक्ता परिषद् पूरे देश के उपभोक्ताओ को एक मंच पर लाकर ऐसे तुगलकी आदेश का विरोध करेगा ।

Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2021-11-13 14:24 GMT

बिजली संकट (फोटो-न्यूजट्रैक)

Lucknow News: केन्द्र सरकार की तरफ से कोयला संकट का भय दिखाकर बिजली कम्पनियां बिजली के दामों में बढोत्तरी कर सकती हैं। उप्र उपभोक्ता परिषद ने इस बात की आशंका जताई है कि  केंद्र सरकार ने  बहुत ही चालाकी से पहले कोयले संकट का हंगामा किया। फिर इसके बाद विदेशी कोयले को उत्पादन इकाईयो में 15 प्रतिशत तक मिलाने की छूट दी गई।

उप्र उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि उपभोक्ता परिषद् पूरे देश के उपभोक्ताओ को एक मंच पर लाकर ऐसे तुगलकी आदेश का विरोध करेगा । क्योंकि केंद्र सरकार निजी घरानों के दबाव में राज्यों के नियामक आयोगों का अधिकार कम करने पर आमादा है।

फ़्यूल और कोयले की दरों में बेतहाशा वृद्धि

उन्होंने कहा कि  केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने देश के सभी नियामक आयोगों एवं बिजली कम्पनियो को यह निर्देश दिया है कि फ़्यूल और कोयले की दरों में बेतहाशा वृद्धि के मद्देनजर बिजली कंपनियां इंक्रीमेंटल कास्ट की दरों में वृद्धि व कमी कर सकती हैं।  इस  आदेश के बाद उत्पादन कम्पनियाँ भी मनमाना दरे फ्यूल सरचार्ज के नाम पर बढ़ाने के लिए स्वतंत्र होगी।  


उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से  निजी घरानों के दबाव में राज्य के नियामक आयोगों के अधिकारों को अपने पास रख कर मनमाने आदेश किए जा रहे हैं । इससे साफ है कि आने वाले समय में देश के सभी राज्यों के उपभोक्ताओं पर बडा संकट आ सकता है।

उन्होंने कहा कि उत्पादन इकाइयों में 5 प्रतिशत तक विदेशी कोयले की छूट और अब एक तुगलकी आदेश की बिजली कम्पनियाँ फ्यूल सरचार्ज के तहत फ्यूल और कोयले के बढ़ते दामों में बढ़ा या घटा सकती है।

अवधेश कुमार वर्मा ने  कहा कि  पहले कोयले की दरों में बढ़ोतरी का माहौल बनाया गया। अब इंक्रीमेंटल कास्ट की दरों में वृद्धि के लिए बिजली निगमों को अधिकार देना पूरी तरह विद्युत अधिनियम 2003 के प्रावधानों के खिलाफ है।  इस प्रकार के तुगलकी कानून का उपभोक्ता परिषद देश के सभी उपभोक्ता संगठनों से बात कर व्यापक विरोध करेगा।

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