UP ELECTION 2022: वाराणसी दक्षिणी सीट पर 33 सालों से BJP का कब्जा, सात चुनावों में लगातार दादा को मिली जीत
Lucknow News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के अंतर्गत आने वाली वाराणसी दक्षिणी सीट पर पिछले 33 सालों से भारतीय जनता पार्टी का ही कब्जा है।
Lucknow News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के संसदीय क्षेत्र वाराणसी (Parliamentary Constituency Varanasi) के अंतर्गत आने वाली वाराणसी दक्षिणी सीट (Varanasi South seat) पर पिछले 33 सालों से भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) का ही कब्जा है। इसे भाजपा (BJP) का मजबूत गढ़ माना जाता है क्योंकि 1989 से ही इस सीट पर लगातार भाजपा का ही कब्जा बना हुआ है। 2017 के विधानसभा चुनाव (2017 assembly elections) में इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी डॉ नीलकंठ तिवारी (BJP candidate Dr Neelkanth Tiwari) को जीत हासिल हुई थी।
उनसे पहले 1989 से 2012 तक के सात चुनावों के दौरान भाजपा प्रत्याशी श्यामदेव राय चौधरी दादा (BJP candidate Shyamdev Rai Chaudhary Dada) ने इस सीट पर लगातार जीत हासिल की। प्रदेश में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और बहुजन समाज पार्टी (Bahujan samaj party) की लहर के दौरान भी दादा का इस सीट पर कब्जा बना रहा। इस सीट का काफी गौरवशाली इतिहास रहा है। 1957 के चुनाव में इसी सीट से जीत हासिल करने के बाद डॉ संपूर्णानंद ने प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली थी।
2017 में हुआ था कड़ा मुकाबला
पूर्वांचल की सीटों पर आखिरी चरण में 7 मार्च को मतदान होना है। इसलिए अभी विभिन्न राजनीतिक दलों की ओर से इस सीट पर अपने पत्ते नहीं खोले गए हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव (2017 assembly elections) में इस सीट पर कड़ा मुकाबला हुआ था क्योंकि कांग्रेस ने पूर्व सांसद डॉ राजेश मिश्रा (Congress Former MP Dr Rajesh Mishra) को चुनाव मैदान में उतार दिया था। भाजपा (BJP) की ओर से पहली बार चुनाव मैदान में उतरे डॉक्टर नीलकंठ तिवारी ने उन्हें करीब 15,000 से अधिक मतों से हराया था।
इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी डॉ नीलकंठ तिवारी (BJP candidate Dr Neelkanth Tiwari) को 92,560 वोट हासिल हुए थे जबकि कांग्रेस प्रत्याशी डॉ राजेश मिश्रा (Congress candidate Dr Rajesh Mishra) को 75,334 मत मिले थे। जीत हासिल करने के बाद डॉ नीलकंठ तिवारी (BJP candidate Dr Neelkanth Tiwari) को योगी सरकार (Yogi Government) में भी जगह मिली थी और उन्हें राज्यमंत्री बनाया गया था। इस बार भी उन्हें भाजपा (BJP) की ओर से टिकट का सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा है।
दादा को 7 बार लगातार मिली जीत
वाराणसी दक्षिण विधानसभा सीट (Varanasi South Assembly seat) को भाजपा (BJP) का मजबूत किला बनाने का श्रेय डॉ श्यामदेव राय चौधरी दादा को दिया जाता है। बेहद सादगी से रहने वाले दादा ने सबसे पहले 1989 के विधानसभा चुनाव (1989 assembly elections) में इस सीट पर जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस के डॉक्टर रजनीकांत दत्ता को हराकर पहली जीत हासिल की थी और इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
1989 के बाद दादा ने 1991, 1993, 1996, 2002, 2007 और 2012 में भी इस सीट पर जीत हासिल की। 2017 में दादा का टिकट काटे जाने पर भाजपा में इसका प्रबल विरोध किया गया था। हालांकि बाद में वरिष्ठ नेताओं के दखल से नाराज दादा को मना लिया गया था। आम लोगों के बीच घुल- मिलकर रहने वाले बेहद सादगी पसंद दादा हमेशा जनता से जुड़े मुद्दों की लड़ाई लड़ते रहे और उनकी कामयाबी के पीछे उनके इस संघर्ष को ही बड़ा कारण माना जाता रहा है।
इसी सीट से जीतकर डॉ संपूर्णानंद बने सीएम
वैसे वाराणसी शहर दक्षिणी सीट (Varanasi South Assembly seat) का काफी गौरवशाली इतिहास रहा है। देश की आजादी के बाद हुए पहले चुनाव में 1951 में डॉ संपूर्णानंद ने इस सीट पर जीत हासिल की थी। 1957 के विधानसभा चुनाव (1957 assembly elections) में भी इस क्षेत्र के मतदाताओं ने डॉक्टर संपूर्णानंद को ही विजयी बनाया था और इसके बाद डॉ संपूर्णानंद प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। 1967 तक इस सीट पर लगातार कांग्रेस का कब्जा बना रहा।
1967 के विधानसभा चुनाव (1967 assembly elections) में कांग्रेस को पहली बार इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा जब भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (Communist Party of India) के रुस्तम सैटिन इस सीट पर चुनाव जीतने में कामयाब रहे। बाद के दो चुनावों में भारतीय जनसंघ ने सीट पर जीत हासिल की मगर उसके बाद फिर कांग्रेस प्रत्याशियों की जीत का सिलसिला शुरू हो गया। 1989 में पहली जीत हासिल करने के बाद भाजपा प्रत्याशी श्यामदेव राय चौधरी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और यह सीट उस समय से ही भाजपा का मजबूत गढ़ मानी जाती रही है।
अभी तक प्रत्याशियों की घोषणा नहीं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के संसदीय क्षेत्र से जुड़ी होने के कारण इस सीट पर इस बार फिर भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। यहां पर आखिरी चरण में 7 मार्च को मतदान होना है। इसलिए किसी भी राजनीतिक दल ने अभी तक प्रत्याशियों के नाम की घोषणा नहीं की है। सीट पर कब्जा बनाए रखने के लिए भाजपा की ओर से भीतर ही भीतर जोरदार तैयारियां की जा रही है। विभिन्न राजनीतिक दलों की ओर से प्रत्याशियों के नाम की घोषणा के बाद चुनावी तस्वीर और साफ हो सकेगी।
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