KGMU News: रेडियोडायग्नोसिस विभाग ने मनाया 35वां स्थापना दिवस, बिन सर्जरी किया जाता है मरीज़ों को ठीक
KGMU News: राजधानी के किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्विद्यालय (KGMU) के रेडियोडायग्नोसिस विभाग (radiodiagnosis department) ने अपना 35वां स्थापना दिवस (35th Foundation Day) मनाया।
Lucknow News: गुरुवार को राजधानी के किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्विद्यालय (KGMU) के रेडियोडायग्नोसिस विभाग (radiodiagnosis department) ने अपना 35वां स्थापना दिवस (35th Foundation Day) मनाया। यह कार्यक्रम पूरी तरह से हाइब्रिड मोड में हुआ। जिसमें पूरे भारत और दुनिया से विभाग के पूर्व छात्र शामिल हुए। इसमें विभाग के पूर्व छात्र डॉ. हिमांशु दिवाकर (Dr. Himanshu Diwakar) ने बताया कि एमआरआई से 'कार्सिनोमा प्रोस्टेट' (carcinoma prostate) जल्द पता चलता है। वहीं, डॉ. रोहित अग्रवाल ने बताया कि इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विधि से बिन सर्जरी किये मरीज़ों को ठीक किया जा सकता है।
अत्याधुनिक 128 स्लाइस सीटी स्कैन का संचालन शुरू
इस मौके पर विभागाध्यक्ष प्रो. नीरा कोहली (Head of Department Prof. Neera Kohli) ने बताया कि पिछले एक साल में विभाग ने कोविड के बावजूद पिछले 5 वर्षों के लगातार प्रयास से मानव संसाधन और बुनियादी ढांचे के निर्माण में काफी प्रगति की है। प्रो नीरा ने बताया कि "एमडी की सीटें 4 से बढ़कर 9 हो गईं और यूपी में सरकारी क्षेत्र में विभाग सबसे ज्यादा एमडी सीट की संख्या वाला हो गया है।
इस साल फैकल्टी की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई और 8 से बढ़कर 12 हो गई। विभाग ने मौजूदा 64 स्लाइस सीटी स्कैन के अलावा अत्याधुनिक 128 स्लाइस सीटी स्कैन का संचालन प्रारम्भ किया है। इससे कई जटिल बीमारियों के निदान में और हृदय रोगों के निदान में मदद मिलेगी।"
प्रोफेसर नीरा कोहली ने बताया कि विभाग ने चौबीसों घंटे बेडसाइड एक्स-रे और इंटरवेंशनल प्रक्रियाओं के साथ कोविड के दौरान अनुकरणीय सेवाएं प्रदान कीं, जिनकी कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. बिपिन पुरी ने अपने संबोधन में बहुत प्रशंसा की।
एमआरआई से जल्द पता चलता है 'कार्सिनोमा प्रोस्टेट'
पद्मश्री डॉ. एसएस सरकार (Padmashree Dr. SS Sarkar) पर व्याख्यान डॉ हिमांशु दिवाकर ने दिया। जो कि विभाग के पूर्व छात्र हैं और वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा के आई-मेड में क्लिनिकल डायरेक्टर हैं। उन्होंने बताया कि कैसे एमआरआई ने कार्सिनोमा प्रोस्टेट का जल्द पता लगाने में क्रांति ला दी है और मूत्र संबंधी लक्षणों से पीड़ित कई बुजुर्ग पुरुषों में चिंता और अनावश्यक बायोप्सी को कम कर दिया है।
इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विधि से बिन सर्जरी किया जाता है मरीज़ों को ठीक
लखनऊ के मेदांता हॉस्पिटल (Medanta Hospital) के डॉ रोहित अग्रवाल (Dr. Rohit Agarwal) ने बताया कि कैसे इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी ने कई स्थितियों के प्रबंधन में एक आदर्श परिवर्तन किया है। जिसमें पहले सर्जरी की आवश्यकता होती थी, लेकिन अब इसे इंटरवेंशन रेडियोलॉजी के एक बहुत ही नए क्षेत्र के साथ डे-केयर के आधार पर प्रबंधित किया जा सकता है। उन्होंने दिमाग की नसों के गुब्बारे, फालिज या स्ट्रोक में नसों के बंद होने पर, छाती या पेट में रक्त स्राव के या पैरों की खून की नालियों में अवरोध का इंटरवेशनल रेडियोलोजी द्वारा बिना चीर-फाड़ के ठीक करने की विधि के बारे में बताया।
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