Lucknow News: विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने नितिन अग्रवाल को दी बधाई, कहा - उपाध्यक्ष की व्यवस्था हमारी पुरानी वैदिक परिपाटी मे भी है

Lucknow News: विधानसभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने नितिन अग्रवाल को दी बधाई

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Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update: 2021-10-18 16:05 GMT

नितिन अग्रवाल का मिठाई खिलाकर स्वागत करते हृदय नाराण दीक्षित (फोटो-न्यूजट्रैक)

Lucknow News: उत्तर प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष, हृदय नारायण दीक्षित (vidhan sabha adhyaksh Hriday Narayan Dixit) ने नितिन अग्रवाल को उपाध्यक्ष (UP Vidhan Sabha Deputy Speaker Nitin Agarwal) चुने जाने पर बधाई देते हुए कहा कि कि संसदीय परिपाटी में उपाध्यक्ष चुने जाने की व्यवस्था हमारे संविधान में की गयी है। उन्होंने वैदिक परंपरा का जिक्र करते हुये कहा कि अध्यक्ष और उसके नीचे उपाध्यक्ष की व्यवस्था हमारी पुरानी वैदिक परिपाटी मे भी है। उपाध्यक्ष पद अपने आप में महत्वपूर्ण एवं दायित्वपूर्ण है। वहीं, नितिन अग्रवाल ने कहा कि कि उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी मिलने के बाद नियमों के तहत सदन को चलाने का प्रयास करूंगा।

विधानसभा अध्यक्ष हदयनारायण दीक्षित (vidhan sabha adhyaksh Hriday Narayan Dixit) ने कहा कि विधान सभा के नये उपाध्यक्ष नितिन अग्रवाल (UP Vidhan Sabha Deputy Speaker Nitin Agarwal) देश की सबसे बड़ी विधान सभा उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष के पद पर चुने गये हैं। वह युवा सदस्य हैं। लगातार तीसरी बार विधान सभा के सदस्य चुने गये हैं। सरकार में राज्य मंत्री का स्वतंत्र प्रभार संभाल चुके हैं। दीक्षित ने आशा प्रकट करते हुए कहा कि उनके उपाध्यक्ष के कार्यकाल मे सदन पुरानी परिपाटी को संजोये हुये नयी संसदीय परम्पराओं को स्थापित करने में सफल होंगे। विधानसभा अध्यक्ष हदयनारायण दीक्षित (vidhan sabha adhyaksh Hriday Narayan Dixit) ने यह भी बताया कि आज सदन की कार्यवाही पांच घंटा 58 मिनट चली।


वहीं विधानसभा के नवनिर्वाचत उपाध्यक्ष नितिन अग्रवाल (Nitin Agarwal Kaun Hai) ने कहा कि इस मतदान में कुछ अन्य लोग भी हमे वोट देना चाहते थे।पर पार्टी के दबाव में वह वोट नहीं दे पाए। उन्होंने कहा कि उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी मिलने के बाद नियमों के तहत सदन को चलाने का प्रयास करूंगा। नितिन अग्रवाल ने कहा कि सत्ता पक्ष और विपक्ष का उन्हे समर्थन मिलता रहेगा।

उन्होंने समाजवादी पार्टी का नाम लिए बिना कहा कि संवैधानिक पद को किसी जाति से नहीं जोड़ना चाहिए। बल्कि इसे राष्ट्रवाद से जोड़ना चाहिए। जातिवाद के आधार पर राजनीति का समय अब चला गया। उन्होने यह भी कहा कि प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि जो सदस्य 17वीं विधानसभा के सदस्य हैं ,वह 18वीं विधानसभा में भी चुनकर आए जिससे परम्पराएं जीवित रहें।

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