क्या सपा में घर वापसी करेंगे नरेश अग्रवाल !
भाजपा नेता नरेश अग्रवाल भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हो जाएगें ? हालांकि, नरेश अग्रवाल ने इस बात का खंडन किया है...
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के पूर्व कैबिनेट मंत्री और भाजपा नेता नरेश अग्रवाल पर दिए गए बयान के बाद इस बात पर लोग सवाल जवाब करने लगे हैं कि क्या नरेश अग्रवाल भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हो जाएगें ? हालांकि नरेश अग्रवाल की तरफ से भाजपा छोड़ने की बात का पूरी तरह से खंडन किया गया है पर राजनीतिक क्षेत्र में 'मौसम वैज्ञानिक' कहे जाने वाले नरेश अग्रवाल के अगले कदम का लोग इंतजार कर रहे हैं। दरअसल, बुधवार को एक कार्यक्रम के सिलसिले में अखिलेश यादव हरदोई पहुंचे थें जहां उन्होंने पत्रकारों के सवाल के जवाब में कहा कि ''यदि नरेश अग्रवाल कह दें कि भाजपा में उनका अपमान हुआ है तो सपा में उन्हे वापस ले लेंगे। हमने हमेशा उनको सम्मान देने का काम किया है।'' इसके बाद से हरदोई से लेकर लखनऊ तक कयासबाजी का दौर चल निकला है।
कांग्रेसी परिवार से राजनीति में आए थे नरेश अग्रवाल
नरेश अग्रवाल मूल रूप से कांग्रेसी परिवार से राजनीति में आए थें। वह यूपी में कांग्रेस की सरकार में मंत्री भी रहें। लेकिन मायावती-कल्याण सिंह विवाद के चलते 1997 में उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर लोकतांन्त्रिक कांग्रेस बना ली और भाजपा के नेतृत्व वाली कल्याण सिह सरकार में उर्जा मंत्री बने। फिर रामप्रकाश गुप्त और राजनाथ सिंह सरकार में मंत्री रहे। 1997 से 2001 तक वह यूपी सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे। लेकिन राजनाथ सिंह ने जब उन्हे मंत्री पद से हटा दिया तो तो 2002 का चुनाव उन्होंने सपा के टिकट पर लड़ा। फिर मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्रित्व वाली प्रदेश सरकार में 2003 से 2004 तक पर्यटन मंत्री रहे। इसके बाद 2004 से 2007 तक उन्होंने यूपी के परिवहन मंत्री का कार्यभार संभाला। फिर 2007 का चुनाव भी वह समाजवादी पार्टी से जीते मगर प्रदेश में मायावती की सरकार बनने के बाद 28 मई 2008 को उन्होंने सपा से नाता तोड़ लिया और बसपा में शामिल हो गए। बहुजन समाज पार्टी में शामिल होने के बाद मायावती ने उन्हे वैश्यों को जोड़ने की जिम्मेदारी सौंपी और फर्रुखाबाद लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाने के साथ ही पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बना दिया । लेकिन जब वह लोकसभा का चुनाव हार गए तो उन्हे मायावती ने प्रदेश की राजनीति से उठाकर राष्ट्रीय राजनीति के लिए राज्यसभा भेज दिया। इसके बाद जब उन्हे लगा कि 2012 के विधानसभा चुनाव में हवा का रुख समाजवादी पार्टी की ओर है तो बसपा से मुंह मोड़ लिया और राज्यसभा की सदस्यता छोड़कर अपने कुनबे समेत समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। बाद में वह समाजवादी पार्टी के दम पर 2012 में एक बार फिर राज्यसभा पहुंच गए।
तब ये कहा
नरेश अग्रवाल जब बहुजन समाज पार्टी में शामिल हुए थें तो उन्होंने कहा था ''अब पूरा राजनीतिक जीवन बहिन जी को अर्पित कर रहा हूं । मेरे बाद मेरा बेटा उनके साथ रहेगा। मायावती जी भावी प्रधानमंत्री ही नहीं देश की कर्णधार हैं। उनकी कथनी-करनी में कभी अंतर नहीं रहा।
(28 मई, 2008)
फिर ये कहा
अब जाकर राजनीतिक रूप से स्वतंत्र हुआ हूं। जब तक मुलायम सिंह यादव को मुख्यमंत्री नहीं बना लेता, चैन से नहीं बैठने वाला। जो गलती हुई उसके लिए क्षमा चाहता हूं। नेताजी आपका ऋण अदा करुंगा।
(30 दिसम्बर , 2011)
इसके बाद जब 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव के पहले जब मुलायम परिवार में विवाद हुआ तो उन्होंने मुलायम सिंह का साथ छोड़कर अखिलेश यादव का साथ दिया। कहा ''ऐसा नहीं है कि जो नेता जी कहेंगे वही होगा। आखिर डेमोक्रेसी नाम की भी कोई चीज होती है। अखिलेश यादव हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं तो फिर नेताजी के पास हमे निकालने का कोई अधिकार नहीं रह गया। मुलायम सिंह को चाहिए कि वह मोदी की तारीफ न कर अपने बेटे अखिलेश यादव की तारीफ करें''।
2018 को नरेश अग्रवाल भाजपा में हुए शामिल
इसके बाद जब 2017 के चुनाव के बाद प्रदेश में भाजपा की सरकार बन गयी। एक साल बाद जब राज्यसभा का उनका कार्यकाल खत्म हो गया तो इंतजार था कि अखिलेश यादव उन्हे फिर से राज्य सभा भेजेगें पर जब समाजवादी पार्टी ने उनको उच्च सदन नहीं भेजा तो 12 मार्च 2018 को वह भाजपा में शामिल हो गए। नरेश सूबे के चंद उने गिने नेताओं में हैं। जिन्होंने सूबे के सभी दलों के साथ छोटी या बड़ी कोई न कोई पारी ज़रूर खेली है। नरेश अग्रवाल को सूबे का सबसे अच्छा राजनीति का मिज़ाज भाँप लेने वाला मौसम विज्ञानी माना जाता है। ऐसे में जब नरेश अग्रवाल के करवट बदले का ज़िक्र होना शुरू हुआ है तो राजनीतिक पंडित भी बहुत कुछ सोचने विचारने लगे हैं।