Officers In Politics: आसान नहीं है राजनीति की रपटीली राह पर टिक पाना, लड़खड़ा चुके हैं कई पूर्व अधिकारी के कदम
अमिताभ ठाकुर कोई पहले प्रशासनिक अधिकारी नहीं हैं। कुछ महीनों पहले एक और आईएएस अधिकारी अरविन्द कुमार शर्मा भी राजनीति में उतरकर भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष और विधानपरिषद सदस्य भी बने हैं।
Officers In Politics: इन दिनों उत्तर प्रदेश में एक पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर फिर चर्चा में हैं। वह अपने सरकारी सेवाकाल के दौरान जितना चर्चा में नहीं रहे उससे ज्यादा तो व्यवस्था के खिलाफ अपनी आवाज बुलन्द करने को लेकर चर्चा में रहे। अब एक बार फिर मीडिया की सुर्खियों में है। उन्होंने हाल ही में राजनीतिक दल बनाकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ने का बीड़ा उठाया है। उनके दल का नाम होगा अधिकार सेना।
अमिताभ ठाकुर कोई पहले प्रशासनिक अधिकारी नहीं हैं। कुछ महीनों पहले एक और आईएएस अधिकारी अरविन्द कुमार शर्मा भी राजनीति में उतरकर भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष और विधानपरिषद सदस्य भी बने हैं।
इन अधिकारियों ने रिटायर होने के बाद राजनीति का रास्ता चुना
इसके पहले केन्द्र में सचिव रहे एसएटी रिजवी, भूरेलाल, पूर्व पुलिस प्रमुख प्रकाश सिंह, आईसी द्विवेदी के अलावा आईपीएस एसएन सिंह भी अपनी राजनीतिक पारी खेल चुके हैं। मुलायम और मायावती की सरकारों में प्रमुख सचिव रहे पीएल पुनिया के सांसद फिर कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिलने के बाद खासतौर से अफसरों में माननीय बनने का क्रेज तेजी से बढ़ा। एक और पुलिस अधिकारी बृजलाल ने भी सरकारी सेवा से रिटायर होने के बाद राजनीति का रास्ता चुना और इस समय वह भाजपा के राज्यसभा सदस्य हैं।
पूर्व प्रशासनिक अधिकारी डा चन्द्रपाल से पहले उनकी पत्नी विमला पाल जनता दल और सपा से विधानसभा का चुनाव लड़ चुकी हैं राज्य सरकार में प्रमुख सचिव रहे डॉ. चन्द्रपाल ने किसी राजनीतिक दल में शामिल होने के बजाय आदर्श समाज पार्टी का गठन किया। पर वो इसमें सफल नहीं हो सके। चन्द्रपाल से पहले उनकी पत्नी विमला पाल जनता दल और सपा से विधानसभा का चुनाव लड़ चुकी हैं। प्रमुख सचिव रहे हरीश चंद्र भी राष्ट्रीय जनवादी पार्टी बना चुके हैं। जबकि आईआरएस रहे डॉ. उदित राज भी इंडियन जस्टिस पार्टी बनाकर काफी दिनों से तक सक्रिय रहे। फिर वह भाजपा में शामिल होकर सांसद भी बने।
राजनीति की राह आसान नहीं
रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रिटायर्ड आईपीएस एसआर दारापुरी भी पिछले लोकसभा चुनाव में अपना भाग्य आजमा चुके हैं। केरल के डीजीपी रहे आईपीएस राजबहादुर भी पिछले विधानसभा चुनाव में सरोजनीनगर से निर्दलीय उम्मीदवार थे और परिणाम आने पर वे 12 वें स्थान पर नजर आए। आईएएस रहते हुए भ्रष्ट्राचार के खिलाफ जंग लड़ने वाले धर्मसिंह रावत (दिवंगत) ने बर्खास्त होने के बाद भारत की लोक जिम्मेदार पार्टी बनाई। लेकिन उन्हें भी कामयाबी नहीं मिली।
रिटायर्ड एडीजी अजय सिंह कांग्रेस में शामिल हो गए सेवानिवृत्त होने के बाद कई जिन आईएएस और आईपीएस अधिकारियों ने दल नहीं बनाया बल्कि उन्होंने व्यवस्था से लड़ने और चुनाव के मददेनजर सियासी दलों का झंडा उठा लिया है। रिटायर्ड एडीजी अजय सिंह कांग्रेस में शामिल हो गए।
नौकरी छोड़कर राजनीति में अजमाया किस्मत
इससे पूर्व पीपीएस अधिकारी शैलेन्द्र सिंह भी नौकरी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए और लोकसभा का चुनाव भी लड़े। जबकि इससे पूर्व फैजाबाद के एसएसपी रहे डीबी राय दो बार भाजपा से सांसद रहे।
क्या अमिताभ ठाकुर सफल होंगे राजनीति में
अब जबकि यूपी में विधानसभा चुनाव होने वाले है। अभी कई और प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी राजनीति के मैदान में उतरकर अपनी किस्मत आजमाने की तैयारी में हैं। अब देखना यह है कि अमिताभ ठाकुर राजनीति के मैदान में उतरकर उंचाईयों को कितना छू पाते हैं अथवा पूर्व में इसी तरह के अन्य पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों की तरह गुमनामी के अंधेरे में खो जाते है।