राजनीतिक किस्से: शपथ की तैयारियों के बावजूद मुलायम नहीं बन पाए थे PM, इन दो नेताओं का लिया नाम
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव साल 1996 में एच.डी देवगौड़ा की सरकार में रक्षा मंत्री बने थे। इससे पहले पीएम के लिए उनके नाम पर मुहर लग गई थी।
Lucknow: उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव कई बार इस बात को कहते रहे हैं कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह राजनीति में आएंगे। उनके पिता तो चाहते थे कि वो अखाड़े में कुश्ती करें और पहलवान बनें। मुलायम भी ऐसा ही कर रहे थे, लेकिन बाद में परिस्थितियां ऐसी बनी कि मुलायम विधायक, सांसद और फिर देश के सबसे बड़े प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे।
मुलायम सिंह यादव को 90 के दशक में केंद्र में रक्षा मंत्री बनने का भी मौका मिला। यही नहीं, एक समय वो भी आया, जब सियासी गलियारों में चर्चा उनके प्रधानमंत्री बनने की रही। तब मुलायम सिंह के नाम पर सिर्फ मुहर नहीं लगी थी। बल्कि तैयारियां भी हो रखी थी। हालांकि तब वो प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए थे।
मुलायम के नाम पर सहयोगी भी थे तैयार
वर्ष था 1996। तब मिली जुली सरकार का दौर था। देश की दोनों बड़ी पार्टियों कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ बहुमत नहीं था। तब छोटी पार्टियां निर्णायक भूमिका में थीं। इस दौर में कई क्षेत्रीय क्षत्रप केंद्र की राजनीति में दो-दो हाथ करने को तैयार थे। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बहुमत साबित न कर पाने की वजह से गिर चुकी थी। उसी दौर में मुलायम सिंह यादव का नाम प्रधानमंत्री के लिए करीब-करीब तय हो चुका था। उनके नाम पर तमाम सहयोगी दल भी तैयार थे। शपथ ग्रहण की तारीख और समय तक तय हो चुका था, लेकिन मुलायम पीएम नहीं बन पाए थे।
करीब 20 साल बाद बताया, तब क्या हुआ था
हालांकि उस वक्त मुलायम सिंह को पीएम की कुर्सी तक नहीं पहुंचने देने में सबसे बड़ा नाम लालू प्रसाद यादव का आया था, लेकिन साल 2014 में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान एक खबरिया चैनल से बात करते हुए मुलायम सिंह ने यह पुराना किस्सा सुनाया था। मुलायम सिंह से सवाल पूछा गया था, 'जैसे ही प्रधानमंत्री पद का नाम आता है, आप पीछे हट जाते हैं। आपको मानने में क्या गुरेज है?' इस सवाल का जवाब देने से पहले मुलायम सिंह यादव मुस्कुराने लगते हैं। इसके बाद वो उस समय के घटनाक्रम को सुनाते हैं।
मुलायम को नहीं कोई मलाल
मुलायम सिंह कहते हैं, "एक घटना हो चुकी है। हम लगभग प्रधानमंत्री बन चुके थे। यह भी तय हो गया था कि सुबह आठ बजे शपथ होनी है। बाद में मामला बिगड़ गया। मैंने तो इसमें कभी बुरा नहीं माना।" मुलायम सिंह उल्टे पत्रकार से पूछते हैं, "क्या मैं निराश हुआ हूं? क्या आपको अंदाजा है कि हमारे घर पर कितनी भीड़ थी?" उन्होंने बताया, "उस दिन हजारों समर्थक और सारी दुनिया की प्रेस हमारे घर पहुंच गई थी। मुझे कभी दुख नहीं हुआ कि प्रधानमंत्री नहीं बन सका।"
ज्योति बसु और फारूक अब्दुल्ला का लिया नाम
मुलायम सिंह एक बार फिर अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं, "इसके बाद और भी बड़ा काम हुआ। हालांकि अब वो नेता तो जिंदा भी नहीं हैं। मेरे पीछे फैसला कर लिया। इसमें ज्योति बसु और फारूक अब्दुल्ला समेत कई नेता थे। जो सोच रखे थे अगर मुलायम प्रधानमंत्री बने तो उप प्रधानमंत्री हम बनेंगे। सब तय हो गया और हमें कोई पता नहीं। इन्होंने हमें धोखा नहीं दिया बल्कि खुद धोखा खा गए। इन नेताओं का आधार ही खत्म हो गया। हमें तो अब कोई प्रधानमंत्री बनने की इच्छा भी नहीं रही है।"
हालांकि इस पूरी बातचीत में मुलायम सिंह ऐसे किसी बात से बचते रहे जिसका वर्तमान राजनीति या उनके रिश्ते प्रभावित न हों। 1996 में भले ही मुलायम सिंह को प्रधानमंत्री न बन पाने की कसक रही हो। लेकिन आज उन्हें इसका कोई मलाल नहीं है। हालांकि बाद में एच.डी. देवेगौड़ा प्रधानमंत्री बने थे। केंद्र की राजनीति में मुलायम सिंह को रक्षा मंत्री बनने का अवसर मिला था।