UP Election 2022: लखनऊ में मीडिया अटेंशन से दूर मतदान कार्य में लगी रही महिलाएं, किसी ने सर पर तो किसी ने पीठ पर ढोया EVM बक्शा, देखें तस्वीरें

उत्तर प्रदेश में चौथे चरण के मतदान के दौरान सभी अखबारों, पोर्टलों और टीवी चैनल्स की सुर्खियों में एक महिला मतदाता कर्मी रहीं। पीडब्लयूडी में लिपिक के पद पर कार्यरत रीना द्विवेदी ने सभी प्रकार की मीडिया में जबरदस्त कवरेज पाया।

Newstrack :  Network
Published By :  Divyanshu Rao
Update:2022-02-23 23:02 IST
महिला कर्मचारियों की तस्वीर  (फोटो:आशुतोष त्रिपाठी)

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का आज चौथा चरण था। जो शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ। इस चरण में प्रदेश की 59 विधानसभा सीटों पर जनता ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। अमूमन मतदान के दौरान या इससे पहले नेता सुर्खियों में रहते हैं।

लेकिन उत्तर प्रदेश में चौथे चरण के मतदान के दौरान सभी अखबारों, पोर्टलों और टीवी चैनल्स की सुर्खियों में एक महिला मतदाता कर्मी रहीं। पीडब्लयूडी में लिपिक के पद पर कार्यरत रीना द्विवेदी ने सभी प्रकार की मीडिया में जबरदस्त कवरेज पाया। उनकी ड्यूटी वाली बूथ को लेकर अलग से खबरें चली हैं, जिसमे उनके काम को खास ढंग से पेश किया गया है। इसके अलावा उनके ड्रेस के बारे में खुब चर्ची की गई है।

मतदान कर्मचारियों की तस्वीर (फोटो:आशुतोष त्रिपाठी)

इन सबके बीच चौथे चरण में ऐसी कई महिला मतदान कर्मी हैं जिन्होंने बगैर किसी मीडिया एटेंशन के अपने कार्यो को बखुबी अंजाम दिया है। एक मतदान कर्मी का कर्तव्य निभाते हुए उन्होंने सारे कार्य किए। चुनाव खत्म होने के बाद उन्हें ईवीएम के भारी भरकम बख्शे को उठाकर ले जाते हुए देखा जा सकता है।

ईवीएम ले जाते कर्मचारियों की तस्वीर(फोटो:आशुतोष त्रिपाठी)

सामान्य परिधान पहनी ये महिलाएं लोकतंत्र के इस पवित्र उत्सव में एक भागीदार बनकर खुश हैं। इनमे से कई महिलाएं ऐसी हैं जो अपने घरों से दूर आई हैं। उन्होंने अपने कर्तव्य को प्राथमिकता देते हुए परिवार, दोस्त सभी पीछे छोड़ चुनाव की ड्यूटी ज्वाइन की। ऐसे में सवाल उठता है कि हमारी मुख्यधारा की मीडिया इनके प्रति उदासीन क्यों है ?

महिला कर्मचारी (फोटो:आशुतोष त्रिपाठी)

अपनी खबरों में समाज में समानता समेत अन्य प्रगतिशील विचारों के बारे में बात करने वाली मीडिया एक ही कार्य के लिए कैसे भेदभाव वाला रूख अपना सकती है ? एक कहावत काफी प्रचलित है भीड़ से हटकर। इसका तात्पर्य है कि कुछ लोग किसी काम को लीक से हटकर करते हैं। जो भीड़ में शामिल अन्य लोग नहीं कर पाते। इसका निर्धारण भी व्यक्ति के काम से ही होता है। लेकिन जब व्यक्ति को उनके कपड़ों और शारिरिक सुंदरता को पैमाना बनाकर उसकी वाहवाही भीड़ से हटकर की जाए तो ये अन्याय है।

लोगों में जागरूकता, चेतना और बराबरी लाने जैसे प्रगतिशील विचारों के बारे में बात करने वाली मीडिया को अपने इस सेलेक्टिव अप्रोच से बचना होगा। चौथे चरण में संपन्न हुए मतदान कार्य में जितनी भूमिका रीना द्विवेदी की है उतनी ही इस ड्यूटी में तैनात अन्य महिला मतदान कर्मियों की है। अपने कंधों और हाथों में लिए मतदान से संबंधित भारी भरकम सामान लिए हुए चल रही ये महिलाएं इस बात की तस्दीक करती है कि उन्हें अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए किसी मीडिया आकर्षण की जरूरत नहीं है।

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