Waseem Rizvi News: वसीम रिजवी ने अब अपने पिता का नाम भी बदला, 6 दिसंबर को छोड़ा था इस्लाम धर्म
Waseem Rizvi News: इस्लाम धर्म छोड़कर हिन्दूधर्म अपनाने वाले वसीम रिजवी ने अब अपने दिवंगत पिता का नाम भी बदल लिया है।
Waseem Rizvi News: हाल ही में इस्लाम धर्म (Islam religion) से नाता तोड़कर हिन्दूधर्म ग्रहण (convert to Hinduism) करने वाले उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड (former chairman of the Uttar Pradesh Shia Waqf Board) के पूर्व अध्यक्ष सैयद वसीम रिजवी (Syed Wasim Rizvi) ने अब अपने पिता का नाम (change father name) भी बदलकर हिन्दूधर्म के मुताबिक राजेश्वर दयाल त्यागी (Rajeshwar Dayal Tyagi) कर लिया है। सैयद वसीम रिजवी से जितेन्द्र नारायण सिंह त्यागी (Jitendra Narayan Singh Tyagi) कर लिया है।
यहां यह बतानाा भी जरूरी है कि वसीम रिजवी के पिता एक रेलवे कर्मचारी थे। लेकिन काफी कम उम्र में ही वसीम रिजवी के सर से पिता का साया हट गया। वह जब छोटे थे तभी उनके पिता का निधन हो गया। इसके बाद उन्होंने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया।
वसीम रिजवी अपने माता-पिता की सबसे छोटे संतान थे
बतातें हैं कि वसीम रिजवी घर पर सबसे छोटे थे इसलिए 12वीं की परीक्षा के बाद वह सऊदी अरब में एक होटल में नौकरी करने चले गए। इसके बाद वसीम रिजवी ने जापान और अमेरिका में भी काम किया है।
उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन भी रह चुके हैं वसीम रिजवी
उल्लेखनीय है कि अपने विवादित बयानों के कारण पिछले कुछ महीनों में वसीम रिजवी खासी चर्चा में रहे। वह उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन भी रह चुके हैं। लेकिन इस्लाम की आलोचना करने को लेकर पिछले कई महीनों से वह चर्चा रहे। इसके बाद उन्होंने हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया है। जितेन्द्र त्यागी उर्फ वसीम रिजवी का कहना है कि सनातन धर्म और दुनिया का सबसे पहला धर्म बताया है. इतना ही नहीं उन्होंने कहा है कि जितनी अच्छाइयां इस धर्म में है उतनी किसी और धर्म में नहीं है।
वसीम रिजवी ने 6 दिसंबर को इस्लाम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपना
शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने 6 दिसंबर को इस्लाम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपना लिया है। यूपी के गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर के महंत यति नरसिंम्हानंद गिरी महाराज वसीम रिजवी को सनातन धर्म ग्रहण करवाया है। शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी आज सनातन धर्म अपना लिया हैं। इसके लिए वह गाजियाबाद के प्राचीन डासना देवी मंदिर में पहुंचे थे। यहां के महंत नरसिंहानंद सरस्वती की मौजूदगी में धर्म परिवर्तन कराया गया।
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