World Anesthesia Day: मरीज़ों की जान बचाने में एनेस्थेसिया विशेषज्ञों का अहम हाथ, ISA के सेमिनार में एनेस्थेसिया के सफल उपयोग पर होगी चर्चा
डॉक्टर तन्मय तिवारी ने बताया कि "साल 1846 में एनेस्थेसिया का प्रथम उपयोग हुआ था। तब से आज तक की यात्रा में मरीज़ की सुरक्षा को ही सर्वोपरि मानते हुए एनेस्थेसिया विशेषज्ञ अपना कार्य करते है।
World Anesthesia Day: "भारत में इस समय लगभग 50 हज़ार एनेस्थेसिया विशेषज्ञ हैं। लेकिन भारत की जनसंख्या को देखते हुए राष्ट्रीय मानक के अनुसार- एनेस्थेसिया विशेषज्ञों की काफ़ी कमी है।" यह बात 175वें वर्ल्ड एनेस्थेसिया-डे (World Anesthesia Day) से पहले इंडियन सोसाइटी ऑफ एनेस्थीसियोलोजिस्ट (Indian Society of Anaesthesiologists) की लखनऊ शाखा के सचिव डॉ. तन्मय तिवारी (Dr Tanmay Tiwari) ने कही।
एनेस्थेसिया अब ज़्यादा सुगम और सुरक्षित
डॉक्टर तन्मय तिवारी ने बताया कि "साल 1846 में एनेस्थेसिया का प्रथम उपयोग हुआ था। तब से आज तक की यात्रा में मरीज़ की सुरक्षा को ही सर्वोपरि मानते हुए एनेस्थेसिया विशेषज्ञ अपना कार्य करते है। समय के साथ बदलते स्वरूप में एनेस्थेसिया अब ज़्यादा सुगम और मरीज़ों के लिए अत्यधिक सुरक्षित है।" उन्होंने कहा कि जटिल से जटिल सर्जरी के पश्चात भी मरीज़ अपनी नॉर्मल दिनचर्या को ऑपरेशन के बाद प्राप्त कर लेता है। जिसमें नयी एनेस्थेसिया तकनीक, विभिन्न दर्द निवारक दवाई एवं नर्व ब्लॉक्स का महत्वपूर्ण योगदान है, इसका उपयोग एनेस्थेसिया विशेषज्ञों द्वारा ही किया जाता है।
एनेस्थेसिया विशेषज्ञ ही देते हैं कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन की ट्रेनिंग
डॉ तन्मय तिवारी ने बताया कि "कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) विधि के उपयोग से ट्रॉमा और ऐक्सिडेंट में गम्भीर रूप से घायल मरीज़ों को भी बचाया जा सकता है। जिसकी सटीक जानकारी एवं स्किल ट्रेनिंग एनेस्थेसिया विशेषज्ञों के द्वारा विभिन्न कोर्सेज़ के माध्यम से दी जाती है।"
एनेस्थेसिया के सफल उपयोग पर प्रोफेसर जयश्री सूद देंगे जानकारी
डॉक्टर तन्मय तिवारी ने बताया कि ''16 अक्टूबर को वर्ल्ड एनेस्थेसिया-डे (World Anesthesia Day) है, जिसके मौके पर इंडियन सोसाइटी ऑफ एनेस्थीसियोलोजिस्ट की लखनऊ शाखा की तरफ से सेमिनार का आयोजन किया जाएगा। जिसे नई दिल्ली के गंगाराम हॉस्पिटल के प्रोफेसर जयश्री सूद संबोधित करेंगे। वह कठिन परिस्थितियों में एनेस्थेसिया के सफल उपयोग पर जानकारी देंगे।'' उन्होंने बताया कि आयोजन में लखनऊ के सभी प्रमुख अस्पतालों जैसे- किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्विद्यालय (KGMU), संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI), डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान (RMLIMS), मेदांता अस्पताल (Medanta Hospital) और अपोलो अस्पताल (Apollo Hospital) के एनेस्थीसिया विशेषज्ञ उपस्थित रहेंगे।
कोरोना पैंडेमिक में नज़र आए 'एनेस्थेसिया विशेषज्ञ'
डॉ तन्मय तिवारी ने कहा कि आईसीयू केयर में पारंगत एनेस्थेसिया विशेषज्ञ कोरोना पैंडेमिक में हर जगह एक्शन मोड में नज़र आए। अपने जान की परवाह किए बिना मरीज़ों की सेवा में तत्पर रहे। उन्होंने बताया कि इंडियन सोसाइटी ऑफ एनेस्थीसियोलोजिस्ट (Indian Society of Anaesthesiologists) की लखनऊ शाखा वर्ल्ड एनेस्थेसिया-डे के उपलक्ष्य पर अपने साथी डॉक्टर्स को श्रद्धांजलि अर्पित करेगी।