Raebareli: रायबरेली में कस्तूरबा संग गांधी जी ने किया था आजादी की लड़ाई का उद्घोष

बैसवारे की धरती पर राना बेनी माधव बख्श सिंह ने अंग्रेजों को धूल चटाई थी। यही वजह है कि आजादी की लड़ाई में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने बैसवारे को चुना।

Report :  Narendra Singh
Published By :  Ashiki
Update:2021-08-08 22:31 IST

गांधी चबूतरा 

रायबरेली: बैसवारे की धरती पर राना बेनी माधव बख्श सिंह ने अंग्रेजों को धूल चटाई थी। यही वजह है कि आजादी की लड़ाई में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने बैसवारे को चुना। बछरावां के साथ लालगंज में जनसभा की। यहां की सभा में पत्नी कस्तूरबा गांधी भी मौजूद थीं। आज भी लालगंज के गांधी चबूतरा में उनके सभा का प्रमाण मिलता है। यहीं से उन्होंने आजादी का बिगुल फूंका था। नमक सत्याग्रह, झंडा सत्याग्रह हो या फिर पूर्ण स्वराज आंदोलन, जिले के लोगों ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। बापू के आने के बाद लोगों में ऐसा जोश भरा कि यहां पर सबसे सफल आंदोलन हुआ।

1925 में साधारण धोती और कुर्ता पहनकर पहुंचे गांधीजी को सुनने और देखने के लिए आसपास के जिलों से लोग आए। वे इलाहाबाद से प्रतापगढ़ होते हुए लखनऊ की ओर जा रहे थे। दोबारा 1929 में आए। लालगंज में जिले की जनता ने हाथों-हाथ लिया था। सभा स्थल पर ही चबूतरा बनाया, जिसका नाम गांधी चबूतरा रखा गया।

7 जनवरी 1921 किसान आंदोलन में हुए गोलीकांड के बाद जिले की धरती पर आजादी की लड़ाई तेज हो गई थी। यही वजह रही कि गांधीजी ने अंग्रेजों से लड़ने के लिए हर आंदोलन को रायबरेली से जोड़ा। यहां पर सहयोग भी मिला। गांधीजी को ग्रामीणों ने आर्थिक मजबूती प्रदान करते हुए 1857 रुपये की थैली प्रदान की थी। इस जनसभा में बापू के साथ कस्तूरबा गांधी भी आई थीं। आजादी की लड़ाई में कोई आर्थिक कमी न होने पाए, इसके लिए कस्तूरबा को रायबरेली की महिलाओं ने अपने आभूषण दे दिए थे। गांधी जी ने सलोन के मोहनगंज में भी रुककर जनसभा को संबोधित किया था।

नमक सत्याग्रह शुरू करने की मिली जिम्मेदारी

वर्ष 1929 को सबसे पहले गांधीजी बछरावां आए थे। यहां माता प्रसाद मिश्र व मुंशी चंद्रिका प्रसाद ने उनका स्वागत किया था। रात्रि विश्राम सुदौली कोठी में किया। अगले दिन लालगंज पहुंचे थे। यहां एकत्र हुई भारी भीड़ से वह इस कदर अभिभूत थे कि उन्होंने तय किया था कि सयुंक्त प्रांत में नमक सत्याग्रह की जिम्मेदारी रायबरेली को दी जाएगी। ब्रिटिश सरकार के खिलाफ़ महात्मा गांधी ने 1930 को नमक सत्याग्रह शुरू करने की घोषणा शुरू कर दी। महात्मा गांधी निर्देश पर जवाहरलाल नेहरू ने इसकी शुरुआत रायबरेली से करने को कहा। गांधी जी ने इस संबंध में स्वयं एक पत्र लिखकर रायबरेली के शिवगढ़ निवासी और साबरमती आश्रम में रहने वाले बाबू शीतला सहाय को भेजा।

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