रामभक्तों पर चलती गोलियां: बिछ जाती लाशें ही लाशें, अगर ना होते कल्याण सिंह
अयोध्या में 1992 में विवादित ढांचा तोड़े जाने के समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को राम मंदिर निर्माण के नायकों में गिना जाता है। विवादित ढांचा तोड़े जाने के बाद कल्याण सिंह की सरकार को बर्खास्त कर दिया गया था।
लखनऊ। अयोध्या में 1992 में विवादित ढांचा तोड़े जाने के समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को राम मंदिर निर्माण के नायकों में गिना जाता है। विवादित ढांचा तोड़े जाने के बाद कल्याण सिंह की सरकार को बर्खास्त कर दिया गया था। 6 दिसंबर, 1992 को कारसेवकों का उग्र तेवर देखते हुए फैजाबाद जिला प्रशासन ने गोली चलाने की अनुमति देने का अनुरोध किया था मगर तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने जिला प्रशासन का यह अनुरोध ठुकरा दिया था।
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अब अयोध्या विवाद का सुप्रीम कोर्ट की ओर से निपटारा किया जा चुका है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों भूमिपूजन के बाद मंदिर निर्माण का काम भी शुरू हो चुका है।
भूमि पूजन के मौके पर अपनी प्रतिक्रिया में कल्याण सिंह ने कहा था कि यदि अयोध्या में विवादित ढांचा बना रहता तो इस विवाद के समाधान का रास्ता भी नहीं निकलता। उनका मानना है कि अयोध्या में विवादित ढांचा ढह जाने के बाद ही मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो सका।
गुलामी की निशानी, जनता को नहीं भायी
अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा ढहाए जाने के बाद कल्याण सिंह ने कहा था कि गुलामी की निशानी, जनता को नहीं भायी। आने वाला इतिहास इस बात का फैसला करेगा कि सही हुआ या गलत। उनका कहना था कि मैं कौन होता हूं सही गलत बताने वाला। यह बात तो इतिहास ही हमें बताएगा।
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विवादित ढांचा गिरने से ही मंदिर निर्माण का मार्ग निकला
28 साल पहले दी गई अपने इस प्रतिक्रिया के बाद अभी हाल में कल्याण सिंह ने कहा कि यदि 1992 में कारसेवकों ने विवादित ढांचे को ना तोड़ा होता तो शायद इस विवाद का समाधान खोजने की कोशिशें भी तेज नहीं हो पातीं। उन्होंने कहा कि विवादित ढांचे को तोड़े जाने से ही मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो सका।
पूर्व मुख्यमंत्री के मुताबिक जब भी श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या आंदोलन का जिक्र किया जाएगा अयोध्या आंदोलन के नायकों के साथ मेरा भी नाम जोड़ा जाएगा। मीडिया से बातचीत में कल्याण सिंह का कहना था कि प्रभु श्रीराम की कृपा से ही मुझे यह सौभाग्य हासिल हुआ है।
गोली चलाने का नहीं दिया आदेश
1992 में 6 दिसंबर को अयोध्या पहुंचे राम भक्त पूरी तरह बेकाबू हो गए थे मगर फिर भी तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने राम भक्तों पर गोलियां न चलाने का आदेश दिया था। कल्याण सिंह हमेशा यह बात कहते रहे हैं कि उन्हें 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों पर गोली न चलाने के आदेश पर गर्व है।
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उन्होंने कहा कि 1992 में 6 दिसंबर को फैजाबाद के जिला प्रशासन ने मुझे मौके पर स्थिति विस्फोटक होने की जानकारी दी थी। जिला प्रशासन का कहना था कि बहुत ज्यादा भीड़ होने के कारण सुरक्षाबलों की टुकड़ियां साकेत महाविद्यालय से आगे नहीं बढ़ पा रही हैं और गोली चलाकर ही उग्र भीड़ को काबू में किया जा सकता है।
ऐसी स्थिति में कल्याण ने पूरी दृढ़ता के साथ किसी भी हालात में कारसेवकों पर गोली न चलाने का आदेश दिया था। कल्याण के मुताबिक उन्हें आज भी उस आदेश पर गर्व है क्योंकि कोई रामभक्त दूसरे रामभक्तों के खून से अपना हाथ नहीं रंग सकता।
अब सिर्फ भव्य राम मंदिर की इच्छा बाकी
बाबरी विध्वंस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह प्रमुख आरोपी रहे हैं। उनका कहना है कि मेरी बस एक ही इच्छा बाकी रह गई है कि मैं प्रभु राम के जन्म स्थान पर भव्य राम मंदिर का दर्शन कर सकूं। राम के जन्म स्थान की भव्यता का दर्शन करने के बाद ही चैन से मरना चाहता हूं।
उनके मुताबिक राम मंदिर आंदोलन में धर्मनिरपेक्षता की आड़ में देश में तुष्टीकरण की सियासत करने वालों का चेहरा पूरी तरह बेनकाब कर दिया है। ऐसे लोगों की सच्चाई जनता भी बखूबी समझ चुकी है और यही कारण है कि तुष्टीकरण की सियासत करने वाले लोग आज पूरी तरह दरकिनार किए जा चुके हैं।
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रिपोर्ट- अंशुमान तिवारी