खत्म हुआ डेवलपमेंट प्रोग्राम, प्रोफेसरों ने सात दिन ऐसे बनाये ख़ास

आज की परिस्थिति में उत्तर प्रदेश में जिस संख्या में ई-लर्निंग मैटेरियल का उपयोग किया है और डिलेवरी की है वह अनुकरणीय हैं।

Update: 2020-07-26 15:12 GMT

अयोध्या: डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय एवं इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय क्षेत्रीय केंद्र लखनऊ के संयुक्त संयोजन में ”आईसीटी लर्निंग एंड कंटेंट डेवलपमेंट” विषय पर सात दिवसीय फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आज 26 जुलाई को समापन हुआ। समापन सत्र को संबोधित करती हुई मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार की श्रीमती नीलिमा कटियार ने सात दिवसीय फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम की सराहना करते हुए कहा कि संक्रमण काल में हमारे समक्ष चुनौतियां और प्रतिकूल परिस्थितियां रहीं लेकिन उसमें हम अपना कैसे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकते हैं वह हमें सीखने को मिला।

आपदा संभावनाओं और अवसर का द्वार है- नीलिमा कटियार

मुख्य अतिथि नीलिमा कटियार ने कहा कि हमारे गुरूओं ने आपदा में अपने वैशिष्ट्य को बचाकर रखा है। शिक्षा क्षेत्र की जब बात होती है तब हमने आपदा काल में भारत की विशेषता सिद्ध की है। आपदा संभावनाओं और अवसर का द्वार है। इसी अवसर को सार्थक बनाते हुए भारत को दैदीप्यमान करना होगा। उन्होंने कहा कि व्यवस्था परिवर्तन हुआ है और प्रैक्टिकल के स्थान पर वर्चुअल क्लासेज आ रहे हैं। हम संसाधनों का प्रयोग करके लोकल को ग्लोबल सकते है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो मनोज दीक्षित ने कहा कि हमारे भारत के शिक्षकों एवं छात्रों में जिजीविषा है। जब आपदा आती है तो वे अपने को उसमें ढाल लेते है।

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यह भारतीयो की अद्भुत क्षमता है। आज की परिस्थिति में उत्तर प्रदेश में जिस संख्या में ई-लर्निंग मैटेरियल का उपयोग किया है और डिलेवरी की है वह अनुकरणीय हैं। कुलपति ने बताया कि वर्तमान सत्र जो आघात के रूप में आया उसे हमने पूरी संकल्पना के साथ पूरा किया। अगला सत्र भी इसी मोड़ पर प्रारम्भ होगा। प्रो दीक्षित ने बताया कि हमने साधन के रूप में ई-लर्निंग को स्थापित कर लिया हैं। आईसीटी के माध्यम से जुड़ना अब च्वाइस नही आवश्यकता बन गई है। छात्रों के लिए कंटेंट को मॉडिफाइ करना ही शिक्षक की ताकत है। कुलपति ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि आपदा को अवसर के रूप में देखे और अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास करें।

महामारी में नए तरह की शिक्षा पद्धति पर विचार करने की आवश्यकता

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता स्ट्राइड इग्नू, नई दिल्ली के डिस्टेंट लर्निेंग के प्रो रामपल्ली सत्य नारायण ने बताया कि इस महामारी में एक नये तरह की शिक्षा पद्धति पर विचार करने की आवश्यकता है। ई-कंटेंट, वर्चुअल लैब, वर्चुअल प्रोग्रामिंग को आज के समय में शिक्षक के लिए नितांत आवश्यक बताया। उन्होंने बताया कि नई तकनीकी के माध्यम से ज्ञान अर्जित कर अपने छात्रों को श्रेष्ठ ज्ञान दे सकते है। कार्यक्रम में क्षेत्रीय निदेशक डॉ मनोरमा सिंह ने अतिथियों को स्वागत करते हुए सात दिवसीय फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम की रूपरेखा प्रस्तुत की।

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कार्यक्रम का संचालन फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के चेयरमैन प्रो0 हिमांशु शेखर सिंह ने बताया कि सात दिवसीय कार्यक्रम में दो दिन तकनीकी सत्र संचालित किया गया। अन्य दिनों में लगभग 250 प्रतिभागियों से विशेषज्ञों द्वारा निर्मित प्रश्नों के उत्तर तलाशने का कार्य किया गया। कार्यक्रम की संयोजिका डॉ0 गीतिका श्रीवास्तव ने रिपोर्टियर प्रस्तुत की। विश्वविद्यालय आईक्यूएसी के निदेशक डॉ0 नरेश चैधरी ने सात दिवसीय कार्यक्रम के औचित्य पर प्रकाश डाला। इग्नू के सहायक निदेशक डॉ कीर्ति विक्रम सिंह ने अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर इंजीनियर राजीव कुमार ने तकनीकी सहयोग प्रदान किया एवं बड़ी संख्या में प्रतिभागी ऑनलाइन जुड़े रहे।

रिपोर्ट- नाथ बख्श सिंह

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