अयोध्या: अयोध्या में धर्म सभा के आयोजन से एक बार फिर आशंका व खौफ के बादल मडराने लगे हैं। विश्व हिंदू परिषद आगामी 25 नवंबर को धर्म सभा का आयोजन कर रही है। जिसके लिए भारतीय जनता पार्टी के विधायक सांसद मंत्री सहित आरएसएस के लोग गांव गांव से बड़ी संख्या में जनमत इकट्ठा करने की योजना को अगली जामा बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
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उधर महाराष्ट्र की शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे भी 24 नवंबर को अयोध्या में रहे जिसकी तैयारी के सिलसिले में उनकी पार्टी के सांसद संजय राउत अयोध्या में डेरा डाले हुए हैं। पूरे नगर को होल्डिंग से पाट दिया गया है। जबकि इस फैसला आरएसएस व उनके सहयोगी संगठनों का दिखाई पड़ रहा है। विश्व हिंदू परिषद के चंपत राय जैसे नेता यहां डेरा डाले हुए है।
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इस शक्ति प्रदर्शन का फिलहाल कोई औचित्य नहीं दिखाई पड़ रहा है हा यह जरूर है। इस कार्यक्रम को लेकर के पूरे देश में किस प्रकार का वातावरण को बनाने का प्रयास किया जा रहा है। यह समझ में नहीं आ रहा राम मंदिर का प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है जिसमें तारीख से पड़ रही है। न्यायपालिका की व्यवस्था के अनुसार कार्य हो रहा। लेकिन इस प्रकार के सभी पक्षकार आपस में बातचीत कर समझौते के प्रयास पर पूरी तरीके से असफल हो चुके हैं।
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इसके लिए कई बार सरकारी व गैर सरकारी लोगों ने प्रयास किए लेकिन वह भी असफल साबित हुए हैं। इस कार्यक्रम को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ही दो धारी तलवार की तरह दिखाई पड़ गई है। एक तरह हिंदू समाज है दूसरी तरफ संविधान है। दोनों के बीच सरकार है। अब सवाल उठता है यह धर्म सभा किस के विरुद्ध रही है।
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सरकार के या न्यायालय के जिसे आयोजको को तय करना है। यदि संविधान पर विश्वास नहीं है। तो यह धर्म सभा का आयोजन सुप्रीम कोर्ट के सामने होना चाहिए था और सरकार से खिलाफ है तो लोकसभा के सामने किया जाना चाहिए था।
स्पष्ट रुप से दिखाई पड़ रहा है कि यह कार्य देश में हो रहे विधानसभा चुनावों एवं लोकसभा चुनाव को दृष्टि गत रखते हुए हिंदू मतदाताओं को अपने पक्ष में लाभ बंद करने की योजना तो नहीं है। जिसे भारत के निर्वाचन आयोग को स्वयं देखना चाहिए राम मंदिर घबरा मूर्ति स्थापित करने की बात तो की जा रही है। जय श्री राम के नारे लगाने के लिए नौजवानों को गुमराह किया जा रहा है।
इन नेताओं द्वारा राम के आदर्श की बात कभी नहीं उठाई जाती कि देश का नौजवान उनके आदर्श से कुछ सीख सके जो उनका आदर्श रहा है। पिता के वचन पर 14 साल का बनवास अयोध्या की राज गद्दी अपने छोटे भाई को उपहार स्वरूप दे देना रावण करने के बाद रावण का राज पाठ स्वयं ना लेकर दूसरे को दे देना इस बात की सीख नहीं दी जा रही है। भाई भाई को मार रहा है बाप बेटे को मार रहा है बेटा बाप को मार रहा है मां-बेटे को मार रही है एक दूसरे का लोग हक मार रहे हैं।
आज के संत और मौलाना आर्थिक चकाचौंध में अपने को स्थापित करने में लगे हुए है। वही कुछ जेल मैं अब राम-राम कर रहे धर्म सभा का आयोजन करने वाले लोगों को इस पर भी विचार करना चाहिए। हमारा समाज कहां जा रहा है। यदि वास्तव में हिंदू संप्रदाय के हित चिंतक है तो अन्यथा जो कर रहे हो तो ठीक ही अपने उद्देश्य के लिए उनको यह करना भी चाहिए।
कुल मिलाकर अयोध्या में होने वाला यह कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े अन्य संगठनों वसरकार के बीच जैसे नूरा कुश्ती (मैच फिक्सिंग) हो रहा है। एक तरफ कार्यक्रम को सफल करना है। दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत विवादित स्थल पर किसी प्रकार का उपद्रव ना हो इसके लिए प्रदेश की योगी सरकार सुरक्षा व्यवस्था का ताना बाना वरिष्ठ्ठ अधिकारियों को जिम्मा दे दिया गया है।
अब सवाल यह उठता है कि प्रदेश में कल्याण सिंह की सरकार के दौरान न्यायालय शपथ पत्र देने के बाद भी जो अयोध्या में हुआ, वह किसी से छिपा नहीं है। अब धर्म सभा के कार्यक्रम पर किस पर विश्वास जिया जाए किस पर ना किया जाए। इस कार्यक्रम से अल्पसंख्यक समुदाय में काफी बेचैनी दिखाई पड़ रही है।