Azamgarh Lok Sabha By Election: सपा-बसपा इस हार का ठीकरा किस पर फोड़ेंगी, ईवीएम या मुस्लिम मतों के बंटवारे पर

Azamgarh Lok Sabha By Election: निरहुआ ने धर्मेंद्र यादव को आठ हजार से अधिक मतों से शिकस्त दी है। एमवाई समीकरण को तोड़ते हुए निरहुआ ने यह मुकाबला जीता है।

Update: 2022-06-27 02:22 GMT

प्रत्याशी दिनेश लाल यादव (फोटो: सोशल मीडिया ))

Azamgarh News: समाजवादी पार्टी का गढ़ कहे जाने वाले आजमगढ़ में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने बड़ा उलटफेर कर दिया है। लोकसभा उपचुनाव (lok sabha by election) में भोजपुरी सुपरस्टार व भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव (Dinesh lal yadav) निरहुआ ने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव (Dharmendra Yadav) को पछाड़ दिया है। निरहुआ ने धर्मेंद्र यादव को आठ हजार से अधिक मतों से शिकस्त दी है। एमवाई समीकरण को तोड़ते हुए निरहुआ ने यह मुकाबला जीता है।

समाजवादी का गढ़ आजमगढ़ सदर सीट से लोकसभा उपचुनाव में नतीजों पर प्रदेश की ही नहीं देश की नजर टिकी हुई थी। मतगणना आरम्भ होने के समय हल्की धूप जैसे-जैसे तापमान बढ़ाती गई, वैसे-वैसे सपा-बसपा की टकराहट ने दोनों को हार की दलदल में ढकेल दिया और भारतीय जनता पार्टी का कमल जून माह के कीचड़ में खिल गया। सभी राजनीतिक दलों के जीत के दावे धरे के धरे रह गये। अब हार के बाद ईवीएम पर ठिकरा फोड़ेंगे या फिर मुस्लिम मतों के बंटवारे पर लेकिन एक बात साफ हो गयी कि इस चुनाव में फुट डालो और राज करो की कहावत भी सच साबित हो गई।

सपा बसपा के कीचड़ में कमल का खिलना

आज़मगढ़ सदर लोकसभा सीट पर सपा मुखिया अखिलेश यादव के इस्तीफ़ा देने से सीट खाली हुई थी। इस सीट से सपा ने धर्मेंद्र यादव को चुनाव मैदान में उतारा, भाजपा ने भोजपुरी फिल्म के कलाकार दिनेश लाल यादव निरहुआ तो बसपा सुप्रीमो मायावती ने पूर्व बसपा विधायक शाह आलम गुड्डू जमाली के सहारे चुनाव की वैतरणी को पार करने का दम भरा। मुस्लिम और यादव के मतों के सहारे सपा जीत का राग अलाप रही थी तो बसपा दलित और मुस्लिम मतों को अपना मत बताकर उपचुनाव में जीत के प्रति पूरी तरह आश्वस्त थी तो भाजपा भी मुस्लिम मतों के बिखराव को भाँपकर इस जून माह में सपा बसपा के कीचड़ में कमल का खिलना पक्का मान रही थी।

सपा अपना गढ़ बचा पाने में नाकाम

मतगणना के बाद यह साफ हो गया कि सपा अपना गढ़ बचा पाने में नाकाम रही। वही बसपा के नेता शाह आलम गुड्डू जमाली को भी यह भरोसा था कि इस बार बहन मायावती ने बुलाकर चुनाव मैदान में उतारा है इसलिए बसपा का दलित वोट हर हाल में बसपा के साथ रहेगा और इस बार हाथी पर सवारी करके शाह आलम गुड्डू जमाली दिल्ली का सफर करने का सुनहरा अवसर हाथ से चुकने नहीं देंगे, लेकिन मतगणना परिणाम ने सबको हैरान कर दिया। अब बसपा की मुखिया मायावती हार का ठिकरा दलितों पर नही बल्कि मुसलमानों पर ही फोड़ेंगी और समाजवादी पार्टी भी मुसलमानों को बिखरा बताकर हार का जिम्मेदार ठहराएगी। लेकिन बीजेपी की राजनीति से सबक लेने का नाम न ही सपा को आता हैं और ना ही बसपा को। यदि हार का ठिकरा फोड़ने के बजाए सत्ता पक्ष से चुनाव जीतने का कौशल सीख ले तो शायद हार का दिन न देखना पड़े। विधानसभा चुनाव में सपा का सत्ता परिवर्तन का सपना भाजपा ने चकनाचूर कर दिया और अब आजमगढ लोकसभा संसदीय सीट उपचुनाव भी जीतकर यह साबित कर दिया कि विपक्ष बिखर कर जीत का दम भरता है तो वही भाजपा फुट डालो राज करो के पथ पर चलकर जीत का ताज भोजपुरी फिल्म अभिनेता दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को पहनाने में सफल हो गई। राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा जोरों पर है कि अंत समय में यशवंत सिंह का साथ देना भाजपा के लिए लाभदायक साबित हुआ।

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