Azamgarh News: योगी सरकार डॉ अंबेडकर जयंती की तैयारी में जुटी, अराजक तत्वों ने क्षतिग्रस्त कर दिया अंबेडकर प्रतिमा
Azamgarh News: शनिवार सुबह ग्रामीणों को सूचना मिलते ही आक्रोश का माहौल व्याप्त हो गया । घटनास्थल पर धीरे-धीरे ग्रामीणों की भारी भीड़ जुट गई और लोग नई प्रतिमा स्थापित करने की मांग करने लगे ।;
अराजक तत्वों ने क्षतिग्रस्त कर दिया अंबेडकर प्रतिमा (photo: social media )
Azamgarh News: एक तरफ उत्तर प्रदेश सरकार 14 अप्रैल को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाने के लिए जोर-जोर से तैयारी कर रही है। वहीं दूसरी तरफ अराजक तत्व सरकार के मसूबो पर पानी फेर दे रहे हैं। वही सगड़ी तहसील अंतर्गत रौनापार थाना क्षेत्र के रसूलपुर नंदलाल गांव में स्थापित संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा को अराजकतत्वों ने बीती रात क्षतिग्रस्त कर दिया। शनिवार सुबह ग्रामीणों को सूचना मिलते ही आक्रोश का माहौल व्याप्त हो गया । घटनास्थल पर धीरे-धीरे ग्रामीणों की भारी भीड़ जुट गई और लोग नई प्रतिमा स्थापित करने की मांग करने लगे ।
सूचना पाकर मौके पर भारी संख्या में स्थानीय पुलिस बल के साथ प्रशासन के अधिकारी पहुंचे । ग्रामीणों को समझा बूझाकर मामले को शांत कराया । वही आनन फानन में प्रशासन द्वारा नई प्रतिमा मंगवाकर शनिवार को स्थापित कराई गई तब जाकर मामला शांत हुआ । इस अवसर पर बसपा के गोपालपुर विधानसभा अध्यक्ष अवनीश कुमार धम्मदर्शी, बसपा नेता विजय प्रताप यादव, शैलेंद्र प्रधान, विजय कुमार, राजू राजभर, हरेंद्र गौतम, रिंकू कुमार, रामकेश राजभर, सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
ग्रामीणों ने बताया कि बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने दलितों के राजनीतिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए उनके लिए अलग निर्वाचन क्षेत्रों की वकालत की। बाबासाहेब के प्रयासों का परिणाम 1932 के पूना पैक्ट के रूप में सामने आया, जिसने आम निर्वाचन क्षेत्रों में दलितों के लिए आरक्षित सीटों का प्रावधान किया।
भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार
बसपा विधानसभा अध्यक्ष अवनीश कुमार धर्मदर्शी ने कहा भारतीय राजनीति में डॉ. बी.आर. अंबेडकर की सबसे स्थायी विरासत संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में उनकी विशेष भूमिका थी। भारतीय संविधान की रूपरेखा तैयार करने के लिए जिम्मेदारी दी गयी थी। भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार के रूप में, डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने सुनिश्चित किया कि सविधान में न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के सिद्धांत निहित हों। अस्पृश्यता के उन्मूलन और कुछ पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण जैसे प्रावधानों को शामिल करना जातिगत भेदभाव और असमानता के खतरों से मुक्त स्वतंत्र भारत की कल्पना की।