सहारनपुर : लखनऊ स्थित नदवातुल उलेमा के वरिष्ठ उस्ताद मौलाना सलमान नदवी और श्रीश्री रविशंकर के बीच बाबरी मस्जिद के मसले पर हुई वार्ता के बाद दिए गए बाबरी मस्जिद को अन्यत्र शिफ्ट करने के फॉर्मूले पर देवबंदी उलेमा ने असहमति जताई है। उलेमा ने दो टूक कहा कि बाबरी मस्जिद मसले का हल अब कोर्ट से ही होना चाहिए।
मौलाना सलमान नदवी के बाबरी मस्जिद को किसी अन्य स्थान पर शिफ्ट किए जाने के बयान पर मदरसा दारुल उलूम अशरफिया के मोहतमिम मुफ्ती सालिम अशरफ कासमी ने कहा कि बाबरी मस्जिद के मामले को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा ए हिंद ही देख रही हैं। बोर्ड व जमीयत बाबरी मस्जिद को शिफ्ट किए जाने के बिल्कुल खिलाफ है। कहा कि स्वतंत्र भारत में प्रत्येक व्यक्ति के अपनी बात रखने का अधिकार है। लेकिन जहां तक बाबरी मस्जिद का सवाल है तो हम यही चाहते है कि पिछले 25 सालों से कोर्ट में चल रहे इस मसले का हल कोर्ट से ही निकलना चाहिए। मदरसा दारुल उलूम निस्वाह के उस्ताद मौलाना नजीफ कासमी ने कहा कि हिंदुस्तान के मुसलमानों को अदालत पर भरोसा है। न्यायालय बाबरी मस्जिद विध्वंस प्रकरण में जो भी फैसला करेगा वह साक्ष्यों और तथ्यों के आधार पर सही फैसला होगा। बाबरी मस्जिद का फैसला अदालत से ही हल होना चाहिए।