Baghpat News: दिल्ली रेल भवन के बाहर आत्मदाह करने वाले युवक की मौत, क्षेत्र में आक्रोश, पुलिस अलर्ट घोषित, परिवार का आरोप
Baghpat News: जितेंद्र ने अपने ऊपर पेट्रोल छिड़ककर रेल भवन के बाहर खुद को आग लगा ली। उसके इस कृत्य के बाद उसे गंभीर हालत में दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसका अधिकांश शरीर जल चुका था।
Baghpat News: दिल्ली के रेल भवन के बाहर खुद को आग लगाने वाले बागपत के जितेंद्र ने बृहस्पतिवार देर रात इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। इस घटना से इलाके में शोक और आक्रोश का माहौल है। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जिले में अलर्ट घोषित कर दिया है।
जितेंद्र ने कथित रूप से पुलिस और प्रशासन पर न्याय न मिलने का आरोप लगाते हुए यह कदम उठाया। बागपत के छपरौली कस्बे के पट्टी धंधान के निवासी जितेंद्र के भाई रविंद्र के अनुसार, उनके परिवार के साथ हुए अन्याय और पुलिस की निष्क्रियता के चलते जितेंद्र लंबे समय से मानसिक तनाव में था। उसने कई बार अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग में भी शिकायतें दर्ज कराई थीं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई न होने के कारण उसने यह चरम कदम उठाया।
जितेंद्र ने अपने ऊपर पेट्रोल छिड़ककर रेल भवन के बाहर खुद को आग लगा ली। उसके इस कृत्य के बाद उसे गंभीर हालत में दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसका अधिकांश शरीर जल चुका था। चिकित्सकों ने उसकी हालत को देखते हुए परिवार को मिलने नहीं दिया। आखिरकार, देर रात उसने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।वही एसपी बागपत अर्पित विजयवर्गीय ने बताया कि जितेंद्र और उसके परिवार के खिलाफ 2021 और 2022 में मारपीट के मुकदमे दर्ज किए गए थे। इसके विपरीत, मई 2024 में जितेंद्र की ओर से भी एक मुकदमा दर्ज कराया गया था। इन सभी मामलों में न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किए जा चुके हैं। इसके अलावा, समाज कल्याण विभाग की ओर से परिवार को आर्थिक सहायता भी दी गई थी। बावजूद इसके, जितेंद्र का यह कदम उठाना कई सवाल खड़े करता है। इस पूरे प्रकरण की जांच एएसपी बागपत को सौंपी गई है। पुलिस का कहना है कि जितेंद्र की मौत दुखद है, लेकिन मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
परिवार का आरोप और सवाल--
परिवार का आरोप है कि जितेंद्र के साथ हुई घटनाओं में पुलिस ने निष्पक्षता नहीं दिखाई। रविंद्र ने बताया कि उनके छोटे भाई ने न्याय की हर संभव कोशिश की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। परिवार का कहना है कि प्रशासन और पुलिस की निष्क्रियता ने जितेंद्र को आत्मदाह जैसे कदम के लिए मजबूर किया।
जितेंद्र की मौत ने न्याय प्रणाली और प्रशासनिक ढांचे पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना एक व्यक्ति के संघर्ष की दुखद परिणति है, जो न केवल परिवार बल्कि पूरे समाज को झकझोर देने वाली है।