रंग लाई मेहनत! गरीब छात्र का हुआ ISRO में चयन, गांवभर में ख़ुशी का माहौल
हौंसले में उड़ान हो तो मंजिल अवश्य मिलती है। यह कहावत महसी के बाढ़ व कटान प्रभावित परिवार के दीनबंधु प्रजापति ने साबित किया है। कुछ सालों पहले आई बाढ़ में 40 बीघा जमीन नदी में समाहित होने के बाद भी उनका हौंसला नहीं डिगा और चार साल की मेहनत ने उन्हें इस
बहराइच: हौंसले में उड़ान हो तो मंजिल अवश्य मिलती है। यह कहावत महसी के बाढ़ व कटान प्रभावित परिवार के दीनबंधु प्रजापति ने साबित किया है। कुछ सालों पहले आई बाढ़ में 40 बीघा जमीन नदी में समाहित होने के बाद भी उनका हौंसला नहीं डिगा और चार साल की मेहनत ने उन्हें इसरो का वैज्ञानिक बना दिया। तीन दिन पूर्व तैनाती लेटर आने पर खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वह ट्रेनिंग के लिए केरल रवाना हो गए हैं।
- महसी तहसील अंतर्गत बौंडी थाना क्षेत्र का पिपरी गांव बाढ़ व कटान प्रभावित है।
- पिपरी गांव निवासी दीनबंधु प्रजापति पुत्र बिहारी लाल हाईस्कूल तथा इंटरमीडिएट की परीक्षा प्रथम डिवीजन से उत्तीर्ण करने के बाद इंजीनियरिंग के लिए साल 2012 में गाजियाबाद चले गए।
- इसी दौरान वर्ष 2015 के अगस्त माह में आई बाढ़ में पिता बिहारीलाल की 50 बीघा भूमि भी कटान में समाहित हो गई।
- सूचना पाकर दीनबंधु अंदर ही अंदर टूट गया। लेकिन मेहनत और लगन ने उसको नई मंज़िल तक पहुंचाया।
- गाजियाबाद में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) में परीक्षा दी। दीनबंधु ने परीक्षा पास की।
- इसके बाद 29 दिसंबर को इसरो में चयन का लेटर दीनबंधु के घर पहुंचा।
- नए साल में उनके जीवन की नई शुरुआत हुई समझो।
- रिसर्च सेंटर जाकर दीनबंधु ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग सांईटिस्ट पद पर ज्वाइनिंग कर ली।
इसरो में चयन की जानकारी होने पर पिता फूले नहीं समा रहे हैं। उन्होंने मीडिया से बातचीत में बताया कि गंगा मइया ने एक तरफ खेती को अपने में समाहित किया तो दूसरी ओर बेटे का चयन वैज्ञानिक पद पर कर दिया। अब बेटे के मानदेय से घर की गरीबी दूर हो जाएगी। वहीं दीनबंधु के चयन से मित्रों व ग्रामीणों ने भी हर्ष जताया है।