Ballia Lok Sabha Chunav Result 2024: समाजवादियों की गढ़ बलिया लोकसभा सीट पर 10 साल बाद सपा की हुई वापसी

Ballia Lok Sabha Chunav Result 2024: बलिया लोकसभा सीट पर गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित तमाम बड़े नेताओं ने बड़ी-बड़ी जनसभाएं कर पार्टी के उम्मीदवार के पक्ष में वोट मांगा था।

Written By :  Sandip Kumar Mishra
Update: 2024-06-08 11:56 GMT

 Ballia MP Sanatan Pandey 

Ballia Lok Sabha Chunav Result 2024समाजवादियों के गढ़ बलिया लोकसभा सीट पर दस साल बाद सपा की वापसी हुई है। ब्राह्मण बाहुल्य लोकसभा सीट पर सपा के सनातन पांडेय ने भाजपा के उम्मीदवार रहे पूर्व प्रधानमंत्री व समाजवादी नेता चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर को 43,384 वोट से हराकर ऐतिहासिक परिवर्तन किया है। बलिया लोकसभा सीट पर आजादी के बाद पहली बार ब्राह्मण उम्मीदवार को संसद में प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है। तो अपने पिता की विरासत बचाने भाजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे नीरज शेखर हार का सामना करना पड़ा है। बलिया लोकसभा सीट पर चुनाव से पहले भाजपा की ओर से किए गए तमाम दिग्गजों का दावा फेल हो गया। यहां से भाजपा के हैट्रिक लगाने का मंसूबा भी धरा का धरा रह गया। मतगणना से पहले सपा और भाजपा के बीच बताई जा रही कांटे की टक्कर मतगणना के दौरान कहीं नजर नहीं आई। क्योंकि सपा उम्मीदवार सनातन पांडेय ने जो शुरू से बढ़त बनाई थी। वह धीरे-धीरे ही सही लेकिन अंत तक लगातार बढ़ती गयी।

गृहमंत्री, योगी सरकार के दो मंत्री, दो पूर्व मंत्री सहित अन्य जुटे थे जिताने में

बलिया लोकसभा सीट पर गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित तमाम बड़े नेताओं ने बड़ी-बड़ी जनसभाएं कर पार्टी के उम्मीदवार के पक्ष में वोट मांगा था। सभाओं में भीड़ तो खूब उमड़ी। लेकिन मतगणना के बाद यह कहा जा सकता है कि जनसभाओं में उमड़ी भीड़ वोट में नहीं तब्दील हो पाई। जिसके चलते भाजपा को लगातार तीसरी बार बलिया की प्रतिष्ठा परक सीट को जीतने का मंसूबा फेल हो गया। बलिया के सदर विधायक तथा प्रदेश सरकार के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री दानिश आजाद अंसारी, पूर्व मंत्री उपेंद्र तिवारी, पूर्व मंत्री आनन्द स्वरूप शुक्ला, वर्तमान सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त, पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह सहित तमाम दिग्गजों ने भाजपा उम्मीदवार नीरज शेखर को जिताने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया था। भाजपा ने पड़ोसी जिले गाजीपुर में मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी को सपा से टिकट दिए जाने पर यहां के लोगों में भी नफरत पैदा करने की कोशिश की। लेकिन भाजपा उम्मीदवार की नैया पार लगाने में विफल साबित हुए। सपा उम्मीदवार सनातन पांडेय के प्रति लोगों की सहानुभूति और बढ़ती गई और भाजपा की बड़ी हार हुई। बड़ी हार इसलिए कहा जा सकता कि सपा उम्मीदवार ने शुरू में ही बढ़त बनाया, तो फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और 40 हजार से अधिक वोट से विजय श्री हासिल किया। इस बीच भाजपा उम्मीदवार कहीं भी टक्कर में नहीं दिखे।

नीरज शेखर की उम्मीदवारी भाजपा में नहीं बैठी फिट

वहीं स्थानीय विशेषज्ञों की मानें तो भाजपा से नीरज शेखर के उम्मीदवार बनते ही राजनीतिक समीकरण फिट नहीं बैठा। पार्टी में अंदरूनी खींचतान भी चलती रही। इसे समय रहते नीरज शेखर ठीक नहीं कर पाए। हालांकि इसे सुधारने के लिए भाजपा के दिग्गज नेताओं ने नामांकन से लेकर चुनाव के अंतिम समय तक कोशिश की। इस बीच गृहमंत्री अमित शाह का लगातार दो दिन कार्यक्रम भी बलिया में लगाया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी अलग-अलग विधानसभाओं में जनसभा को संबोधित किए। उपमुख्यमंत्री सहित गैर प्रांतों के मुख्यमंत्री एवं अन्य बड़े नेताओं के कार्यक्रम निरंतर चलते रहे। बलिया के मतदाताओं का मूड परिवर्तित करने के लिए सबने पूरी ताकत झोंकी। लेकिन इसे वोटरों ने सिरे से नकार दिया।

सपा छोड़ भाजपा में आए नारद राय भी हुए फेल

बता दें कि चुनाव के तीन दिन पहले सपा के पूर्व मंत्री नारद राय को भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले गृहमंत्री अमित शाह ने पार्टी में शामिल कराया था, बावजूद इसके यहां कमल मुरझा गया। पूर्व मंत्री नारद राय ने सपा से बगावत करने के साथ ही सपा की तेरही पूरे पूर्वांचल में करने का दावा किया था। लेकिन भाजपा में शामिल होने के बाद भी पूर्व मंत्री का कोई मैजिक भाजपा को जिताने में सफल नहीं हो सका। सीधे-सीधे यह कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि नारद फैक्टर भी फेल साबित हुआ।

भाजपा के कोर वोटर भी चले गए सनातन के साथ

बलिया लाकसभा सीट पर इस बार खास बात यह रही कि हमेशा से भाजपा के साथ रहे ब्राह्मण, भूमिहार एवं अन्य पिछड़ी जातियों की सपा को जीत दिलाने में मुख्य भूमिका रही। स्थानीय मुद्दों के आधार पर पिछड़े एवं अल्पसंख्यक मतदाताओं के साथ ही ब्राह्मण भूमिहार व वैश्य मतदाताओं ने सपा का साथ दिया। दूसरी तरफ बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दे पर युवा एवं किसान भी सपा के पक्ष में लामबंद हुए। यही कारण है कि सपा उम्मीदवार सनातन पांडेय लगातार दावा कर रहे थे कि यह चुनाव जनता लड़ रही है। और जब मेरा चुनाव जनता लड़ रही है, तो फिर मुझ पर बोझ नहीं है।

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