Banda News: स्वामी के सिपहसालार बृजेश का सपा में टूट का दावा, ब्राह्मण-बनिया सरपरस्तों से मुक्त होंगा PDA का कुनबा

Banda News: सोमवार को तिंदवारी के पूर्व विधायक ब्रजेश कुमार प्रजापति ने पत्रकारों से कहा- भला कोई अंबेडकरवादी सपा में कैसे रह सकता है! देखते जाइए, 22 फरवरी को भारतीय राजनीति में नया सूर्योदय होगा।

Report :  Om Tiwari
Update: 2024-02-19 17:03 GMT

Banda News (Pic: Social Media)

Banda News: समाजवादी पार्टी के बागी और कथित सनातन विरोधी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के प्रमुख सिपहसालार पूर्व विधायक बृजेश कुमार प्रजापति ने सोमवार (19 फरवरी) को सपा में टूट का दावा किया। उन्होंने न केवल 50 फीसद सपाइयों के स्वामी प्रसाद के साथ होने पर जोर दिया, बल्कि सपा नेतृत्व पर ब्राह्मण-बनिया परस्त होने का आरोप मढ़ते हुए तंज कसा- भला कोई आंबेडकरवादी इनके साथ कैसे हो सकता है। उन्होंने कहा- 22 फरवरी को नया राजनैतिक सूर्योदय होगा।

दल नहीं, व्यक्ति निष्ठा के सशक्त हस्ताक्षर हैं जोगी पुत्र बृजेश

काशीराम के जमाने में बसपा के कद्दावर नेता बनकर उभरे RSS पृष्ठभूमि के जोगीलाल प्रजापति के बेटे बृजेश कुमार होश संभालने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य के अनुयाई हैं। वह कहीं भी रहे हों, बृजेश उनके सच्चे भक्त बने रहे। इस भक्ति की बदौलत जब स्वामी प्रसाद भाजपा में गए तो 2017 में बृजेश तिंदवारी में कमल खिला कर विधायक बनने में सफल रहे। और 2022 के असेंबली चुनाव से पहले पाला बदल कर अपने राजनैतिक गुरु स्वामी प्रसाद की तरह बृजेश प्रजापति भी चुनावी मैदान में धूल चाटने को विवश हुए।

पीडीए का दम भरने वाले ब्राह्मण-बनिया को भेजते हैं राज्यसभा

अब एक बार फिर स्वामी प्रसाद के सुरों को संगीत देने की कोशिश में बृजेश प्रजापति ने बांदा स्थित आवास में पत्रकारों को न्योता। पत्रकारों को बताया- उन्होंने सपा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। दरअसल सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ढोंगी हैं। पीडीए की बात करते हैं। लेकिन राज्यसभा में रज्जन और बच्चन को भेजते हैं। ब्राह्मण और बनिया पर रीझते हैं। यह दोगलापन बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

मनुवादी ताकतों को परास्त करेगा आंबेडकरवादी टानिक

पूर्व विधायक प्रजापति ने दावा किया- सपा 50 प्रतिशत टूट की कगार पर है। न अनेक सपा विधायक बल्कि तमाम सीनियर सपा लीडर स्वामी प्रसाद के संपर्क में हैं। इस बाबत 22 फरवरी को दिल्ली में धमाका होगा। हर स्तर पर हावी मनुवादी ताकतों निपटने के लिए अंबेडकरवाद की दवा मुहैया कराएंगे।

चंद्रशेखर और लक्ष्मण के विपरीत सिब्बल को बढ़ाना अखिलेश का दोगलापन

पूर्व विधायक प्रजापति यह भी कहने से नहीं चूके- सपा प्रमुख की कथनी और करनी में अंतर तब भी दिखा था जब उन्होंने बड़े वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल को राज्यसभा में भेजा था। हकीकत यह है कि सिब्बल दलितों के खिलाफ मुकदमा लड़ने के गुनहगार हैं। सवाल है- सिब्बल की जगह चंद्रशेखर राव या प्रोफेसर लक्ष्मण यादव को राज्यसभा भेजने में क्या बुराई थी? वास्तव में सपा एससी-एसटी की उपेक्षा करती है। ऐसे में सपा को तिलांजलि ही श्रेयस्कर है।

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