फ्रॉड : बैंक ऑफ बड़ौदा ने उपभोक्ता को ऐसे लगाया आठ लाख का चूना
एफडीआर धारक अलका दीपक के पिता मिश्री लाल दीपक ने 15 नवम्बर 2018 को चार एफडीआर बैंक के काउण्टर पर जमा की थीं। जिसकी बैंक स्लिप उनके पास है।
अलीगढ़: बैंक के साथ धोखाधड़ी के बारे में आपने अक्सर कई बार सुना, देखा और पढ़ा होगा लेकिन आज हम आपको एक ऐसी खबर के बारे में बताने जा रहे है।
जिसमें एक उपभोक्ता ने बैंक पर ही धोखाधड़ी करने का आरोप लगा दिया है। साथ ही परेशान उपभोक्ता बैंक के चक्कर लगाने को मजबूर है।
ये है पूरा मामला
बैंक ऑफ बड़ौदा की सासनी गेट शाखा में दो एफडीआर (फिक्स्ड डिपॉजिट रसीद) लापता हो गई हैं और एक एफडीआर का पैसा दूसरे के खाते मे जमा कर दिया गया है। तीनों एफडी एक ही उपभोक्ता की हैं। जिनकी कीमत करीब 8 लाख रुपये बताई गई है।
एफडीआर धारक अलका दीपक के पिता मिश्री लाल दीपक ने 15 नवम्बर 2018 को चार एफडीआर बैंक के काउण्टर पर जमा की थीं। जिसकी बैंक स्लिप उनके पास है।
इनमें से केवल एक एफडी की ही रकम 2,09,985 रुपये खाते में जमा हुई, पर बाकी तीन एफडीआर पिछले 8 माह से बैंक अफसरों ने गफलत में डाल रखी हैं।
सभी चार एफडी आर एनसीसी महिला ऑफीसर अलका दीपक के नाम पर दर्ज हैं, और इसी नाम से बैंक ऑफ बडौदा की इसी शाखा में बचत खाता संचालित है।
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ऐसे खुली धोखधड़ी की पोल
खाता धारक को अपने साथ हुई धोखाधड़ी की जानकारी उस समय हुई। जब अप्रैल 2019 में पासबुक अपडेट करवाई गई। पता चला कि बाकी तीन एफडीआर की रकम अभी तक खाते में जमा नहीं हुई है।
बैंक ने दिया ये जवाब
इस मामले की शिकायत बैंक प्रबन्धक रामनाथ से की गई तो शिकायतकर्ता को वहां की महिला बैंक अफसर ने बताया कि दो एफडीआर सं. - 13/56639 व 3/56641 का भुगतान 15 सितम्बर 2008 को यानि की 10 वर्ष पहले हो चुका है। और एक एफडीआर का पैसा 15 अक्टूबर 2018 को अन्य खाता धारक अनुज के खाते में जमा कर दिया गया है।
बैंक पर उठे ये सवाल
मतलब एफडीआर बैंक में जमा करने से एक माह पहले ही रकम का स्थानांतरण किया गया है। बैंक मैनेजर अपनी इस करतूत को भूलवश बताकर पल्ला झाड़ रहे हैं।
जबकि ऐसे में सवाल उठता है कि भूल कैसे सम्भव है? जबकि अलका दीपक व अनुज दीपक के खाता संख्या व एफडीआर संख्या में कई अंकों का अन्तर साफ दिखता है।
गौरतलब है कि बैंक रिकॉर्ड में अलका दीपक की मात्र दो एफडीआर दिखाई जा रही हैं पर सवाल है कि बाकी दो कैसे गायब हुईं? साथ ही गलत खाते में जमा हुए पैसों के लेन-देन पर न रोक लगाई गई और न ही उस पैसे को वापस लेने की कार्यवाही की गई।
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अधिकारियों पर गोल-मोल जवाब देने का आरोप
बैंक प्रबन्धक रामनाथ ने अभिलेख देखते हुए बताया कि केवल दो एफडीआर जमा की गई हैं जिनमें से एक का नम्बर अनुज की एफडीआर से मेल खाने के कारण रकम अनुज के खाते में जमा हो गई है। बाकी दो एफडीआर को प्रबन्धक सिरे से नकार रहे हैं।
उनका कहना है कि गायब बताई जा रही एफडीआर मौजूदा दो एफडीआर के ही पुराने नम्बर हैं। इन दोनों जवाबों पर प्रतिक्रिया देते हुऐ बैंक के दूसरे अफसर ने बताया कि गलत खाते में पैसा जमा होने पर उस खाते पर पाबंदी लगाना जरूरी है और एफडीआर के नम्बरों का नवीनीकरण होने का कायदा नहीं है। लिहाजा बैंक प्रबन्धक भ्रामक जानकारी दे रहे हैं।
न्याय के लिए भटक रहा परिवार
आवास विकास कालौनी सासनी गेट निवासी मिश्रीलाल दीपक बताते हैं कि गुम हुई एफडीआर की प्रतिलिपियां जारी करने के लिए बैंक प्रबन्धक तैयार नहीं हैं।
आला अफसरों तक से शिकायत करने का नतीजा भी सिफर है। उनका कहना है कि बेटी अलका दीपक के साथ बैंक ने साजिश रचकर धोखाधड़ी की है।
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