देवा शरीफ में भी सतरंगी रंगों की धूम, पेश की आपसी भाईचारे की अनोखी मिसाल
एक तरफ देश के राजनेता पूरे देश में धार्मिक उन्माद फैला कर, लोगों में विद्वेष फैला कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं और पूर देश को धर्मं के नाम पर बाटा जा रहा है।
बाराबंकी: होली रंगों भरा त्यौहार है इसमें तरह -तरह के रंग होते है । यह त्यौहार हर जगह अपने अंदाज से मनाया जाता है मथुरा वृन्दावन और बरसाने की होली को देखने के लिए तो विदेशों से पर्यटक भी आते है । होली को लोग आपसी भाई चारे का त्यौहार भी मानते है इस दिन गले मिलकर एक दुसरे को बधाई देकर आपसी द्वेष को लोग खत्म कर देते है ।
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होली को शहर हो या गाँव हर ज़गह के लोग इस विशेष त्यौहार को लोग अपने खास अंदाज से मानते है । बरसाने की लट्ठ मार होली तो पूरे देश में विख्यात है , मगर आज हम जिस अदभुत होली की बात कर रहे हैं वह है बाराबंकी स्थित प्रसिद्ध सूफी संत हाजी वरिश अली शाह की मजार पर खेली जाने वाली होली ।
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जनपद में हिदू मुस्लिम एकता का प्रतीक दिखा
एक तरफ देश के राजनेता पूरे देश में धार्मिक उन्माद फैला कर, लोगों में विद्वेष फैला कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं और पूर देश को धर्मं के नाम पर बाटा जा रहा है। वहीँ दूसरी ओर समाज की कुछ शक्तियां ऐसी भी है, जो इनके मंसूबों पर पानी फेर रहीं है। हम बात कर रहे है उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जनपद में हिदू मुस्लिम एकता के प्रतीक प्रसिद्द सूफी संत हाजी वारिश अली शाह की दरगाह पर खेली जाने वाली होली का जहाँ पर क्या जाति क्या धर्म सब की सीमायें टूटती नज़र आती है। यहाँ हिन्दू-मुस्लिम एक साथ होली खेलकर, एक दूसरे के गले मिलकर होली की बधाई देते हैं।
जो इनका सन्देश था कि जो रब
हाजी वारिश अली शाह की दरगाह पर खेली जाने वाली होली की सबसे ख़ास बात यह होती है कि जो इनका सन्देश था कि जो रब है वही राम की पूरी झलक इस होली में साफ़ -साफ़ दिखयी देती है । देश भर से हिन्दू , मुसलमान, सिख यहाँ आकर एक साथ हाजी वारिश अली शाह की दरगाह पर होली खेलता है और एकता सन्देश देता है । इस होली में हिन्दू हिन्दू नहीं मुस्लमान मुस्लमान नहीं सिख सिख नहीं बल्कि सब इंसान होकर होली खेलते है। रंग ,गुलाल और फूलों से विभिन्न धर्मों द्वारा खेली जाने वाली होली देखने में ही अदभुत नज़र आती है । सैकड़ो सालो से चली आ रही यहाँ होली खेलने की परंपरा आज के विघटनकारी समाज के लिए आदर्श प्रस्तुत करती है।
हाजी वारिश अली शाह की मजार का निर्माण उनके हिन्दू मित्र राजा पंचम सिंह ने कराया था
हाजी वारिश अली शाह की मजार का निर्माण उनके हिन्दू मित्र राजा पंचम सिंह ने कराया था और इसके निर्माण काल से ही यह स्थान हिन्दू -मुस्लिम एकता का सन्देश देता आ रहा है यहाँ आने वाले जायरीनो में जितना मुस्लिम जायरीन आता है उसे कहीं ज्यादा हिन्दू जायरीन आता है कहीं -कहीं तो हिन्दू भक्त इन्हें भगवन कृष्ण का अवतार भी मानते है और अपने घरों एवं वाहनों पर श्री कृष्ण वारिश सरकार का वाक्य भी अंकित कराते हैं । कुछ भी हो मगर धर्मं की टूटती सीमाए यहां की होली में देखना एक ताज़ा हवा के झोंके सामान है।
वह होली पर अपने घर में कैद हो जाया करते थे
इस अनूठी होली को दिल्ली राज्य से लगातार 30 वर्षों से खेलने आ रहे सरदार परमजीत सिंह ने बताया कि वह होली पर अपने घर में कैद हो जाया करते थे। मगर 30 साल पहले जब यहाँ होली खेलने आये तो यहाँ के बासन्ती रंग में रंग गए और शायद जीवन भर यह रंग उतरने वाला है नही । वहीं मिर्जापुर से होली खेलने आयी महिला ने बताया कि वारिश अली शाह के सन्देश जो रब है , वही राम के संदेश से इतना प्रभावित हुई कि वह अब हमेशा के लिए यहाँ होली खेलने आती हैं ।
होली कमेटी के अध्यक्ष सहजादे आलम वारसी ने बताया
होली कमेटी के अध्यक्ष सहजादे आलम वारसी ने बताया कि यहाँ की होली पिछले 100 वर्षों से अधिक समय से खेली जा रही है , पहले यहाँ इतनी भीड़ नही होती थी और कस्बे के ही लोग यहाँ वारिस सरकार के कदमों में रंग गुलाल चढ़ाते थे और वह सबको अपना आशीर्वाद देते थे । समय के साथ यहाँ होली का स्वरूप बदल गया और बाहर से भी यहाँ लोग होली खेलने आने लगे । अब होली कमेटी के अध्यक्ष होने के नाते सभी से अपील करते है कि होली जरूर खेले और सुरक्षित रंगों के साथ खेले । वारिस सरकार का मोहब्बत का संदेश है और इसे पूरी दुनिया में फैलाएं। उनकी यही प्रार्थना है कि कयामत तक लोगों में प्रेम बना रहे ।
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वारिस सरकार का साफ संदेश था
होली खेल रहे देवा नगर पंचायत के सभासद शाफे जुबैरी ने बताया कि वारिस सरकार का साफ संदेश था कि सभी के दिलों में अन्दर प्रेम और मोहब्बत स्थापित हो और उन्हें खुशी है कि यहाँ पर आने वाले लोग उनके इस संदेश को अपना भी रहे है । राजनीति जरूर हिन्दू मुसलमानों में सरकार डालने का प्रयास कर रही है लेकिन वारिस सरकार के आगे उनके मंसूबे कामयाब नही हो रहें है ।
रिपोर्ट- सरफराज वारसी
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