Barabanki: मुख्तार के वकील ने एंबुलेंस मामले को बताया फर्जी, कहा- सरकार ने परेशान करने के लिये लगााये मुकदमे

Barabanki News: मुख्तार की मौत के बाद उनके वकील रणधीर सिंह सुमन ने एंबुलेंस और गैंगस्टर मामले को सिरे से फर्जी करार दिया है।

Report :  Sarfaraz Warsi
Update: 2024-03-29 07:37 GMT

Mukhtar ansari lawyer Randhir Singh Suman   (photo: social media )

Barabanki News: मुख्तार अंसारी की मौत के बाद पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा हुआ है। कई मुकदमों में मुख्तार अंसारी को सजा हो चुकी थी। जबकि कई मुकदमों का ट्रायल अभी भी चल रहा था। मुख्तार अंसारी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से उन मुकदमों की पेशी में जुड़ता था। इन्हीं में से फर्जी एंबुलेंस और गैंगस्टर मुकदमे का ट्रायल बाराबंकी कोर्ट में भी बीते लंबे समये से चल रहा था। जिसमें उनकी पैरवी वकील रणधीर सिंह सुमन कर रहे थे। लेकिन अब मुख्तार की मौत के बाद उनके वकील रणधीर सिंह सुमन ने एंबुलेंस और गैंगस्टर मामले को सिरे से फर्जी करार दिया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से बीते दिनों प्रदेश की जेलों और कोर्ट परिसर में हत्याएं हुई हैं। उसे देखते हुए मुख्तार की मौत के पीछे कोई साजिश हो सकती है। सरकार ने मुख्तार अंसारी को परेशान करने के लिये एक के बाद एक मुकदमे उनके खिलाफ बनाये। जिसकी अगर जांच की जाए तो तमाम पुलिस वाले ही इसमें अभियुक्त साबित हो जाएंगे।

मुख्तार अंसारी के वकील रणधीर सिंह सुमन ने बाराबंकी एंबुलेंस मामले को ही फर्जी बताया। उनका कहना है कि पुलिस-प्रशासन की एंबुलेंस के बाराबंकी में रजिस्ट्रेशन कराने की बात ही गलत है। क्योंकि एंबुलेंस लखनऊ में फाइनेंस के बाद रिलीज हुई। उसका टेंपरेरी रजिस्ट्रेशन भी लखनऊ में ही हुआ। उन्होंने कही कि किसी भी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन कंपनी के द्वारा करवाया जाता है। न कि गाड़ी का मालिक एआरटीओ ऑफिस जाकर खुद रजिस्ट्रेशन करवाता है। उस एंबुलेंस का रजिस्ट्रेशन कंपनी ने मऊ के संजीवनी हॉस्पिटल और सेकेंड ऑनर के रूप में डा. अल्का राय के नाम करवाया। उस समय प्रदेश की सभी एंबुलेंस का रजिस्ट्रेशन बाराबंकी एआरटीओ ऑफिस से ही हुआ था। इसलिये इस मामले में कहीं से भी कोई फर्जीवाड़ा नहीं हुआ है। इस मामले में जो केस बाराबंकी पुलिस ने बनाया वह पूरी तरह से फर्जी है।

एंबुलेंस लाने के लिये किसी भी अदालत का आदेश नहीं

उन्होंने कहा कि जिस तरह से बाराबंकी पुलिस के अफसर पंजाब के रोपड़ से उस एंबुलेंस को बरामद करके लाये। वह भी पूरी तरह से फर्जी था। क्योंकि बाराबंकी पुलिस किसकी अनुमति से वह एंबुलेंस बाराबंकी लेकर आई थी।  एंबुलेंस लाने के लिये किसी भी अदालत का आदेश नहीं था। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या पुलिस ने वहां का कोई मेमो बनाया। क्या पुलिस ने एंबुलेंस लाने के लिये वहां के किसी मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी से सरकारी लिखा-पढ़ी में अनुमति ली थी। उन्होंने कहा कि बाराबंकी पुलिस ने मुख्तार अंसारी, डा. अल्का राय समेत बाकी लोगों के खिलाफ सिर्फ एक फर्जी मामला बनाने के लिये यह पूरा खेल किया। पुलिस ने रोपड़ से एक लावारिस एंबुलेंस लाकर बाराबंकी में खड़ी कर दी। साथ ही उसी फर्जी मुकदमे के आधार पर पुलिस ने गैंगस्टर का भी लगा दिया। जबकि मुकदमे में नामजद मुख्तारी अंसारी समेत किसी की भी बाराबंकी में कभी भी कोई गतिविधि नहीं रही है। सरकार ने मुख्तार अंसारी को परेशान करने के लिये एक के बाद एक मुकदमे उनके खिलाफ बनाये। जिसकी अगर जांच की जाए तो तमाम पुलिस वाले ही इसमें अभियुक्त साबित हो जाएंगे।

प्रदेश की जेलों और कोर्ट परिसर में हत्याएं

मुख्तार अंसारी वकील रणधीर सिंह सुमन ने कहा कि शेर दिल वालों का हार्ट अटैक नहीं होता। बल्कि कबूतर दिल वालों को हार्ट अटैक आता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से बीते दिनों प्रदेश की जेलों और कोर्ट परिसर में हत्याएं हुई हैं। उसे देखते हुए मुख्तार अंसारी की इस तरह से संदिग्ध मौत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि मुख्तार अंसारी को किसी साजिश का शक था। इसीलिये उन्होंने बाराबंकी कोर्ट में धीमा जहर देकर खुद की हत्या किये जाने का शक जताया था। उन्होंने कहा कि मुख्तार अंसारी की गवाही से माफिया बृजेश सिंह को सजा होनी निश्चित थी। इसलिये उनकी मौत को साधारम नहीं कहा जा सकता। उन्होंने इसकी जांच की भी मांग की।

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