Barabanki News: जब मुलायम ने कहा...परिंदा नहीं मार सकता पर, तब रामशरण ने की अयोध्या पर कूच; पुलिस की हर लाठी पर मुंह से निकला जय श्रीराम

Barabanki News: रामशरण ने बताया कि मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि परिंदा पर भी नहीं मार सकता। उस समय हम लोग हर लाठी पर जय श्री राम का उद्घोष करते थे।

Report :  Sarfaraz Warsi
Update:2024-01-16 13:44 IST

saint story Ram Mandir andolan  (photo: social media )

Barabanki News: श्रीराम मंदिर आंदोलन के दौरान 27 दिनों तक जेल में रहने वाले बाराबंकी के रामशरण दास उर्फ राम प्रसाद गुप्ता 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा की तारीख निश्चित होने के बाद से काफी खुूश हैं। श्रीराम के प्रति इनकी भक्ति ही रही कि राम मंदिर आंदोलन के दौरान पुलिस की लाठियां खाने और जेल काटने के बाद भी इनका मन इस तरह राम नाम में रम गया कि यह संत हो गए। रामशरण ने बताया कि मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि परिंदा पर भी नहीं मार सकता। उस समय हम लोग हर लाठी पर जय श्री राम का उद्घोष करते थे। विवादित ढांचे का विध्वंस करने में हम भी शामिल थे। बिना इलाज के हम लोगों ने राम नाम जप कर अपना दर्द बांटा। यही नहीं राम प्रसाद गुप्ता के स्थान पर उनका नया नामकरण रामशरण दास हो गया। रामप्रसाद से रामशरण दास बनने के पीछे भी श्रीराम की भक्ति और शक्ति ही रही।

बाराबंकी के उत्तर टोला बंकी में बने बालाजी हनुमान मंदिर में रह रहे कारसेवक रामशरण दास ने बताया कि हमने राम मंदिर से जुड़े हर आंदोलन और धर्म संसद में हिस्सा लिया। जब साल 1990 में श्री राम मंदिर निर्माण के लिए कर सेवा चल रही थी। उस समय के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने परिंदा भी पर नहीं मार सकता का ऐलान किया था। ऐसे में भाजपा नेता गौरी शंकर मिश्र (अब स्वर्गीय) के नेतृत्व में 100 राम भक्तों का जत्था अयोध्या कूच करने लगा। तब के तत्कालीन नगर कोतवाल भोलानाथ यादव ने पल्हरी के पास उन सभी को रोक लिया और पुलिस बल के साथ हम राम भक्तों पर जमकर लाठियां भांजीं। हम लोगों पर जलते हुए चैले चलाए गये। हम सभी पर काफी जुल्म किये गए।

पुलिस की लाठियों की मार से पीठ पर गहरी चोट

रामशरण दास के मुताबिक पुलिस की लाठियों की मार से उनकी पीठ पर गहरी चोट आई। जिसका दर्द उन्हें अभी तक है। लाठियों की मार के चलते उनकी रीढ़ की हड्डी में चोट आ गई थी, जिसके चलते आज भी वह चलने-फिरने में लाचार हैं और उनके हाथ-पैर टेढ़े हो गये हैं। उन्होंने बताया कि बड़ेल के पास गोविंद दास के दोनों पांव और हाथ लाठियां के मार से टूट गए थे। उसी आंदोलन में हमारे साथी रहे राम अचल गुप्ता आज इस दुनिया में नहीं हैं। उनके अस्थियों के कलश को लेकर हम पूरे जनपद में घूमे थे। उन्होंने बताया कि 1992 में हम अयोध्या में गुम्बद की पास वाली बाउंड्री पर थे। लोग कटीली तारों को फांदकर अंदर जा रहे थे। करीब पांच हजार लोगों ने विवादित ढांचे का विध्वंस कर दिया। उस दौरान भी कई लोगों की मौत हुई थी।

रामशरण दास ने बताया कि उनके साथी ईश्वरी दिन के पुत्र के हाथ की हड्डी टूट गई थी। लेकिन फिर भी पुलिस ने किसी को भी चिकित्सालय ले जाने के बजाय जिला कारागार भेज दिया। कारागार में नारेबाजी और बाहर भीड़ बढ़ती देखकर तत्कालीन पुलिस-प्रशासन सुल्तानपुर जिला कारागार सभी को भेज दिया। वहां पहले से ही कार सेवक बंद थे। ऐसे में वहां भी जय श्री राम के नारे लगे तो पुलिस और जेल कर्मियों ने मिलकर लाठियां भांजीं। हम लोग हर लाठी पर जय श्री राम का उद्घोष करते थे। बिना इलाज के हम लोगों ने दर्द राम नाम जप कर बांटा। उन्होंने बताया कि जब अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चली, तब लोग जेल में थे। जेल में छिपाकर ले गये ट्रांजिस्टर में हमें यह खबर मिली थी। उस समय हम लोग काफी दुखी हुए थे।

सपना सच हो गया

रामशरण दास ने बताया कि 27 दिनों के बाद सुल्तानपुर जेल से उन सभी को सीधे बाराबंकी ना भेज कर गोंडा के रास्ते लाकर छाया चौराहे पर छोड़ दिया गया। साथ में जेल जाने वालों में योगेश शर्मा और कैलाशनाथ शर्मा भी थे। सुल्तानपुर जेल में रुदौली के विधायक रहे आचार्य रामदेव भी सैकड़ो लोगों के साथ निरुद्ध किए गए थे। रामशरण दास का कहना है कि अब भव्य राम मंदिर बन गया है। उनका सपना सच हो गया है। क्योंकि हमारे साथ के तमाम कारसेवक रामजी को प्यारे हो चुके हैं। 22 जनवरी के बाद अयोध्या में जाकर वह रामलाल के दर्शन करेंगे, तभी उनके मन को चैन मिलेगा।

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