मनरेगा में अरबों खर्च, फिर भी धरातल पर नहीं दिखा काम, बस्ती की रिपोर्ट से जानें सच

फिर काम ना होने के बाद भी भुगतान हो गया तो इसकी विस्तृत जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई होती हैं और माननीयों ने मनरेगा के मद में खर्च हुए धन को लेकर जांच की मांग की है जिस पर कार्रवाई हो रही है।

Update: 2021-02-12 14:50 GMT
मनरेगा में अरबों खर्च, फिर भी धरातल पर नहीं दिखा काम, बस्ती की रिपोर्ट से जानें सच

बस्ती : जिले में पिछले 19 महीनों में मनरेगा के तहत 4 अरब 75 करोड़ खर्च कर दिए गए मगर धरातल पर काम नजर नहीं आ रहा है, सरकारी आंकड़ों से मनरेगा मजदूरों को कागजों में काम मिल रहा, अब सवाल यह उठ रहा है कि 400 करोड़ खर्च होने के बाद भी जिले के मात्र 22 मनरेगा मजदूरों को ही 100 दिन का रोजगार मिल सका।

मनरेगा मजदूरों को काम नहीं मिला

सरकार की सख्ती के बाद भी ग्राम पंचायतों में मनरेगा मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है। इसको लेकर मनरेगा की एक बैठक में जिले के जनप्रतिनिधियों ने जब इस महा घोटाले पर आवाज मुखर की तब जिले के अधिकारियों की नीद टूटी और मनरेगा के मद में सर्वाधिक धन खर्च करने वाले 72 गांवों के कामों की जांच के लिए 14 अधिकारियों की टीम बनाकर जांच कराई गई । सबसे अधिक घोटाला बस्ती जिले के बनकटी और कुदरहा ब्लॉक में देखने को मिला है। इन दोनों ब्लॉक में 57 से 58 करोड़ खर्च किए गए इसके बाद भी इस ब्लॉक का कोई भी ऐसा गांव विकास के मामले में आगे नहीं है जिसे जिले में एक अलग पहचान मिल सके।

 

यह पढ़ें...कारागार मंत्री पंहुचे जौनपुरः बाबा औघड़ दानी मंदिर के उत्सव मेले में हुए शामिल

 

ब्लॉक के तकनीकी सहायक

कुछ इसी तरह का मामला विकासखंड बहादुरपुर के ग्राम पंचायत जलालपुर में देखने को मिला। इस गांव में मनरेगा के तहत करोड़ों रुपए का बंदरबांट कर लिया गया। जिसकी विस्तृत जांच होने के बाद ब्लॉक के तकनीकी सहायक और रोजगार सेवक को बर्खास्त कर दिया गया। साथ ही सेक्रेटरी के वेतन वृद्धि पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। इतना ही नहीं प्रधानी के कार्यकाल खत्म होने से 15 दिन पहले जिले के सभी ब्लॉकों के बीडीओ ने 10 करोड़ से अधिक का भुगतान आनन-फानन में कर दिया है।

 

खर्च हुए 400 करोड़ की योजना

 

बीजेपी विधायक संजय जयसवाल ने भी मनरेगा में भ्रष्टाचार को लेकर जांच का सवाल उठाया है। एमएलसी देवेंद्र सिंह के प्रतिनिधि हरीश सिंह ने भी मनरेगा मद में खर्च हुए 400 करोड़ की योजना को बेचने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका की जांच कर कार्रवाई की मांग की है। वही मनरेगा घोटाले को लेकर जब हमने बस्ती मंडल के कमिश्नर अनिल सागर से बात की तो उन्होंने कहा कि मनरेगा की मॉनिटरिंग समय-समय पर की जाती है।

 

यह पढ़ें...ममता के विरोधी दिनेश त्रिवेदी! TMC में रहकर भी हमेशा बागी तेवर, क्या छोड़ेंगे पार्टी

 

अगर कहीं भी शिकायत मिलती है कि मनरेगा से कराए गए कार्यों की गुणवत्ता सही नहीं है। या फिर काम ना होने के बाद भी भुगतान हो गया तो इसकी विस्तृत जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई होती हैं और माननीयों ने मनरेगा के मद में खर्च हुए धन को लेकर जांच की मांग की है जिस पर कार्रवाई हो रही है।

रिपोर्ट -अमृत लाल

Tags:    

Similar News