अतीक के बेटे के एनकाउंटर से शुरू हुई मुस्लिम और ओबीसी वोट बैंक की जंग, SP-BSP व BJP की प्रतिक्रियाओं के सियासी मायने
Asad Encounter: सपा-बसपा और कांग्रेस की निगाहें मुस्लिम वोट बैंक पर टिकी हुई है। इन तीनों दलों के नेताओं के बयानों के पीछे प्रदेश में जल्द होने वाले निकाय चुनाव और उसके बाद लोकसभा चुनाव में मुस्लिमों के वोट हासिल करने की होड़ को बड़ा कारण माना जा रहा है।
Asad Encounter: माफिया अतीक अहमद के बेटे असद और उसके शूटर गुलाम के गुरुवार को एनकाउंटर में मारे जाने के बाद सियासी माहौल भी गरमा गया है। सपा मुखिया अखिलेश यादव और बसपा मुखिया मायावती ने इस एनकाउंटर पर सवाल खड़े किए हैं। दूसरी ओर भाजपा नेताओं की ओर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के माफिया को मिट्टी में मिला देने के बयान का जिक्र भी बड़े जोरशोर से किया जा रहा है। एनकाउंटर के बाद सूबे की सियासत गरमा गई है और इन बयानों के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।
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दरअसल सपा-बसपा और कांग्रेस की निगाहें मुस्लिम वोट बैंक पर टिकी हुई है। इन तीनों दलों के नेताओं के बयानों के पीछे प्रदेश में जल्द होने वाले निकाय चुनाव और उसके बाद लोकसभा चुनाव में मुस्लिमों के वोट हासिल करने की होड़ को बड़ा कारण माना जा रहा है। वहीं भाजपा नेता उमेश पाल की हत्या की याद दिलाकर ओबीसी वोट बैंक पर नजरें गड़ाए हुए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत भाजपा के कई प्रमुख नेताओं ने एसटीएफ टीम को इस मुठभेड़ पर दिल खोलकर बधाई दी है। इस मुठभेड़ के बाद ओबीसी और मुस्लिम वोट बैंक की शुरू हुई इस लड़ाई में भाजपा ज्यादा फायदे की स्थिति में दिख रही है।
केशव के बयान पर सपा का पलटवार
मुठभेड़ की खबर आने के बाद ही प्रदेश में सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप की सियासत शुरू हो गई। भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने सबसे पहले उमेश पाल और पुलिस के जवानों की हत्या का जिक्र करते हुए एसटीएफ की टीम को बधाई दी।
उनका कहना था कि उमेश पाल और पुलिसकर्मियों के हत्यारों का यही हश्र होना था। केशव प्रसाद मौर्य की यह प्रतिक्रिया सामने आने के बाद सपा की ओर से जोरदार पलटवार करते हुए कहा गया कि एनकाउंटर किसी समस्या का समाधान नहीं है।
अखिलेश की प्रतिक्रिया पर स्वतंत्र देव का निशाना
सपा मुखिया और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि झूठे एनकाउंटर से भाजपा सरकार सच्चे मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाना चाहती है। उन्होंने हाल के दिनों में विभिन्न स्थानों पर हुई मुठभेड़ों की जांच की मांग तक कर डाली। उनका कहना था कि सत्ता को सही और गलत के फैसलों का अधिकार नहीं है मगर भाजपा को कोर्ट पर विश्वास ही नहीं है। उन्होंने भाजपा को भाईचारे के खिलाफ भी बताया।
सपा मुखिया अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया सामने आने के बाद भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह भी इस विवाद में कूद पड़े और उन्होंने अखिलेश यादव पर सीधा निशाना साधते हुए उनके बयान की तीखी आलोचना की।
मायावती और ओवैसी भी बिफरे
मुस्लिम वोट बैंक के सपा की ओर शिफ्ट होने के कारण इन दिनों बसपा मुखिया मायावती भी बेचैन दिख रही हैं। मायावती ने भी असद के एनकाउंटर पर प्रतिक्रिया जताने में देरी नहीं की। उन्होंने कहा कि अतीक अहमद के बेटे की पुलिस मुठभेड़ में हुई हत्या पर कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं। लोगों को महसूस हो रहा है कि विकास दुबे कांड के दोहराए जाने की आशंका सच साबित हुई है। उन्होंने घटना की सच्चाई जनता के सामने लाने के लिए इस मुठभेड़ की उच्चस्तरीय जांच की मांग कर डाली।
एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने भी अतीक के बेटे असद के एनकाउंटर पर तीखी प्रतिक्रिया जताई। उन्होंने कहा कि भाजपा मजहब के नाम पर एनकाउंटर करती है। उन्होंने कहा कि आखिरकार कोर्ट और जज किसलिए हैं? अदालतों को बंद कर देना चाहिए। क्या भाजपा वाले जुनैद और नासिर को मारने वालों को भी गोली मारेंगे? नहीं, क्योंकि ये लोग मजहब के नाम पर एनकाउंटर करते हैं।
एनकाउंटर पर योगी को दी बधाई
सोशल मीडिया पर भी इस एनकाउंटर की गुरुवार से ही खासी चर्चा हो रही है। जहां कुछ लोगों की ओर से इस एनकाउंटर पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं तो दूसरी ओर एक बड़ा वर्ग इसका समर्थन भी कर रहा है। जानकार सूत्रों का कहना है कि एनकाउंटर के बाद गुरुवार को ओबीसी व्हाट्सएप ग्रुपों में योगी आदित्यनाथ की खूब जय-जयकार की गई।
पाल समाज से जुड़े उमेश पाल के हत्यारों को एनकाउंटर में मारे जाने पर लोगों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दिल खोलकर बधाई दी। भाजपा नेता भी इस मामले में खुलकर मैदान में उतर आए हैं और योगी आदित्यनाथ को बधाई दे रहे हैं।
मुस्लिम और ओबीसी वोट बैंक की जंग
सियासी जानकारों का मानना है कि असद के एनकाउंटर के बाद ओबीसी और मुस्लिम वोट बैंक की लड़ाई भी उभरती हुई दिख रही है। मुस्लिमों में अतीक के प्रभाव का ही असर था कि सपा और बसपा की ओर से कभी भी खुलकर अतीक अहमद के खिलाफ कोई बयानबाजी नहीं की गई। अब उसके बेटे का एनकाउंटर के बाद सपा और बसपा दोनों पार्टियों की ओर से सवाल खड़े किए जा रहे हैं।
दूसरी ओर भाजपा नेताओं की ओर से उमेश पाल के हत्यारों को सजा देने की बात कही जा रही है। दोनों पक्षों के इस रुख से साफ हो गया है कि ओबीसी और मुस्लिम वोट बैंक की लड़ाई की जमीन भी तैयार हो रही है। वैसे इस प्रकरण में भाजपा को ज्यादा फायदा होता दिख रहा है क्योंकि मुस्लिम वोट बैंक उससे पहले ही कटा हुआ है मगर ओबीसी वोट बैंक और मजबूती के साथ भाजपा के साथ खड़ा हो सकता है।