Bhadohi News: बेहोशी का इंजेक्शन बना जानलेवा, भदोही के विनय की मौत सवालों के घेरे में

Bhadohi News: भदोही के ईशी हॉस्पिटल में विनय की मौत सवालों के घेरे में आ गई है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या बेहोशी का इंजेक्शन जानलेवा बन गया है या फिर मौत की वजह कुछ और है।

Report :  Umesh Singh
Update:2022-12-04 13:59 IST

Bhadohi eeshi hospital (Social Media)

Bhadohi News: भदोही के ईशी हॉस्पिटल में विनय की मौत सवालों के घेरे में आ गई है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या बेहोशी का इंजेक्शन जानलेवा बन गया है या फिर मौत की वजह कुछ और है। तहसील भदोही अंतर्गत राम रायपुर के ईशी हॉस्पिटल में कनेहरी भगवानपुर निवासी 24 वर्षीय युवक विनय तिवारी पुत्र रमेश तिवारी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई।

परिजनों का आरोप है कि 29 नवंबर 2022 को दोपहर लगभग 1:00 बजे के आसपास विनय को हर्निया के ऑपरेशन के लिए भर्ती कराया गया। ऑपरेशन से पहले विनय को बेहोशी का इंजेक्शन लगाया गया। विनय तिवारी के पिता रमेश तिवारी ने बताया कि इंजेक्शन लगाने के बाद ऑपरेशन हुआ और ऑपरेशन के कई घंटों बाद तक विनय को होश नहीं आया तो घबराकर डॉक्टरों से बात की गई तो डॉक्टर ने कहा कि कोई बात नहीं है जल्दी ही होश आ जाएगा। हालांकि जब 5 से 7 घंटे बीत जाने के बाद भी विनय को होश नहीं आया तो ईशी हॉस्पिटल के डॉक्टर घबरा गए और विनय को अन्यत्र रेफर करने के लिए कहा। हालांकि परिजनों का आरोप है कि जब विनय को हॉस्पिटल से निकाला गया तभी उसकी मौत हो चुकी थी। लेकिन डॉक्टरों ने आरोप से बचने के लिए नाटकीय ढंग से विनय को अन्यत्र रेफर कर दिया।

मृतक विनय के पिता रमेश तिवारी का आरोप है कि बेहोशी की दवा के ओवरडोज की वजह से विनय की जान गई। हालांकि साक्ष्यों के रूप में विनय तिवारी की इलाज से पहले कराई गई रिपोर्ट से यह जानकारी प्राप्त होती है कि विनय को हर्निया के अलावा अन्य कोई बीमारी नहीं थी जो मौत का कारण बने। परिजनों का आरोप है कि ऐसे जानलेवा अस्पतालों पर कार्यवाही होनी चाहिए ताकि मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ ना हो।

हालांकि भदोही सीएमओ संतोष कुमार चक द्वारा दिए गए बयान के अनुसार ईशी हॉस्पिटल का रजिस्ट्रेशन है, लेकिन यह एक दुखद घटना है और 3 सदस्यीय टीम गठित कर इस मामले की जांच कराई जा रही है। हालांकि जनपद के ज्यादातर नर्सिंग होम नियमों को ताक पर रखकर संचालित हो रहे हैं और भदोही का चिकित्सा विभाग जानबूझकर गहरी निद्रा में है और ऐसे अस्पतालों पर कार्यवाही करने से बचता नजर आ रहा है। यदि इस मामले में दोष सिद्ध होता है तो नियमानुसार एनएसथीसिया के डॉक्टर पर लापरवाही में केस दर्ज होना चाहिए।

हालांकि परिजनों सहित क्षेत्रीय लोगों में यह चर्चा का विषय है कि इस मामले में कुछ नहीं होगा क्योंकि संबंधित मामले में सफेदपोश लीपापोती करने में लगे हैं और हैरानी की बात तो यह है कि जनता इससे भलीभांति परिचित हैं कि इस मामले में आखिर कौन अपनी राजनीतिक रोटी सेक रहा है। वही हॉस्पिटल संचालक डॉ गणेश चंद यादव संबंधित मामले में किसी भी तरह का बयान देने से बचते नजर आ रहे हैं। हालांकि संबंधित मामले में अभी पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आने के बाद स्थिति साफ हो पाएगी कि आखिर मौत की वजह क्या थी। लेकिन बड़ा सवाल यह उठता है कि जनपद के ज्यादातर अस्पतालों में नियमानुसार ऑपरेशन से पहले एनएसथीसिया देने के लिए एक्सपर्ट को मौजूद रहना चाहिए। प्राप्त जानकारी के अनुसार ज्यादातर ऐसे अस्पताल हैं जिनके बोर्ड पर एनएसथीसिया एक्सपर्ट का नाम तो लिखा है लेकिन ऑपरेशन के दौरान एक्सपोर्ट साहब उपस्थित नहीं रहते।

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