दलितों के बड़े आंदोलन के लिए तैयार रहे केंद्र और UP सरकार, भीम आर्मी ने दी चेतावनी

पिछले साल जिले में हुए जातीय दंगों के बाद सुर्खियों में आई भीम आर्मी ने रविवार (18 जनवरी) को एक बार फिर से उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद रावण पर लगाई गई राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) हटाने की मांग। इसको लेकर भीम आर्मी की ओर से एक वृहद स्तरीय रैली का आयोजन किया गया।

Update:2018-02-18 18:32 IST

सहारनपुर: पिछले साल जिले में हुए जातीय दंगों के बाद सुर्खियों में आई भीम आर्मी ने रविवार (18 जनवरी) को एक बार फिर से उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद रावण पर लगाई गई राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) हटाने की मांग। इसको लेकर भीम आर्मी की ओर से एक वृहद स्तरीय रैली का आयोजन किया गया।

रैली के माध्यम से केंद्र की मोदी और प्रदेश की योगी सरकार पर न केवल जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अगर जल्द ही भीम आर्मी संस्थापक पर लगाई गई रासुका नहीं हटाई गई तो दोनों सरकारों को दलितों के बड़े आंदोलन के लिए तैयार रहना होगा।

बता दें कि पिछले 5 मई 2017 को सहारनपुर जिले में जगह-जगह जातीय हिंसा हुई थी। इस हिंसा में भीम आर्मी न केवल देश बल्कि विदेशों में भी एक ऐसा नाम बनकर उभरा था, जिससे तमाम राज्यों की सरकारों और केंद्र सरकार आश्चर्यचकित हो गई।

दंगा भड़काने का आरोप

भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण पर जातीय दंगा भड़काने का आरोप लगाते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। तभी से वह जेल में हैं और उन पर रासुका लगाई गई है।

किया सभा का आयोजन

रविवार की दोपहर शब्बीरपुर जातीय हिंसा के बाद जेल में बंद भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर रावण पर लगाई गई रासुका हटाने, इलाहाबाद में दलित छात्र की हत्या, कासगंज समेत कई मुद्दों को लेकर सहारनपुर के दिल्ली रोड स्थित काशीराम आवासीय कॉलोनी मैदान में एक सभा का आयोजन किया गया था। सभा को संबोधित करते हुए भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रत्न ने कहा कि चंद्रशेखर आजाद की बढ़ती लोकप्रियता को दबाने के लिए उन पर 27 फर्जी मुकदमे दर्ज किए गए हैं और रासुका लगाई गई है। उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी और राज्य की योगी सरकार में न केवल दलितों बल्कि अल्पसंख्यकों का जमकर उत्पीड़न किया जा रहा है, जिसे किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा। कहा कि भारतीय जनता पार्टी की गलत नीतियों के खिलाफ दलित और मुस्लिमों को मिलकर आवाज को बुलंद करना होगा। तभी जाकर इस देश में दलित और मुसलमानों को संवैधानिक अधिकार प्राप्त हो सकते हैं।

वेस्ट यूपी में चंद्रशेखर आजाद की पहचान का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस सभा में हजारों दलित महिलाएं अपने हाथों में चंदेशखर आजाद की फोटो लेकर पहुंची थी। यह युवा वेस्ट यूपी की दलित महिलाओं की पहली पसंद बना है। इसका कारण यह है कि चंद्रशेखर आजाद दलित महिलाओं के मान-सम्मान की आवाज को बुलंद करते आए हैं।

रविवार को आयोजित यह रैली करीब चार घंटे तक लगातार चली, जिसमें कासगंज मामले में निर्दोष लोगों के खिलाफ की गई कार्रवाई को वापस लेने, इलाहाबाद में दलित छात्र की हत्या के आरोपियों को जेल भेजने और भीम आर्मी संस्थापक पर लगाई गई रासुका को हटाए जाने की मांग जोर शोर से की गई। भीम आर्मी के जिलाध्यक्ष कमल वालिया, राष्ट्रीय प्रवक्ता मनजीत सिंह नौटियाल आदि समेत दलित और मुस्लिम वक्ता मौजूद रहे।

पुलिस के जवान तैनात

भीम आर्मी की रैली को लेकर पुलिस प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद रहा। दिल्ली रोड पर चप्पे-चप्पे पर पुलिस के जवान तैनात किए गए थे। साथ ही वरिष्ठ आला अधिकारी भी सभास्थल पर अंत तक डटे रहे। भीम आर्मी की इस रैली की भयावता को देखते हुए पुलिस कर्मियों के अवकाश रद्द कर दिए गए।

विनय रत्न को गिरफ्तार नहीं कर सकी पुलिस

भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रत्न भी जातीय हिंसा के आरोपी हैं और उन पर पुलिस प्रशासन द्वारा 12 हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया है। विनय रत्न तभी से फरार चल रहे हैं और रविवार को पुलिस के सामने आ सके तो पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने की हिम्मत तक नहीं जुटा सकी।

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