Yadav Mahakumbh: विधायकों को तोड़ने के बाद अब अखिलेश के वोट बैंक पर निगाहें, जानें क्या है BJP का प्लान?

Yadav Mahakumbh: अब भाजपा ने अखिलेश यादव के वोट बैंक पर नज़रें गड़ा रखी हैं। इसीलिए आज लखनऊ में यादव महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है।

Report :  Anshuman Tiwari
Update: 2024-03-03 02:45 GMT

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (सोशल मीडिया)

Yadav Mahakumbh: राज्यसभा चुनाव में सपा के विधायकों को तोड़कर पार्टी मुखिया अखिलेश यादव को करारा झटका देने वाली भाजपा अब उनके वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश में जुट गई है। लखनऊ में आज आयोजित होने वाले यादव महाकुंभ को इसी कड़ी का हिस्सा माना जा रहा है। इस आयोजन की तैयारी पूरी कर ली गई हैं। इस महाकुंभ के मुख्य अतिथि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव होंगे जबकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस आयोजन में हिस्सा लेंगे।

जल्द होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इस आयोजन को सियासी नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है। भाजपा सोची समझी रणनीति के तहत मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को उत्तर प्रदेश के मैदान में उतार रही है ताकि यादव वोट बैंक के समीकरण को साधा जा सके। राजधानी लखनऊ में जगह-जगह इस आयोजन से जुड़े पोस्टर और होर्डिंग लगाकर यादव मतदाताओं को आकर्षित करने का प्रयास किया जा रहा है। आने वाले दिनों में यादव बहुल इलाकों में मोहन यादव की जनसभाएं भी कराने की तैयारी है।

राज्यसभा चुनाव में भी लगा था बड़ा झटका

अभी हाल में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने सपा मुखिया अखिलेश यादव को करारा झटका दिया था। सपा के कई विधायकों के क्रॉस वोटिंग करने के कारण भाजपा अपने आठवें उम्मीदवार संजय सेठ को जिताने में कामयाब रही थी जबकि सपा के तीसरे उम्मीदवार पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन को हार का मुंह देखना पड़ा था। इस तरह राज्यसभा चुनाव में सपा मुखिया अखिलेश यादव अपने कुनबे को सुरक्षित नहीं रख सके और भाजपा बड़ी सेंधमारी में कामयाब रही।

अब अखिलेश के वोट बैंक पर भाजपा की निगाहें

अब भाजपा ने अखिलेश यादव के वोट बैंक पर नज़रें गड़ा रखी हैं। इसीलिए आज लखनऊ में यादव महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन में हिस्सा लेने के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव का पहुंचना भी सियासी नजरिए से काफी महत्वपूर्ण है।

यादव वोट बैंक का समीकरण साधने के लिए ही भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर मोहन यादव की ताजपोशी की थी। एक महीने के भीतर यह दूसरा मौका होगा जब मोहन यादव यूपी के दौरे पर होंगे। इससे पहले मोहन यादव सपा का गढ़ माने जाने वाले आजमगढ़ के दौरे पर पहुंचे थे और उन्होंने चुनाव रणनीति पर चर्चा की थी।

यादव समाज को रिझाने की कोशिश

यादव महाकुंभ के आयोजन के पीछे भाजपा की बड़ी रणनीति मानी जा रही है। दरअसल भाजपा ने यादव बहुल लोकसभा सीटों पर यादव मतदाताओं का समर्थन हासिल करने पर अपनी नज़रें गड़ा रखी हैं। यादव समाज को रिझाने के लिए ही आज राजधानी लखनऊ में यादव महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है। अभी तक लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव में यादव समुदाय का एकमुश्त वोट सपा को हासिल होता रहा है। यादव और मुस्लिम मतदाता सपा की बड़ी ताकत माने जाते रहे हैं।

भाजपा की रणनीति यह है कि जिन क्षेत्रों में यादव मतदाता अधिक हैं वहां पर मोहन यादव को आगे करके यादव मतदाताओं को भाजपा के समर्थन के लिए तैयार किया जाए। मोहन यादव को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने के पीछे भाजपा की यह बड़ी सोच भी थी। अब भाजपा ने अपनी उसी रणनीति को अमली जामा पहनाना शुरू कर दिया है।

एक धड़ा कर रहा अखिलेश का विरोध

पिछले दिनों यादव महासभा दो फाड़ हो जाने के बाद एक धड़ा अब सपा मुखिया अखिलेश यादव के खिलाफत पर उतर आया है। यादव महासभा के दो फाड़ होने के बाद भाजपा लगातार यादवों पर डोले डालने की कोशिश में जुटी हुई है। योगी सरकार में गिरीश यादव को स्वतंत्र प्रभार का राज्य मंत्री बनाया गया था।

इसके साथ ही हरनाथ यादव को राज्यसभा में भेजने की पहल भी की गई थी। भाजपा की ओर से पहले सुभाष यदुवंश को युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया और फिर प्रदेश संगठन में उन्हें जगह दी गई। मौजूदा समय में उन्हें एमएलसी बनाया जा चुका है। इस तरह भाजपा यादव समुदाय को रिझाने की कोशिश में जुटी हुई है।

अब यादव समाज मोहन यादव के साथ

राजधानी लखनऊ में यादव महाकुंभ के इस आयोजन में श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पक्षकार मनीष यादव बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। उनका कहना है कि यादव समाज अखिलेश यादव का साथ क्यों दे जबकि वे यादव समाज के नायक श्रीकृष्ण के लिए खड़े होने के लिए तैयार नहीं है। उनकी पीडीए की लड़ाई भी केवल प्रॉपर्टी ऑफ अखिलेश डिंपल है।

उनका कहना है कि अब यादव समाज अखिलेश यादव का पिछलग्गू बनकर नहीं रह सकता। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव भी हमारे समाज से ही जुड़े हुए हैं और श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर पूरी तरह समर्पित हैं। ऐसे में अब आने वाले दिनों में यादव समाज उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ेगा। अब यादव किसी नेता के बरगलाने में नहीं आएंगे।

यादव मतदाताओं की बड़ी भूमिका

भाजपा की ओर से यूपी के यादव मतदाताओं में सेंधमारी का प्रयास यूं ही नहीं किया जा रहा है। दरअसल प्रदेश की 50 विधानसभा सीटों पर यादव मतदाताओं का खासा असर है। प्रदेश में यादव मतदाताओं की संख्या करीब 8 से 9 फ़ीसदी है जबकि ओबीसी में इनकी आबादी करीब 20 फ़ीसदी मानी जाती है।

समाजवादी पार्टी का संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को यादव समुदाय का बड़ा नेता माना जाता रहा है। अब मुलायम सिंह की विरासत सपा मुखिया अखिलेश यादव ने संभाल ली है और यादव समाज के लोग अभी भी सपा के प्रति पूरी तरह समर्पित दिखते हैं।

इसी कारण भाजपा यादव महाकुंभ के जरिए बड़ा समीकरण साधने की कोशिश में जुटी हुई है। आज यादव महाकुंभ के आयोजन में बड़ी संख्या में यादव समाज के लोगों के हिस्सा लेने की संभावना जताई जा रही है। अगर भाजपा अपने मकसद में कामयाब रही तो यह आने वाले लोकसभा चुनाव में सपा के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं होगा। अब देखने वाली बात यह होगी कि सपा मुखिया अखिलेश यादव भाजपा की इस रणनीति का कैसे जवाब देते हैं।

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