Sonbhadra News : मामा-भांजी के पवित्र रिश्तों को तार-तार करने वाले कलियुगी मामा की जमानत अर्जी खारिज, ननिहाल गई भांजी के साथ दुष्कर्म का है आरोप

Sonbhadra News: रिश्ते को तार-तार करने वाले कलियुगी मामा की जमानत अर्जी खारिज कर दी गई है। न्यायालय अपर जनपद एवं सत्र न्यायाधीश एफटीसी/सीएब्ल्यू की अदालत ने मामले की सुनवाई की।;

Update:2025-02-19 22:59 IST

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Sonbhadra News: मामा-भांजी जैसे पवित्र रिश्ते को तार-तार करने वाले कलियुगी मामा की जमानत अर्जी खारिज कर दी गई है। न्यायालय अपर जनपद एवं सत्र न्यायाधीश एफटीसी/सीएब्ल्यू की अदालत ने मामले की सुनवाई की। अधिवक्ताओं की तरफ से दी गई दलीलों और पुलिस की तरफ से उपलब्ध कराई गई जानकारी को दृष्टिगत रखते हुए, न्यायालय ने प्रकरण को काफी गंभीर प्रकृति का पाया और जमानत अर्जी नामंजूर कर दी।

भांजी से किया दुष्कर्म, शादी की पकड़ रखा था जिद

प्रकरण में पीड़िता की तरफ से राबटर्सगंज कोतवाली में केस दर्ज कराया गया था। सगे मामा पर छेड़खानी का आरोप लगाने के साथ दो साल से परेशान करने का आरोप लगाते हुए तहरीर दी थी। प्रकरण में मामला दर्ज कर पुलिस ने आरोपी धनंजय मौर्या निवासी लोहरा, पुलिस चौकी सुकृत को गिरफ्तार कर लिया था। विवेचना और पीड़िता की तरफ से न्यायालय में दर्ज कराए गए बयान के बाद सामने आया कि पीड़िता से आरोपी ने छेड़खानी ही नहीं, दो बार जबरिया दुष्कर्म भी किया। फेसबुक,ं इंस्टाग्राम, वाट्सअप पर फोटो-स्टेटस लगाकर परेशान करने लगा। आरोप है कि मैसेज के जरिए भी उसने गंदी बातें लिखी और भांजी से ही शादी की जिद पर अड़ गया था।

बचाव पक्ष ने गलत आरोप का किया दावा

जमानत प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने दावा किया कि, आरोपी के बहनोई ने तीन वर्ष पहले ढाई लाख उधार ले रखे थे। उसे देना न पड़ने इसलिए उसने अपनी पुत्री को चढ़ा कर केस दर्ज करवा दिया। वहीं, अभियोजन पक्ष की तरफ से दलील दी गई कि आरोपी ने मामा-भांजी जैसे पवित्र रिश्ते की मर्यादा तार-तार कर दी। उसके साथ जबरिया दुष्कर्म किया। जान से मारने की धमकी दी। पीड़िता की तरफ से दर्ज कराए गए बयान से भी अभियोजन पक्ष के दावों की पुष्टि हुई।

गंभीर श्रेणी का है अपराध, नहीं दी जा सकती जमानतः न्यायालय

न्यायालय ने माना कि आरोपी द्वारा किया गया आपराध एक गंभीर अपराध की श्रेणी का है और यह एक महिला के विरूद्ध कारित किया गया है जो उसकी गरिमा के प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने के आशय का है। इसिलए आरोपी का जमानत प्रार्थना पत्र इस स्तर पर स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है। इसको दृष्टिगत रखते हुए है। धारा-74, 78, 352, 351(3), 64 (च) बीएनएस के तहत दर्ज केस को लेकर दाखिल जमानत प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया गया।

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