मां की याद में: डॉ० उषा कनक पाठक की लिखी पुस्तक 'श्रद्धांजलि' का विमोचन

साहित्य पर चर्चा के लिए इस कार्यक्रम में उपस्थित विद्वानों, कवियों का सम्मेलन हुआ । जिसमें संस्कृत के आचार्य डॉ बैजनाथ पांडेय ने इस महिला साहित्यकार के संबंध में कहाकि "एक बौना सा पौधा धीरे-धीरे वटवृक्ष बन रहा है" प्रतिष्ठित कवि जवाहरलाल दुबे, प्रदीप मिर्जापुरी ने कविता को देशकाल परिस्थिति एवं वातावरण से जोड़ा।

Update:2020-01-13 19:26 IST

मिर्जापुर: भारतेंदु युग से आधुनिक समय में जनपद साहित्य का प्रमुख केंद्र रहा है।"श्रद्धांजलि" नामक पुस्तक का विमोचन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन माता प्रसाद माता भीख इंटर कॉलेज में किया गया । "श्रद्धांजलि" नामक पुस्तक की लेखिका और कवियत्री डॉ० उषा कनक पाठक ने अपनी दिवंगत माँ स्व०सावित्री चतुर्वेदी को नम आंखों से श्रदांजलि नामक पुस्तक को लिखा है।जिसमे उन्होंने पुस्तक को अपनी माता के चरणों मे समर्पित किया।

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एक बौना सा पौधा धीरे-धीरे वटवृक्ष बन रहा है

साहित्य पर चर्चा के लिए इस कार्यक्रम में उपस्थित विद्वानों, कवियों का सम्मेलन हुआ । जिसमें संस्कृत के आचार्य डॉ बैजनाथ पांडेय ने इस महिला साहित्यकार के संबंध में कहाकि "एक बौना सा पौधा धीरे-धीरे वटवृक्ष बन रहा है" प्रतिष्ठित कवि जवाहरलाल दुबे, प्रदीप मिर्जापुरी ने कविता को देशकाल परिस्थिति एवं वातावरण से जोड़ा। माता प्रसाद के पूर्व आचार्य डॉ श्याम नारायण तिवारी ने कहा कि साहित्य लोक रचनाकार है।

उमा शंकर पांडेय ने रचनाकार की समस्त प्रमुख रचनाओं त्रिवेणी, यज्ञसेनी "मैं तुलसी तेरे आंगन की" का परिचय करवाया। प्रदीप मिर्जापुरी ने मां के "श्रद्धांजलि" पर कहा कि पूरे ब्रह्मांड में ॐ व माँ का कोई जोड़ नहीं।

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कनक भरे उषा की थाली, कुसुमित उपवन की हरियाली।

माँ बन अमृतधार दे गयी, नववर्ष का उपहार दे गयी। भीगे नैनो से धार दे गयी।

कुशल शिक्षिका के रूप में अध्यापन कार्य किया

इस अवसर पर राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कार प्राप्त कर चुके डॉ श्याम नारायण तिवारी ने कहा कि डॉ उषा कनक पाठक महर्षि दयानंद बालिका इंटर कॉलेज में कुशल शिक्षिका के रूप में अध्यापन कार्य की है । सेवा में संघर्ष करते हुए शिक्षक समस्या के समाधान में नारी शक्ति के रूप में तथा गणित विषय से स्नातक उपाधि करके भी भावपूर्ण साहित्य सृजन में माँ शक्ति को गौरवान्वित किया है।

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प्रोफेसर के एन तिवारी ने कहाकि कवियत्री डॉ उषा कनक उनकी शिष्या भी रही है। उन्होंने कहा कि इनकी रचनाएं निरंतर परिपक्व होती जा रही हैं। मुझे अपनी शिक्षा पर गर्व है माँ प्यार भी देती है तो बच्चों के विकास के लिए कटुए औषधि भी है उसके ताड़ना में भी दुलार है। इस कार्यक्रम में डॉ० उषा कनक पाठक ने सभी लोगो का आभार व्यक्त किया।

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