कार्य का बहिष्कार: बिजली कर्मियों ने किया निजीकरण नीतियों का विरोध

संघर्ष समिति के तमाम पदाधिकारियों ने विरोध सभा को सम्बोधित भी किया। उन्होंने बताया कि निजीकरण का प्रयोग उड़ीसा, ग्रेटर नोएडा और आगरा में बुरी तरह विफल हो चुका है।

Update: 2021-02-03 10:11 GMT
कार्य का बहिष्कार: बिजली कर्मियों ने किया निजीकरण नीतियों का विरोध

लखनऊ: प्रदेश की राजनधानी में शक्ति भवन पर बिजली कर्मियों ने केंद्र सरकार की निजीकरण की नीतियों के विरोध किया है। बता दें कि देश के 15 लाख बिजली कर्मियों के साथ उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों ने केंद्र सरकार की निजीकरण की नीतियों के विरोध में एवं अन्य समस्याओं के समाधान हेतु प्रांतव्यापी कार्य का बहिष्कार किया है।

सरकार के निजीकरण नीतियों का विरोध

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के आह्वान पर केंद्र सरकार की निजीकरण की नीतियों के विरोध में एवं बिजली कर्मियों की ज्वलंत समस्याओं के समाधान हेतु आज उत्तर प्रदेश के सभी ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों व अभियंताओं ने सांकेतिक कार्य बहिष्कार किया है। साथ ही प्रदेश भर में जोरदार विरोध प्रदर्शन हुए।

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इन जिलों में हुए जोरदार प्रदर्शन

अनपरा, ओबरा, पारीछा, हरदुआगंज, वाराणसी, मेरठ, आगरा, कानपुर, गोरखपुर, प्रयागराज, मिर्जापुर, आज़मगढ़, बस्ती, अयोध्या, गोण्डा, बरेली, सहारनपुर, गाजियाबाद, मुरादाबाद, नोएडा, बुलंदशहर, अलीगढ़, मथुरा, झाँसी, बाँदा में जोरदार विरोध प्रदर्शन हुए। राजधानी लखनऊ में शक्ति भवन पर विरोध सभा हुई।

पदाधिकारियों ने सभा को किया संबोधित

इस दौरान संघर्ष समिति के तमाम पदाधिकारियों ने विरोध सभा को सम्बोधित भी किया। उन्होंने बताया कि निजीकरण का प्रयोग उड़ीसा, ग्रेटर नोएडा और आगरा में बुरी तरह विफल हो चुका है फिर भी केंद्र सरकार ने बिजली के निजीकरण हेतु इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेट) बिल 2021 एवं स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट जारी किया है जिससे देशभर के बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा है। केंद्र सरकार के निर्देश पर केंद्र शासित प्रदेशों चंडीगढ़ और पांडिचेरी में बिजली के निजीकरण की प्रक्रिया तीव्र गति से चल रही है जिससे बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा है।

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बिजली कर्मचारियों की प्रमुख मांगे

उन्होंने यह भी बताया कि बिजली कर्मचारियों की प्रमुख मांगे इलेक्ट्रीसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2021 व स्टैन्डर्ड बिडिंग डॉक्युमेंट वापस लेना,निजीकरण की सारी प्रक्रिया निरस्त करना, ग्रेटर नोएडा का निजीकरण व आगरा फ्रेंचाइजी का करार समाप्त करना, विद्युत उत्पादन, पारेषण और वितरण निगमों को एकीकृत कर यूपीएसईबी लिमिटेड का गठन करना, सभी बिजली कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन बहाल करना, तेलंगाना की तरह संविदा कर्मचारियों को नियमित करना और सभी रिक्त पदों विशेषतया क्लास 3 और क्लास 4 के रिक्त पदों को प्राथमिकता पर भरना, सभी संवर्ग की वेतन विसंगतियां दूर करना और तीन पदोन्नत पद का समयबद्ध वेतनमान प्रदान करना हैं।

रिपोर्ट- शैलेंद्र दुबे

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