लखनऊः यूपी विधानसभा के चुनावों में ज्यादा वक्त नहीं बचा है। ऐसे में अभी से सियासी दल सरकार बनाने का गुणा-गणित लगाने लगे हैं। बीएसपी सुप्रीमो मायावती भी शायद चुनाव पूर्व आ रहे सर्वे के नतीजे देख रहीं हैं और ऐसे में त्रिशंकु विधानसभा होने पर सरकार बनाने का जोड़-घटाव करने लगी हैं। शायद इसी वजह से पीएम नरेंद्र मोदी पर भले ही वह निशाना साधती हों, लेकिन उनके चुनाव क्षेत्र वाराणसी में माया की रैली नहीं हो रही। बता दें कि मायावती 1995, 1997 और 2002 में बीजेपी के समर्थन से यूपी की सीएम रह चुकी हैं।
क्या है वजह?
चुनाव पूर्व जितने भी सर्वे आए हैं, उनमें त्रिशंकु विधानसभा की बात कही गई है। ऐसे में मायावती भी शायद भविष्य को समझ रही हैं और बीजेपी से गठबंधन का रास्ता खुला रखना चाहती हैं। दयाशंकर सिंह विवाद के बाद बीएसपी और बीजेपी के बीच खटास बहुत बढ़ गई थी। तमाम बयान दोनों तरफ से आ रहे थे, लेकिन अब दोनों पार्टियों ने ही चुप्पी साध रखी है। आज इलाहाबाद में मायावती की रैली है। वाराणसी भी पास ही है, लेकिन मायावती की वाराणसी में रैली करने की कोई योजना नहीं है। इसे लेकर यूपी की सियासत में चर्चाओं का बाजार गरम है।
क्या कहती है पार्टी?
बीएसपी के सूत्र हालांकि भविष्य में बीजेपी से गठबंधन को अभी सिरे से नकार रहे हैं। उनका कहना है कि वाराणसी में भी बहनजी रैली करेंगी, लेकिन कब? ये पूछने पर सूत्र कुछ नहीं बताते। बता दें कि इलाहाबाद की रैली में बीएसपी ने वाराणसी, गाजीपुर, जौनपुर और चंदौली से अपने कार्यकर्ताओं को बुलाया है।
वाराणसी और आसपास क्या है बीएसपी का हाल?
वाराणसी और आसपास के जिलों में बीएसपी का हाल बहुत अच्छा वैसे भी नहीं है। वाराणसी जिले से एक विधायक था, वह बीजेपी के साथ चला गया। गाजीपुर और जौनपुर जिलों में बीएसपी का कोई प्रत्याशी 2012 में नहीं जीता था। बात करें इलाहाबाद की, तो इस जिले की कौशांबी से बीएसपी के दो और फतेहपुर से 1 विधायक हैं।