Hamirpur News: हमीरपुर के मां माहेश्वरी मंदिर में श्रद्धालूओं की लगती है भारी भीड़, जानें हजारों वर्ष पुराना इतिहास,

भेड़ी डांडा में महेश्वरी देवी के मंदिर में इन दिनों जवारा बोये गये हैं। तमाम भक्त तेज गर्मी और तपती जमीन की परवाह किये बिना 20 किलो मीटर की दूरी लेटकर तय करके माता के दरबार में पहुंच रहे है।

Report :  Ravindra Singh
Published By :  Divyanshu Rao
Update: 2021-10-07 17:42 GMT

मां माहेश्वरी मंदिर की तस्वीर 

Hamirpur News: हमीरपुर (Hamirpur) जिले से मात्र 50 किलोमीटर दूरी पर जलालपुर क्षेत्र के भेड़ी डांडा में माता महेश्वरी देवी के मंदिर का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। मंदिर में चैत्र ओर शारदीय के नवरात्रि में बुंदेलखंड के श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां पहुंचते है, क्योंकि उनकी मन्नत पूरी होती है। हालांकि पूरे क्षेत्र में नवरात्रि की धूम मची है, मगर माता रानी के दर्शन के लिये सैलाब उमड़ पड़ता है। देवी गीत और जयकारों से माहौल भक्तिमय बना हुआ है।

भेड़ी डांडा में महेश्वरी देवी के मंदिर में इन दिनों जवारा बोये गये हैं। तमाम भक्त तेज गर्मी और तपती जमीन की परवाह किये बिना 20 किलो मीटर की दूरी लेटकर तय करके माता के दरबार में पहुंच रहे है। माता महेश्वरी देवी का मंदिर बेतवा नदी के किनारे बना हुआ है। मां महेश्वरी देवी विकास समिति के अध्यक्ष अरुण कुमार ने बताया कि मंदिर बहुत पुराना है, यहां पुलिस बल श्रद्धालुओं की सहूलियत के लिए मेला लगा दिया गया है। छतरपुर, विजावर, सागर, पन्ना के दुकानदार यहां पहुंच चुके हैं। यह मेला 10 दिन तक चलेगा।

मां महेश्वरी मंदिर

यह मंदिर देवी शक्ति पीठों में एक है। यहां पर मां महेश्वरी पत्थर की शिला के रूप में प्रगट हुईं थीं। नित्य दर्शन को सैकड़ों की संख्या में लोग आते हैं। शारदीय व चैत्र नवरात्रि को यहां पर विशाल मेला लगता है। दूर-दूर से लोग माथा टेकने के लिए आते हैं। मंदिर में व्यवस्थाओं के लिए मंदिर समिति द्वारा दूर दराज से आने बाले भक्तो का पुख्ता इंतजाम किया जाता है और सुरक्षा की दृष्टि से सीसी टीवी कैमरे जगह जगह लगाए गये हैं। पुलिस प्रशासन द्वारा मेले में कड़ी सुरक्षा की जाती है।



इतिहास

मंदिर की स्थापना को लेकर कोई भी स्पष्ट उल्लेख नहीं है। लेकिन कहा जाता है कि सैकड़ों वर्ष पहले यहाँ बेतवा नदी की तलहटी के पास जंगल हुआ करता था। मिट्टी खोदते समय देवी महेश्वरी शिला के रूप में प्रगट हुईं। धीरे-धीरे मंदिर अपनी भव्य विशालता की ओर बढ़ता गया। आज देवी मंदिर का मुख्य द्वार नौ खंडीय बना हुआ है। जिसके अंतिम शीर्ष पर पांच कलश स्थापित है। मंदिर देश के कोने-कोने से आने वाले लोगों की आस्था व श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है।

विशेषता

मंदिर में श्रद्धा व आस्था से पूजन अर्चन करने वालों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यहां पर मनोकामनाओं के पूरा होने पर लोग घंटा, शेर, छत्र आदि चढ़ाते हैं। बच्चों के मुंडन व कनछेदन संस्कार भी कराते हैं। यहां मां महेश्वरी का 24 घंटे अखंड दीप प्रज्ज्वलित रहता है।

वास्तुकला

मंदिर प्राचीन देवी शक्तिपीठों की तर्ज पर बनाया गया है। मंदिर में जगह-जगह पर छोटे-छोटे देवी देवताओं के मंदिर बने हैं। जिनमें चंदेल व मराठा कालीन नक्काशी की गई है। मंदिर का मुख्य द्वार पूर्व दिशा की ओर है।

ऐसे पहुंचे मंदिर

मंदिर जलालपर बस स्टैंड से एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पर रिक्शा व टैंपों से पहुंचा जा सकता है। मंदिर बेतवा नदी किनारे स्थित है। मंदिर पर हर सोमवार को भव्य बाजार लगता है।

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