Maha Shivratri 2022: 'महाभारत' से जुड़ा है शल्लेश्वर मन्दिर में स्थापित शिवलिंग का इतिहास

Maha shivratri 2022: सरीला तहसील में स्थित शल्लेश्वर मन्दिर (Shaileshwar Temple) में स्थित शिवलिंग (Shivling) का विशेष महत्व है।

Report :  Ravindra Singh
Published By :  Ragini Sinha
Update: 2022-03-01 06:35 GMT

महाभारत’ से जुड़ा है शल्लेश्वर मन्दिर में स्थापित शिवलिंग का इतिहास 

Maha Shivaratri 2022 : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के हमीरपुर (Hamirpur) जनपद से 65 किमी दूर शलेश्वर धाम (Shaleswar Dham) सरीला तहसील में स्थित शल्लेश्वर मन्दिर (Shaileshwar Temple) में स्थित शिवलिंग (Shivling) का विशेष महत्व है। सावन मास (Sawan Mass) के प्रत्येक सोमवार को यहां दर्शन-पूजन (Darshan puja) के लिए शिवभक्तों (Shiv bhakt) की भारी भीड़ उमड़ती रही है।

सरीला जनपद हमीरपुर का एक अति पिछड़ा क्षेत्र है, यह क्षेत्र अपने आप मे महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। यह क्षेत्र कई तपस्वीयों व ऋषि मुनियों की कर्मभूमि रहा है। जहां के अवशेष अपने गर्भ में एक लंबा इतिहास छिपाये हुये है। 


मंदिर में लाखों श्रद्धालु उपस्थित होते हैं

बुंदेलखंड का इतिहास महाभारत काल से माना जाता है। महाभारत काल में सोलह महाजनपद थे, जिनमें से एक जनपद चेदिन था, जिसको आज बुंदेलखंड के नाम से जाना जाता है। चेदि महाजनपद की राजधानी शुक्तिमती थी, इस जनपद के प्राचीनतम राजा शिशुपाल थे जिन्हें श्री कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से मारा था। इसी प्राचीनतम अच्छेचेदि प्रदेश का छोटा सा हिस्सा है - सरीला, जिसमें अति प्राचीन तम शिवलिंग स्थापित हैं "शल्लेश्वर मंदिर"में, जिसकी वजह से लाखों श्रद्धालु अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करने इस मंदिर में उपस्थित होते हैं। आज भी लाखों लोग शिवरात्रि के पावन पर्व पर इस मंदिर में इस शल्लेश्वर धाम मे माथा टेकने आते हैं। 


बुंदेलखंड में चंदेलों का सम्राट 9वीं शताब्दी में स्थापित हुआ

ऐतिहासिक दृष्टिकोण से बुंदेलखंड में गुप्त काल को स्वर्ण युग माना गया है। गुप्त काल में इस क्षेत्र में मंदिरों, गुफाओं,और वास्तुकला का उदय हुआ उससे पहले मंदिरों का उल्लेख नहीं मिलता है। बुंदेलखंड क्षेत्र में मंदिरों का निर्माण गुप्त काल में शुरू हुआ और चंदेल काल तक उसका विस्तार चरम पर था। बुंदेलखंड में चंदेलों का सम्राट 9वीं शताब्दी में स्थापित हुआ। 


चंदेल काल में प्रथम राजा चंद्रवर्धन थे जो चंद्रवंशी क्षत्रिय थे। बुंदेलखंड में सबसे ज्यादा मंदिरों का निर्माण चंदेल काल में हुआ राजा परम लाल 1202 तीसरी में कुतुबुद्दीन एबक से पराजित होकर कालिंजर चले गये थे। क्षेत्र मुस्लिम शासकों के अधीन हो गया था। इस चेदि प्रदेश या बुंदेलखंड में विशालकाय मंदिरों की स्थापना हुई, जो आज पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं।

वंशावली महाराजा छत्रसाल से प्रारंभ हुई

शल्लेश्वर धाम सरीला में प्राचीनतम शिवलिंग हैं। यहां पर बने मठ को देखने से प्रतीत होता है कि उनका निर्माण गुप्तकाल एवं चंदेल काल के मध्य हुआ भगवान शिव के शिवलिंग को देखें तो चंदेलकाल के पूर्व का निर्माण माना जा सकता है। मठ में गुम्बद दीवार होने से यह चंदेलकालीन प्रतीत होता है। सरीला स्टेट की वंशावली महाराजा छत्रसाल से प्रारंभ हुई। आज सरीला स्टेट हमीरपुर जनपद की एक तहसील है यहां प्रतिवर्ष शिवरात्रि के पावन वर्ष पर लाखों श्रद्धालु इस शिवलिंग पर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करने आते हैं।


इस वर्ष कोरोना वायरस के चलते सरकार की गाइडलाइन के द्वारा ही मन्दिर परिसर में भीड़ न हो इसके लिए बैरीकेटिंग कराई जा रही है। गर्भगृह में पांच भक्तों को जाकर पूजन-अर्चन का इंतजाम किया गया है। उनका प्रयास होगा कि शासन द्वारा तय किए गए नियमों के तहत ही लोग भगवान की भक्ति कर अपनी मनोकामना पूर्ण करें।

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