सज रहा है गोरखनाथ मंदिर, पूर्वांचल में योगी के स्वागत की जोरदार तैयारियां
समूचा पूर्वांचल ही उल्लास और जश्न में डूबा है लेकिन गोरखनाथ मंदिर का माहौल कुछ अलग ही है। योगी की धार्मिक एवं सियासी गतिविधियों का केंद्र इस मंदिर को भी उनके लौटने का बेसब्री से इंतजार है।
गोरखपुर: गोरक्षपीठाधीश्वर आदित्यनाथ योगी के उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद वैसे तो समूचा पूर्वांचल ही उल्लास और जश्न में डूबा है लेकिन गोरखनाथ मंदिर का माहौल कुछ अलग ही है। योगी की धार्मिक एवं सियासी गतिविधियों का केंद्र इस मंदिर को भी उनके लौटने का बेसब्री से इंतजार है।
स्वागत की तैयारियां
मंदिर प्रशासन एवं श्रद्धालुओं ने अभी से उनके स्वागत में पलकें बिछा दी हैं। डोरियों में बंधे रंगबिरंगे गुब्बारे, लहराते केसरिया झंडे उल्लास का इजहार कर रहे हैं। योगी के 25 मार्च को आने की संभावना है। लेकिन अभी से उनकी शानदार स्वागत की तैयारी मुकम्मल हो गई है।
1994 में पहली बार गोरखपुर आए योगी अपने समर्पण और प्रतिभा के बल पर जल्द ही महंत अवेद्यनाथ के उत्तराधिकारी बन गए।
योगी 1998 से लगातार गोरखपुर के सांसद चुने जाते रहे हैं। योगी का दिल्ली तो हमेशा आना जाना होता है लेकिन दूसरे प्रदेशों में भी उनके कार्यक्रम लगते रहते हैं। वह पूरी तैयारी के साथ वहां जाते रहते हैं। लेकिन रातबिरात मंदिर परिसर में ही लौट कर आ जाने की कोशिश करते हैं।
सबका समाधान
रात में 11 बजे के बाद सोना भोर में 3:30 बजे तक उठकर नित्य क्रिया, योग और पूजा करने के साथ गौ सेवा करना योगी की नियमित दिनचर्या रही है। सुबह 7:00 बजे से रात तक वह जनता के लिए समर्पित रहते हैं।
मठ स्थित अपने कार्यालय में आने वाले प्रत्येक फरियादी से मिलना, उसकी समस्या का समाधान करना उनकी प्राथमिकता रहती है। जो भी पहुंचता है उसे प्रसाद के रूप में पेड़ा और मट्ठा जरूर मिलता है। समर्थक हों या विरोधी, सब के दुख में सहभागी बनते हैं। मंदिर में कर्मचारियों की दिनचर्या भी योगी के इस रंग में रंगी हुई है।
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