लापरवाही पूर्ण हलफनामा दाखिल करने पर प्रमुख सचिव न्याय को फटकार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव न्याय द्वारा गैर जिम्मेदाराना, लापरवाही पूर्ण व असंतोषजनक हलफनामा दाखिल करने पर कड़ी फटकार लगायी है। कोर्ट ने कहा है कि कोर्ट के मुकदमों में सरकार की तरफ से विभागों द्वारा समय से पक्ष रखने के लिए प्रमुख सचिव ने कमेटी गठित करने में 18 दिन लगाये और यह नहीं तय किया कि कमेटी कब तक रिपोर्ट देगी?
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव न्याय द्वारा गैर जिम्मेदाराना, लापरवाही पूर्ण व असंतोषजनक हलफनामा दाखिल करने पर कड़ी फटकार लगायी है। कोर्ट ने कहा है कि कोर्ट के मुकदमों में सरकार की तरफ से विभागों द्वारा समय से पक्ष रखने के लिए प्रमुख सचिव ने कमेटी गठित करने में 18 दिन लगाये और यह नहीं तय किया कि कमेटी कब तक रिपोर्ट देगी?
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कोर्ट के आदेश के अनुपालन में क्या कदम उठाये गये? कोई जानकारी नहीं दी। दूसरी तरफ डीएफओ बांदा माता प्रसाद व डीएम बांदा हीरालाल ने अलग से हलफनामा दाखिल कर अधिकारियों की जवाबदेही का ठीकरा वन विभाग के लिपिक के सिर फोड़ दिया और हलफनामे में सही जानकारी भी नहीं दी गयी।
अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार सिंह के बेहतर हलफनामे मेंउठाये गये कदमों की ठोस जानकारी देने के लिए समय मांगे जाने पर कोर्ट ने 25 फरवरी 19 को कार्यवाही रिपोर्ट के साथ प्रमुख सचिव विधि व अन्य अधिकारियों को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है और डीएफओ बांदा को हाजिर होने का निर्देश दिया है। साथ ही अगली तिथि पर महाधिवक्ता को सरकार का पक्ष रखने के लिए बुलाया है।
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कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा है कि प्रमुख सचिव न्याय द्वारा यदि फिर से सही जानकारी के साथ कोर्ट आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट नहीं दी गयी तो कोर्ट उन्हें तलब करेगा। सुनवाई 25 फरवरी को होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी ने उत्तर प्रदेश राज्य की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि प्रमुख सचिव न्याय का व्यवहार लापरवाही पूर्ण व गैर जिम्मेदाराना है। उन्होंने 17 जनवरी 19 को जारी आदेश का अनुपालन नहीं किया गया और न ही इस संबंध में कोई ठोस तथ्यात्मक जनकारी ही दी।
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कोर्ट ने कहा कि वन विभाग के अधिकारियों को सही जानकारी ही दी। कोर्ट ने कहा कि वन विभाग के अधिकारियों को सरकारी वकील ने सूचना दी। अपनी लापरवाही के लिए विभाग के एक लिपिक को ही कटघरे में खड़ा कर पल्ला झाड़ लिया। कोर्ट में जो हलफनामा दिया उसमें भी गलत तथ्य दिये गये। अपर महाधिवक्ता ने भविष्य में ऐसी गलती न दुहराने के लिए समय मांगा और कहा कि कोर्ट ने जिलाधिकारी व डीएफओ बांदा से भी हलफनामा मांगा है और प्रमुख सचिव न्याय को भी आदेश के अनुपालन के साथ उठाये गये कदमों की बेहतर जानकारी के साथ हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।