बहुत ही दर्दनाक: अजीबो-गरीब बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं एक ही परिवार के बच्चे

गांव निवासी उर्मिला पत्नी बिहारी उम्र लगभग 40 वर्ष के सभी बच्चे किसी ऐसे बीमारी से पीड़ित हैं जिसमें बच्चे जन्म के एक वर्ष तक सामान्य रहते हैं लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है सिर से बाल गायब होने लगता है और सिर बड़ा हो जाता है चलने फिरने में दिक्कत होने लगती है शरीर की हड्डियां टेढ़ी हो जाती हैं ।

Update: 2020-02-19 14:30 GMT

अम्बेडकरनगर: सरकार भले ही स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की बड़ी-बड़ी बातें करती हो लेकिन हकीकत यह है कि गरीब अपने बच्चों का दवा इलाज भी सही ढंग से नहीं करवा पा रहे हैं । ऐसा ही एक परिवार थाना राजेसुल्तानपुर अंतर्गत इंदौरपुर उर्फ घिन्हापुर (पोखरा) गांव में है जहाँ एक परिवार में हैरतअंगेज करने वाला मामला सामने आया है।

विकास होने के साथ -साथ आने लगती हैं बीमारियां

गांव निवासी उर्मिला पत्नी बिहारी उम्र लगभग 40 वर्ष के सभी बच्चे किसी ऐसे बीमारी से पीड़ित हैं जिसमें बच्चे जन्म के एक वर्ष तक सामान्य रहते हैं लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है सिर से बाल गायब होने लगता है और सिर बड़ा हो जाता है चलने फिरने में दिक्कत होने लगती है शरीर की हड्डियां टेढ़ी हो जाती हैं । बच्चे मानसिक रूप से तो ठीक रहते हैं लेकिन शारीरिक रूप से काफी कमजोर हो जाते हैं और बाद में उनकी मृत्यु हो जाती है ।

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परिवार में चार बच्चों की पहले ही हो चुकी है मौत

पीड़ित परिवार ने बताया इस तरह से इनके चार बच्चों की पहले ही मृत्यु हो चुकी है जिनमें एक 8 वर्ष दूसरा 5 वर्ष व दो जन्म लेते ही काल के गाल में समा गए।मालूम हो मौके पर 3 बच्चों में किरन उम्र 19 वर्ष,दिव्या उम्र 6 वर्ष,सोनू उम्र ढाई वर्ष को भी इसी तरह की दिक्कत है। परिवार में मजदूरी के अलावा आय का कोई अन्य स्रोत नहीं है ।

इलाज के लिए लाखों का कर्ज ले चुका है परिवार

बच्चों के पिता ने दिल्ली, बनारस ,आजमगढ़ से लेकर कई जगहों पर दवा इलाज करवाया लेकिन दवाओं का कुछ भी असर नहीं होता । डॉक्टर बीमारी के बारे में कुछ भी नहीं बता पा रहे हैं ।परिवार लाखों रुपए कर्ज लेकर दवा इलाज करा चुका है। पैसे के अभाव में दवा इलाज नहीं हो पा रहा है । सरकार की तरफ से कोई भी अनुदान नहीं मिल रहा है ।

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नहीं होता है दवाओं का कोई असर

बड़ी लड़की किरन जो कि 19 वर्ष की है उसकी विकलांग पेंशन भी नहीं बन पा रही है परिवार रजिस्टर की नकल के लिए कई बार चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उनकी परिवार रजिस्टर की नकल नहीं बन पा रही हैं। दवा में अत्यधिक पैसा खर्च होने की वजह से परिवार की आर्थिक कमर ही टूट चुकी है जिससे परिजनों में हताशा व्याप्त है और इंतजार है कि कब शासन प्रशासन की नजरें इनायत परिवार पर पड़ती हैं।

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