यूक्रेन में फंसे छात्र के पिता का दर्दः उधर बच्चे आफत में, इधर लोंगो के तानों ने दिल किया छलनी
आज यूक्रेन में फंसे बच्चे जिस तरह मदद मांग रहे हैं, उनके दिल हिला देने वाले वीडियो आ रहे हैं ,उसे देख-सुनकर कर सोशल मीडिया पर कुछ लोंगो द्वारा किसने कहा था आपको विदेश जाकर पढ़ने के लिए?
लखनऊ: यूक्रेन से लखनऊ एयरपोर्ट पहुंचे 5 MBBS छात्र: Photo - Newstrack
Meerut: आज यूक्रेन में फंसे बच्चे जिस तरह मदद मांग रहे हैं, उनके दिल हिला देने वाले वीडियो आ रहे हैं ,उसे देख-सुनकर कर सोशल मीडिया पर कुछ लोंगो द्वारा किसने कहा था आपको विदेश जाकर पढ़ने के लिए? मतलब गए हो तो भुगतो! कुछ इस तरह की तल्ख टिप्पणियां की जा रही हैं,जिनको पढ़कर ऐसे छात्रों के अभिभावक बेहद आहत हैं।
ऐसे ही एक छात्र के पिता मनोज कुमार ने न्यूजट्रैक संवाददाता से बातचीत में कहा कि अजब-गजब स्थिति है। कुछ लोग मदद करने अथवा दो शब्द हमदर्दी के कहने की बजाय सोशल मीडिया पर उल्टा छात्रों और उनके अभिभावको को ही कोस रहे हैं।
पढ़ने के लिए यूक्रेन क्यों गए?
उधर हमारे बच्चे जो कई दिन के भूखे प्यासे हैं, माइनस डिग्री के टेम्प्रेचर में सड़क पर पड़े हुए हैं। और वहां भी पुलिस से पिट रहे हैं, लड़कियों के बाल पकड़कर घसीटा जा रहा है। इधर अपने ही देश में सोशल मीडिया पर कुछ लोंगो द्वारा उल्टा विदेश में फंसे बच्चों से तरह तरह के सवाल पूछे जा रहे हैं कि पढ़ने के लिए यूक्रेन क्यों गए?
लाखों रुपए की फीस दी है तो कुछ हजार रुपए किराया देकर खुद नहीं आ सकते? सरकार से पूछ कर पढ़ने गए थे? वापस आने की एडवाइजरी क्यों नहीं मानी? हमें लोंगो के इस तरह के ताने सुनने को मिल रहे हैं। जैसे हमने अपने अपने बच्चे को विदेश में डॉक्टरी की पढ़ाई करने के लिए भेजकर कोई बहुत बड़ा अपराध कर दिया है।
बकौल मनोज कुमार अधिक दूःख तो तब हुआ जब भारत सरकार के एक मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि जो छात्र बाहर पढ़ने जाते हैं उनमें से 90 फीसदी भारत में मेडिकल में दाखिले की परीक्षा में फेल हो जाते हैं। सवालिया लहजे में तनिक उत्तेजित होते हुए मनोज कुमार कहते हैं, अब बताओं मंत्रीजी को मेडिकल दाखिले के लिए होनी वाली नीट की परीक्षा और उसमें शामिल होने वाले छात्रों की योग्यता के बारे में ही नहीं पता है।
ज़रूरी ना होने पर भारत लौटने की सलाह
मंत्रीजी को पता होना चाहिए कि भारत में हर साल करीब नौ लाख छात्र या उससे ज्यादा ही छात्र नीट की परीक्षा में बैठते हैं और भारत में मेडिकल की सीट 90 हजार के करीब है। इनमें से आधे से ज्यादा निजी कॉलेजों में हैं, जहां फीस एक करोड़, डेढ़ करोड़ है। पांच लाख से ज्यादा छात्र हर साल क्वालिफाइंग मार्क्स ले आते हैं। लेकिन उनको भारत में दाखिला मिल ही नहीं सकता है।
मेरठ शहर के रक्षापुरम निवासी मनोज कुमार कहते हैं,मेरा बेटा यूक्रेन के खार्किव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में फोर्थ ईयर का छात्र है। रूस-यूक्रेन के बीच तनाव को देखते हुए भारतीय दूतावास ने 20 फरवरी को एडवाइजरी जारी की।
इसमें यूक्रेन में पढ़ रहे छात्रों और भारतीयों से एम्बेसी से सम्पर्क साधाने की बात कही गई। ज़रूरी ना होने पर भारत लौटने की सलाह भी दी गई। बकौल,मनोज कुमार बेटे ने मुझे जब इस बारे में बताया तो मैने बिना देर किये मैंने अपने बेटे की फ्लाइट बुक करा दी।